kavitt chhand | कवित्त छंद की परिभाषा, नियम व उदाहरण

By Ranjan Gupta

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नमस्कार दोस्तों ! हिंदी व्याकरण के एक और विषय ‘कवित्त छंद (kavitt chhand)’ में आप सभी का स्वागत है। इसमें हम कवित्त छंद की परिभाषा (kavitt chhand ki paribhasha) देखने वाले हैं। इसके अलावा इसमें कवित्त छंद का अर्थ | kavitt chhand ka arth, कवित्त छंद का परिचय व शैली | kavitt chhand ka parichay v shaili, इत्यादी पढ़ने को मिलने वाले हैं। पोएम्स वाला (poemswala) के इस ब्लॉग में हम ये भी देखेंगे कि कवित्त छंद को कैसे पहचाने ? कवित्त छंद के नियम भी देखने वाले हैं। चलिए बिना किसी देर के ब्लॉग शुरु करते हैं… 

कवित्त छंद की परिभाषा | kavitt chhand ki paribhasha

साधारण रूप में मुक्तक दण्डकों को ही जो दण्ड
की तरह बहुत लम्बे छन्द होते हैं
, उन्हें ‘कवित्त’ कहते है। यह भी वार्णिक छन्दों की श्रेणी में आता है, लेकिन इसमें गणों का नियम लागू नहीं होता। इसमें चार चरण होते हैं और
प्रत्येक चरण में
16, 15 के विराम से 31 वर्ण
होते हैं। प्रत्येक चरण के अन्त में ‘गुरू’ वर्ण होना चाहिये। छन्द की गति को ठीक
रखने के लिये
8, 8, 8 और 7 वर्णों
पर ‘यति’ रहना आवश्यक है।

कवित्त छंद की परिभाषा
कवित्त छंद की परिभाषा – poems wala

कवित्त छंद का अर्थ | kavitt chhand ka arth 

कवित्त छंद का अर्थ है कविता की रचना में उपयुक्त छंदों का चयन और उनका प्रयोग करना। यह एक विशेष प्रकार की कविता होती है जिसमें छंद का सुन्दर और अनुप्रयुक्त रूप में उपयोग होता है। कवित्त छंद का आचार्य रसिकराज ने विकसित किया था और इसे संस्कृत में “काव्यालङ्कारशीलप्रबन्ध” कहा जाता है।

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कवित्त छंद का परिचय व शैली | kavitt chhand ka parichay v shaili

कवित्त छंद का परिचय और इसका समर्थन कई
साहित्यिक ग्रंथों में मिलता है
, और यह एक महत्वपूर्ण कविता शैली है जो
साहित्य के विकास में योगदान करती है। कवित्त छंद की परिभाषा में इसका मुख्य
उद्देश्य विशेष सौंदर्य और सुव्यवस्थितता को बनाए रखना होता है। इसमें विभिन्न
छंदों का समाहार किया जाता है जैसे कि उपमेय छंद
, उपजाति
छंद
, जातिस्वरूप छंद, आदि।

कवित्त छंद
कवित्त छंद – poems wala

कवित्त छंद को कैसे पहचाने ? | kavitt chhand ki pahchan 

कवित्त छंद को पहचानने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए… 

  • कवित्त कविता का एक रूप है।
  • कविता के व्याकरण में वर्णित एक प्रकार का छंद
    है कवित्त
  • यह दण्डक श्रेणी का वर्णिक सम छंद होता है।
  • इसे ’मनहरण’ या घनाक्षरी भी कहते हैं।

 

कवित्त छंद के नियम | kavitt chhand ke niyam 

केवल अन्त में गुरु होना चाहिएशेष वर्णों के लिये लघु गुरु का कोई नियम नहीं है।

  1. इसमें प्रत्येक चरण में 8, 8, 8, 7 के विराम से 31 अक्षर होते हैं।
  2. इसमें 16,15 पर
    यति तथा अंतिम वर्ण गुरु (ऽऽ) होता है।
  3. इसमें 8, 8, 8, 7 वर्णों
    पर यति रखने का विधान होता है।
  4. सम वर्ण के शब्दों का प्रयोग करें तो पाठ मधुर
    होता है।


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कवित्त छंद का उदाहरण | kavitt chhand ka udaharan 

1. हरित हरित हार…

हरित हरित हार, हेरत
हियो हेरात –
16 वर्ण

हरि हाँ हरिन नैनी, हरि न कहूँ लहाँ। – 15 वर्ण

बनमाली ब्रज पर, बरसत बनमाली,

बनमाली दूर दुख, केशव कैसे सहौं।

हृदय कमल नैन, देखि कै कमल नैन,

होहुँगी कमल नैनी, और हौं कहा कहौं।

आप घने घनस्याम, घन ही ते होते घन,

सावन के द्यौंस धन, स्या बिनु कौन रहौं।

2. खेती न किसान को…

खेती न किसान को, भिखारी
को न भीख
, बलि

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी। 

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस

कहैं एक एकन सों, ‘कहाँ जाई, का
करी
?’ 

3. डार द्रुम पलना बिछौना…

डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,

सुमन झिंगुला सौहें तन छबि भारी दै।

पवन झुलावै केकी कीर बतरावे ’देव’

कोकिल हलावे हुलसावे कर तारी दै।

पूरित पराग सो उतारो करै राई नोन,

कंजकली नायिका लतान सिर मारी दै।

मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,

प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।

4. बेदहूँ पुरान कही…

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ
बिलोकिअत

साँकरे सबै पै, राम! रावरें कृपा करी। 

दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु! 

दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी॥ 

5. बिरह बिथा की कथा…

बिरह बिथा की कथा अकथ अथाह महा

कहत बनै न जौ प्रवीन सुकवीनि सौं।

कहै ’रत्नाकर’ बुझावन लगै ज्यों कान्ह

ऊधौ कौं कहन हेतु व्रज जुव तीनि सौं।

गहबरि आयौ गरौ भभरि अचानक त्यौं

प्रेम पर्यौ चपल चुचाइ पुतरीनि सौं।

नैकु कही बैननि अनेक कही नैननि सौं

रही सही सोऊ कहि दीनी हिचकीनि सौं।

 

कविता में कवित्त छंद का प्रयोग | kavita me kavitt chhand ka prayog 

कविता में छंद का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है,
और छंद का चयन काव्य की रचना में एक विशेष रूप से उचित और सुरक्षित
तरीके से होता है। छंद से कविता की बनावट और उसकी सुनी जाने वाली ध्वनि में एक
विशेष रूप से सुरक्षित और सुखद अनुभूति होती है।

कवित्त छंद का उदाहरण
कवित्त छंद का उदारहण – poems wala 

कविता में छंद की परिभाषा निम्नलिखित रूप से हो
सकती है:

(1). स्वर संख्या (Number of Syllables): छंद की पहचान में सबसे महत्वपूर्ण अंश स्वर संख्या है। स्वरों की
गिनती से ही छंद की पहचान होती है।

(2). मात्रा (Metre): छंद
की एक और पहचानी जाने वाली बात मात्रा है
, जो कि स्वरों की
मात्राओं की गिनती है। मात्रा के आधार पर छंद को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत
किया जा सकता है।

(3). गति (Pace): छंद
की गति भी महत्वपूर्ण है
, जिससे यह पता चलता है कि छंद शीतल,
गतिशील या मध्यम है।

(4). विशेष नियम (Specific Rules): कुछ छंदों में विशेष नियमों का पालन करना होता है, जो छंद को उचित बनाए रखने में सहारा प्रदान करते हैं। इसमें शिक्षा,
उपमेय, कविता का विषय, और
अन्य कई प्रकार की निर्दिष्टताएं शामिल हो सकती हैं।

इसके अलावा, कविता
में छंद का उपयोग रस
, भावना, और
भाषा को सहारा देने के लिए किया जाता है। छंद का सही चयन कविता को अधिक सुंदर और
प्रभावशाली बना सकता है।

ये भी पढ़ें : कविता किसे कहते है (What is Poetry) | कविता की परिभाषा

निष्कर्ष

आपको ‘कवित्त छंद (kavitt chhand)’ का ये ब्लॉग कैसा लगा, आप हमें कमेंट करके जरुर बताएं। इसमें हमने कवित्त छंद की परिभाषा (kavitt chhand ki paribhasha), कवित्त छंद का अर्थ | kavitt chhand ka arth, कवित्त छंद का परिचय व शैली | kavitt chhand ka parichay v shaili, कवित्त छंद को कैसे पहचाने ? कवित्त छंद के नियम पढ़ा। 

FAQS: Poems wala

कवित्त छंद किसे कहते हैं?

साधारण रूप में मुक्तक दण्डकों को ही जो दण्ड की तरह बहुत लम्बे छन्द होते हैंउन्हें ‘कवित्त’ कहते है।

कवित्त छंद का अर्थ क्या है?

कवित्त छंद का अर्थ है कविता की रचना में उपयुक्त छंदों का चयन और उनका प्रयोग करना।

कविता छंद का परिचय क्या है?

कवित्त छंद का परिचय और इसका समर्थन कई साहित्यिक ग्रंथों में मिलता हैऔर यह एक महत्वपूर्ण कविता शैली है जो साहित्य के विकास में योगदान करती है। 

कवित्त छंद के नियम क्या होते हैं?

इसमें चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरण में 16, 15 के विराम से 31 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण के अन्त में ‘गुरू’ वर्ण होना चाहिये। छन्द की गति को ठीक रखने के लिये 8, 8, 8 और वर्णों पर ‘यति’ रहना आवश्यक है।

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Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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