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खेत और किसान | Kisan par kavita

By Sanjay

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Kisan par kavita

Kisan par kavita: भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खेती पर आधारित है. इस कृषि व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है—किसान. किसान केवल अन्नदाता नहीं है, बल्कि वह देश की खाद्य सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पहचान का रक्षक भी है.

किसान पर कविता | Hindi Poem on Farmer

किसान का जीवन कठिन परिश्रम, मौसम की अनिश्चितता और संसाधनों की कमी से भरा होता है. सुबह-सवेरे खेतों में काम शुरू करने वाला किसान, दोपहर की चिलचिलाती धूप, ठंडी हवाओं और बरसात की फुहारों को सहकर भी अपने खेत में लगा रहता है.

उसका जीवन चक्र बीज बोने, फसल सींचने, निराई-गुड़ाई करने और अंत में फसल काटने तक घूमता है. इसके बाद वह अपनी उपज को बाज़ार में बेचने जाता है, जहां उसे कभी अच्छा दाम मिलता है तो कभी घाटा झेलना पड़ता है.

खेत और किसान | Kisan par kavita

Kisan par kavita

किसी ने पूछा मुझसे,
क्या करते हो तुम?
मैने जवाब दिया
आपकी नजरों में ये कोई काम है,
लेकिन खेती मेरा अभिमान है;
30 एकड़ की मामूली जमीन है,
शायद ये सुनकर आप थोड़े हैरान है...;

हां, छोड़ दी नौकरी मैने,
क्योंकि घर पर मुझे बहुत काम है;
अब तो राह चलते लोग भी कहते हैं,
ये B. tech वाला किसान है...;

भरपूर समय देता हूँ बच्चों को,
बस अब आराम ही आराम है;
श्रीमती बहुत व्यस्त है आजकल,
क्योंकि अब उसके पास खुद का मकान है...;

हर बारिश का भरपूर आनंद लेता हूँ,
मेरे घर के सामने हरा भरा मैदान है;
चारों तरफ से आती है ताजी हवा,
संतुष्टिजनक प्रदूषण यहां आम है...;

बात रही हैसियत की तो,
मैं मालिक हूँ अपनी मर्जी का,
पर तेरा जमीर किसी का गुलाम है।।

-संजय यादव

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