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Doha | दोहा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण | कबीर और रहीम के दोहे

By Ranjan Gupta

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Doha | दोहा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण | कबीर और रहीम के दोहे:- हमने छंद पढ़ा है। छंद के एक भेद होता है मात्रिक छंद और मात्रिक छंद का एक भेद होता है अर्द्धसम मात्रिक छंद जिसका एक उदाहरण है दोहा। इस लेख में हम दोहा की परिभाषा (Doha ki Paribhasha), दोहा किसे कहते हैं, दोहा छंद के नियम, दोरा के प्रकार के बारे में पढ़ने वाले हैं। आइए शुरु करते हैं।

दोहा की परिभाषा | Doha ki Paribhasha

दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होता है। दोहा का शाब्दिक अर्थ दो पंक्तियां होता है। दोहे को दो पंक्तियों मे लिखा जाता है। जिसके चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों अर्थात पहले और तीसरे चरण में 13 – 13 मात्राएं होती है और इसके सम चरणों अर्थात दूसरे और चौथे चरण में 11–11 मात्राएं होती है। उदाहरण के लिए:-

लाल देह लाली लसै, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

स्पष्टीकरण:-ऊपर दिए गए उदाहरण में पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं हैं जबकि दूसरे और चौथे चरण में 11 – 11 मात्राएं हैं।

ये भी पढ़ें: Matrik chhand | मात्रिक छंद की परिभाषा, भेद व उदाहरण

Doha | Doha ki paribhasha
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दोहा छंद के नियम | Doha chhand ke niyam

  • दोहा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ और द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती है।
  • दोहा में 24,24 मात्रा की दो पंक्ति होती है तथा अंतिम में गुरु और (S की तरह) एक लघु (। की तरह) होता है।
  • दोहा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण के में जगण नहीं होना चाहिए।
  • दोहा छंद में द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण के अंत में 1 लघु अवश्य होता है।
  • दोहा भी बरवै के समान 2 दलों में लिखा जाता है।

दोहा के प्रकार | Doha ke Prakar

दोहा मुख्य रूप से 23 प्रकार के होते हैं:-

1भ्रमर दोहा 22 गुरु और 4 लघु वर्णभूले भी भूलूँ नहीं, अम्मा की वो बात। दीवाली देती हमें, मस्ती की सौगात।।
2सुभ्रमर दोहा 21 गुरु और 6 लघु वर्णरम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात। दीवाली देती हमें, मस्ती की सौगात।।
3शरभ दोहा 20 गुरु और 8 लघु वर्णरम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात। जी में हो आनन्द तो, दीवाली दिन-रात।।
4श्येन दोहा 19 गुरु और 10 लघु वर्णरम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात। जी में रहे उमंग तो, दीवाली दिन-रात।।
5मण्डूक दोहा 18 गुरु और 12 लघु वर्णजिन के तलुवों ने कभी, छुई न गीली घास। वो क्या समझेंगे भला, माटी की सौंधास।।  
6मर्कट दोहा 17 गुरु और 14 लघु वर्णबुधिया को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात। दिल में रहे उमंग तो, दीवाली दिन-रात।।
7करभ दोहा 16 गुरु और 16 लघु वर्णझरनों से जब जा मिला, शीतल मन्द समीर। कहीं लुटाईं मस्तियाँ, कहीं बढ़ाईं पीर।।  
8नर दोहा 15 गुरु और 18 लघु वर्णद्वै पस्से भर चून अरु, बस चुल्लू भर आब।
फिर भी आटा गुंथ गया!!!!! पूछे कौन हिसाब?????
9हंस दोहा 14 गुरु और 20 लघु वर्णअपनी मरज़ी से भला, कब होवे बरसात? नाहक उस से बोल दी, अपने दिल की बात।।
10गयंद दोहा 13 गुरु और 22 लघु वर्णचायनीज़ बनते नहीं, चायनीज़ जब खाएँ। फिर इंगलिश के मोह में, क्यूँ फ़िरंग बन जाएँ।।
11पयोधर दोहा 12 गुरु और 24 लघु वर्णहर दम ही चिपके रहो, लेपटोप के संग। फिर ना कहना जब सजन, दिल पे चलें भुजंग।।
12बल दोहा 11 गुरु और 26 लघु वर्णसजल दृगों से कह रहा, विकल हृदय का ताप। मैं जल-जल कर त्रस्त हूँ, बरस रहे हैं आप।।
13पान दोहा 10 गुरु और 28 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार शुचिकर सरस सुहावना दीपों का त्यौहार
14त्रिकल दोहा 9 गुरु और 30 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार शुचिकर सरस सुहावना दीपावलि त्यौहार
15कच्छप कोहा 8 गुरु और 32 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार शुचिकर सरस सुहावना दीप अवलि त्यौहार
16मच्छ दोहा 7 गुरु और 34 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार शुचिकर सुख वर्धक सरस, दीप अवलि त्यौहार
17शार्दूल दोहा 6 गुरु र 36 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
18अहिवर दोहा 5 गुरु और 38 लघु वर्णअति उत्तम अनुपम अमित अविचल अगम अपार शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
19व्याल दोहा 4 गुरु और 40 लघु वर्णअचल, अटल, अनुपम, अमित, अजगुत, अगम, अपार शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
20विडाल दोहा 3 गुरु और 42 लघु वर्णअचल, अटल, अनुपम, अमित, अजगुत, अगम, अपार शुचिकर सुखद सुफल सरस दियनि-अवलि त्यौहार
21उदर दोहा 1 गुरु और 46 लघु वर्णडग मग महिं डगमग करत, मन बिसरत निज करम तन तरसत, झुरसत हृदय, यही बिरह कर मरम

पहले और तीसरे चरण के अंत में 212 प्रावधान का सम्मान रखा गया है तथा दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 पदभार वाले शब्दों के अपभ्रश स्वरूप को लिया गया है  
22श्वान दोहा 2 गुरु और 44 लघु वर्णडग मग महिं डगमग करत, परत चुनर पर दाग तबहि सुं प्रति पल छिन मनुज, सहत रहत विरहाग
23सर्प दोहा सिर्फ़ 48 लघु वर्णडग मग महिं डगमग करत, मन बिसरत निज करम तन तरसत, झुरसत हृदय, इतिक बिरह कर मरम

पहले और तीसरे चरण के अंत में 212 प्रावधान का सम्मान रखा गया है तथा दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 पदभार वाले शब्दों के अपभ्रश स्वरूप को लिया गया है
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 ये भी पढ़ें: Muktak Kavya | मुक्तक काव्य; परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

दोहा का उदाहरण | Doha ka udaharan

तुलसीदास

मुसलमान सों दोस्ती, हिंदुअन सों कर प्रीत।
रैदास जोति सभ राम की, सभ हैं अपने मीत॥

रैदास

कबीर यहु घर प्रेम का, ख़ाला का घर नाँहि।
सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माँहि॥

बिहारी

लाल लली ललि लाल की, लै लागी लखि लोल।
त्याय दे री लय लायकर, दुहु कहि सुनि चित डोल॥

दयाराम

फूलति कली गुलाब की, सखि यहि रूप लखै न।
मनौ बुलावति मधुप कौं, दै चुटकी की सैन॥

मतिराम

जमला लट्टू काठ का, रंग दिया करतार।
डोरी बाँधी प्रेम की, घूम रह्या संसार॥

जमाल

नैनाँ अंतरि आव तूँ, ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ।
नाँ हौं देखौं और कूँ, नाँ तुझ देखन देऊँ॥

रसखान

सतगुरु हम सूँ रीझि करि, एक कह्या प्रसंग।
बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग॥

दोहा के विषय में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सवाल 

1) दोहा किसे कहते हैं?

जिसे दो पंक्तियों में लिखा जाए और चार चरण हो। पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं हो, उसे दोहा कहते हैं।

2) दोहा और चौपाई में अंतर क्या है?

दोहा में सम चरणों में 11 – 11 और विषम चरणों में 13 – 13 मात्राएं होती है जबकि चौपाई के हर चरण में 16 -16 मात्राएं मौजूद होती है।

3) दोहा, सोरठा से कैसे भिन्न है?

दोहा का उल्टा सोरठा होता है। यह दोहा के बिल्कुल विपरीत होता है अर्थात इसके सम चरणों में 13 – 13 मात्राएं और विषम चरणों में 11 – 11 मात्राएं होती है।

निष्कर्ष

आपको यह लेख जिसमें हमने दोहा की परिभाषा (Doha ki Paribhasha), दोहा किसे कहते हैं, दोहा छंद के नियम, दोरा के प्रकार के बारे में पढ़ा, कैसा लगा? कमेंट कर आप हमें बता सकते हैं… आप हमारी दूसरी साइट Ratingswala को भी विजिट कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: Kavya Prayojan | काव्य प्रयोजन का अर्थ एवं परिभाषा

FAQs Doha

दोहा किसे कहते हैं?

जिसे दो पंक्तियों में लिखा जाए और चार चरण हो। पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं हो, उसे दोहा कहते हैं।

कबीर के दोहे

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।

रहीम के दोहे

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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