Doha | दोहा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण | कबीर और रहीम के दोहे

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Doha | दोहा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण | कबीर और रहीम के दोहे:- हमने छंद पढ़ा है। छंद के एक भेद होता है
मात्रिक छंद और मात्रिक छंद का एक भेद होता है अर्द्धसम मात्रिक छंद जिसका एक
उदाहरण है दोहा। इस लेख में हम दोहा की परिभाषा (
Doha ki Paribhasha), दोहा किसे कहते हैं, दोहा छंद के नियम, दोरा के प्रकार के बारे
में पढ़ने वाले हैं। आइए शुरु करते हैं।

Doha | दोहा
दोहा

दोहा की परिभाषा | Doha ki Paribhasha

दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होता है। दोहा का
शाब्दिक अर्थ दो पंक्तियां होता है। दोहे को दो पंक्तियों मे लिखा जाता है। जिसके
चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों अर्थात पहले और तीसरे चरण में
13 – 13 मात्राएं होती है और इसके सम चरणों अर्थात दूसरे और चौथे चरण में 11
– 11 मात्राएं होती है।

उदाहरण के लिए

लाल देह लाली लसै, अरु
धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय
जय जय कपि सूर।।

स्पष्टीकरण

ऊपर दिए गए उदाहरण में पहले और तीसरे चरण में
13-13 मात्राएं हैं जबकि दूसरे और चौथे चरण में
11 – 11 मात्राएं
हैं।

ये भी पढ़ें: Muktak chhand | मुक्तक छंद की परिभाषा, भेद तथा उदाहरण

दोहा छंद के नियम

  • दोहा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में
    13-13 मात्राएँ और द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती है।
  • दोहा में 24,24 मात्रा की दो पंक्ति होती है
    तथा अंतिम में गुरु और (
    S की तरह) एक लघु (। की तरह) होता है।
  • दोहा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण के में
    जगण नहीं होना चाहिए।
  • दोहा छंद में द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण के
    अंत में 1 लघु अवश्य होता है।
  • दोहा भी बरवै के समान 2 दलों में लिखा जाता है।

दोहा के प्रकार

दोहा मुख्य रूप से 23 प्रकार
के होते हैं:-

  1. भृमर्
  2. नर
  3. करभ
  4. मर्कट
  5. मण्डूक
  6. श्येन
  7. शरभ
  8. सुभृमर्
  9. त्रिकल
  10. पान
  11. बल
  12. पयोधर
  13. ग्यन्द्
  14. सर्प
  15. श्वान
  16. उदर
  17. विडाल
  18. व्याल
  19. अविहर
  20. शार्दुल
  21. मच्छ
  22. कच्छप
  23. हंस

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दोहा का उदाहरण

तुलसीदास

मुसलमान सों दोस्ती, हिंदुअन सों कर प्रीत।

रैदास जोति सभ राम की, सभ हैं अपने मीत॥


रैदास

कबीर यहु घर प्रेम का, ख़ाला का घर नाँहि।

सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माँहि॥


बिहारी

लाल लली ललि लाल की, लै लागी लखि लोल।

त्याय दे री लय लायकर,
दुहु कहि सुनि चित डोल॥


दयाराम

फूलति कली गुलाब की, सखि यहि रूप लखै न।

मनौ बुलावति मधुप कौं, दै चुटकी की सैन॥


मतिराम

जमला लट्टू काठ का, रंग दिया करतार।

डोरी बाँधी प्रेम की, घूम रह्या संसार॥


जमाल

नैनाँ अंतरि आव तूँ, ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ।

नाँ हौं देखौं और कूँ,
नाँ तुझ देखन देऊँ॥


रसखान

सतगुरु हम सूँ रीझि करि, एक कह्या प्रसंग।

बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग॥

 

Doha | दोहा
Doha 

दोहा के विषय में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सवाल 

1) दोहा किसे कहते हैं?

जिसे दो पंक्तियों में लिखा जाए और चार चरण हो।
पहले और तीसरे चरण में
1313 मात्राएं
और दूसरे और चौथे चरण में
1111 मात्राएं
हो, उसे दोहा कहते हैं।

 

2) दोहा और चौपाई में अंतर क्या है?

दोहा में सम चरणों में 11 – 11 और विषम चरणों में 13 – 13 मात्राएं होती
है जबकि चौपाई के हर चरण में
16 -16 मात्राएं मौजूद
होती है।

 

3) दोहा, सोरठा से कैसे भिन्न है?

दोहा का उल्टा सोरठा होता है। यह दोहा के
बिल्कुल विपरीत होता है अर्थात इसके सम चरणों में
13 – 13 मात्राएं
और विषम चरणों में
11 – 11 मात्राएं होती है।

FAQs

दोहा किसे कहते हैं?

 जिसे दो पंक्तियों में लिखा जाए और चार चरण हो।
पहले और तीसरे चरण में
 1313 मात्राएं
और दूसरे और चौथे चरण में
 1111 मात्राएं
हो
, उसे दोहा कहते हैं।

कबीर के दोहे

 यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।

रहीम के दोहे

 रहिमन धागा प्रेम का, मत
तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना मिले
, मिले गाँठ परि जाय॥

निष्कर्ष

आपको यह लेख जिसमें हमने दोहा की परिभाषा (Doha
ki Paribhasha), दोहा किसे कहते हैं, दोहा छंद के नियम, दोरा
के प्रकार के बारे में पढ़ा, कैसा लगा
?
कमेंट कर आप
हमें बता सकते हैं…

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