नमस्कार दोस्तों ! एक नए लेख में आप सभी का स्वागत है। हिंदी व्याकरण के इस पाठ में हम आपको वर्ण विचार (Varn Vichar), हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala) के बारें में विस्तार से जानते हैं। इस लेख में हम वर्ण की परिभाषा (Varn ki paribhasha), वर्ण के भेद, स्वर वर्ण एवं व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं के बारे में जानेंगे। हिंदी पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह लेख काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अक्सर परीक्षाओं में इससे सवाल पूछे जाते हैं। तो आइए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं….
वर्ण विचार किसे कहते हैं? (Varn vichar kise kahte hai)
“हिन्दी व्याकरण (Hindi Vyakaran) के जिस भाग में वर्णों के उच्चारण, आकार, भेद, बनावट आदि का वर्णन हो, उसे वर्ण विचार कहते हैं” इसमें ध्वनि (Dhawni) और अक्षर (Akshar) का बहुत बड़ा योगदान होता है जिसकी मदद से ये वर्ण विचार बन पाते हैं।
“ध्वनि” शब्दों की आधारशिला है, जिसके बिना शब्द की कल्पना नहीं की जा सकती। अ, आ, इ, ई, आदि जब मनुष्य की वागिंद्रिय द्वारा व्यक्त होते हैं, तब ये ध्वनियाँ कहलाती है ।
अक्षर की बात करें तो “जिसका “क्षर” अर्थात् नाश नहीं होता है, उसे अक्षर कहते हैं “
जैसे :- अ, क, इ, ग, ख, च, छ, झ, ट, ठ, ड, त, थ, ध, न, प, फ, भ आदि ।
अक्षर- अ + क्षर
अ – नहीं ।
क्षर – नाश ।
वर्ण किसे कहते हैं ? (Varn Kise Kahate Hain)
वर्ण की परिभाषा: “जिस मूल-ध्वनि का खंड या टुकड़ा नहीं किया जा सके, उसे वर्ण कहते हैं”
जैसे – अ, आ, इ, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, क्, ख्, घ्,च्, छ्, ज्, ट्, ड्, ढ्, त्, थ्, न्, प्, फ्, य्, र्, ल्, व् आदि ।
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ध्वनि के लिखित स्वरूप को वर्ण कहते है । वर्ण को “ध्वनि-चिन्ह” भी कहते हैं।
वर्णमाला किसे कहते हैं? (Varnmala Kise Kahte Hain )
“वर्णों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं” वर्णमाला का जनक – महर्षि पाणिनि को माना जाता है।
क्रमबद्ध का अर्थ – जो वर्ण इसके पहले या बाद आता है, उसे उसके पहले या बाद ही आना चाहिए ।
व्यवस्थित का अर्थ – वर्णमाला में जो वर्ण जिस व्यवस्था में आता है, उसे इस व्यवस्था में आना चाहिए ।
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आधुनिक हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala) में कितने वर्ण हैं ?
“आधुनिक हिंदी वर्णमाला ( Hindi Varnmala ) में निम्नांकित 52 (बावन) वर्ण हैं ” ।
स्वर वर्ण की कुल संख्या 11 (ग्यारह) हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ ।
अयोगवाह की कुल संख्या 02 (दो) हैं – अं, अः ।
मूल व्यंजन वर्ण की कुल संख्या 33 (तैंतीस) हैं ,जो निम्नलिखित हैं-
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व, श, ष, स तथा ह ।
संयुक्त व्यंजन वर्ण की कुल संख्या 04 (चार) हैं – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ।
स्वर वर्ण किसे कहते हैं? (Swar varn kise kahte hain)
वे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सके या अन्य किसी वर्ण की सहायता के बिना जिनका उच्चारण किया जा सके, स्वर कहलाते हैं। ये संख्या में 11 होते हैं जबकि मात्राओं की संख्या 10 होती है।
स्वर वर्ण के कितने भेद होते हैं?
स्वर वर्ण दो प्रकार के होते हैं
- मूल स्वर
- संयुक्त स्वर
मूल स्वर: हिंदी भाषा में 11 मूल स्वर होते हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
संयुक्त स्वर: दो मूल स्वरों के मिलन से जो नए स्वर वर्ण बनते हैं, उन्हें संयुक्त स्वर कहते हैं। हिंदी में 20 संयुक्त स्वर होते हैं।
इसलिए, हिंदी भाषा में स्वर वर्णों के कुल 31 प्रकार होते हैं (11 मूल स्वर और 20 संयुक्त स्वर)।
मूल स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
मूल स्वर के तीन भेद होते हैं…
- हस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर: ये स्वर वर्ण जल्दी उच्चारित हो जाते हैं। हिंदी में ५ ह्रस्व स्वर होते हैं। उदाहरण के लिए – अ, इ, उ, ऋ, ए।
दीर्घ स्वर: ये स्वर वर्ण धीरे-धीरे उच्चारित होते हैं। हिंदी में ६ दीर्घ स्वर होते हैं। उदाहरण के लिए – आ, ई, ऊ, ऐ, ओ, औ।
प्लुत स्वर: ये एक विशेष प्रकार के स्वर वर्ण होते हैं जिन्हें लिखते समय ‘अ:’ की तरह दर्शाया जाता है और उन्हें उच्चारित करते समय हम उन्हें लंबा समय तक खींचते हैं। प्रायः ये उच्चारण में दीर्घ स्वरों से अधिक समय लेते हैं
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व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं? (Vyanjan Varn kise kahte hain)
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या तैंतीस (33) है। अर्थात् इनकी उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता।
व्यंजन वर्ण के भेद
- स्पर्श व्यंजन
- अंतस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन: ‘स्पर्श’ यानी छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क् से लेकर म् तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।
क ख ग घ ङ कवर्ग
च छ ज झ ञ चवर्ग
ट ठ ड ढ ण टवर्ग
त थ द ध न तवर्ग
प फ ब भ म पवर्ग
अंतस्थ व्यंजन: अन्तः यानि की, ‘मध्य/बीच‘, और स्थ यानि की, ‘स्थित‘ होता हैं। अन्तःस्थ व्यंजन, स्वर और व्यंजन के बीच उच्चारित किए जाते हैं। उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को पूरी तरह स्पर्श नहीं करती। ये चार हैं – य, र, ल, व
ऊष्म व्यंजन: ऊष्म-गरम। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गरम हवा निकलती है। ये चार हैं – श, ष, स, ह
श्वास वायु के आधार पर व्यंजन के भेद
अल्पप्राण: ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है।
इसमें क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर शामिल होता है। इसके अलावा चारों अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व भी शामिल होता है।
महाप्राण: ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है। उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 15 होती है।
इसमें क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग का दूसरा, चौथा अक्षर, चारों उष्म व्यंजन – श ष स ह
ध्वनि घर्षण के आधार पर व्यंजन भेद
व्यंजन वर्णों को ध्वनि घर्षण के आधार पर दो भेदों में विभाजित किया जाता है
- घोष
- अघोष
घोष – जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु स्वर – तंत्रियों में कम्पन करती हुई निकलती है, उन्हें घोष कहते हैं। इनकी संख्या 31 होती है। इसमें सभी स्वर अ से औ तक, प्रत्येक वर्ग के अंतिम तीन व्यंजन यानी ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, और अन्तःस्थ व्यंजन – य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन का ह आते हैं।
अघोष : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु स्वर – तंत्रियों में कम्पन नहीं करती, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 13 होती है। इसमें प्रत्येक वर्ग के प्रथम दो व्यंजन यानी क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ और उष्म व्यंजन के श, ष, स आते हैं।
निष्कर्ष
तो आपने इस लेख में वर्ण की परिभाषा (Varn ki paribhasha), वर्ण के भेद, स्वर वर्ण एवं व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं के बारे में जाना। आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें कमेंट कर जरुर बताएं। आप हमारे दूसरे वेबसाइट Ratingswala को विजिट कर सकते हैं।
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FAQs
वर्ण की परिभाषा लिखें
जिस मूल-ध्वनि का खंड या टुकड़ा नहीं किया जा सके, उसे वर्ण कहते हैं” जैसे – अ, आ, इ, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, क्, ख्, घ्,च्, छ्, ज्, ट्, ड्, ढ्, त्, थ्, न्, प्, फ्, य्, र्, ल्, व् आदि ।
वर्णमाला किसे कहते हैं?
“वर्णों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं” वर्णमाला का जनक – महर्षि पाणिनि को माना जाता है।
वर्ण के कितने भेद होते हैं?
वर्ण के दो भेद होते हैं:- स्वर वर्ण एवं व्यंजन वर्ण
व्यंजन वर्ण की परिभाषा
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या तैंतीस (33) है।
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