अगर आप हिंदी व्याकरण के पाठ ‘मात्रिक छंद’ (Matrik chhand) के बारे में जानने आए है तो आपका
स्वागत है। यहां छंद के तीनों भेदों के बारे में जानने को मिलेगा। खासकर मात्रिक
छंद के बारें में हमने यहां विस्तार से बताया है। यहां, मात्रिक छंद की परिभाषा,
मात्रिक छंद के भेद, मात्रिक छंद के उदाहरण आदि पढ़ने को मिलने वाले हैं। तो चलिए
बिना किसी देरी के शुरु करते हैं।
Matrik chhand |
छंद किसे कहते हैं | Chhand Kise Kahte
Hain
छंद का अर्थ है ताल या लय। तुक, मात्रा, लय, विराम, वर्ण आदि के नियमों में आबद्ध पंक्तियां छंद (Chhand) कहलाती हैं। जैसे – चौपाई, दोहा, शायरी
आदि। इसका उपयोग कविता को सुंदर और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। छंद के सात
अंग तथा तीन भेद होते हैं।
उदाहरण:
चक्खि न लिया साव, कबीर
प्रेम न चक्खिया ।
ज्यूं आया त्यूं जाव, सूने घर का
पाहुना ।।
ये भी पढ़ें: Chhand kise kahte hain | छंद की परिभाषा, अंग व भेद उदाहरण सहित
छंद के भेद | Chhand ke Bhed
हिंदी व्याकरण में छंद के तीन भेद होते हैं। जिसमें
वार्णिक छंद, मात्रिक छंद और मुक्तक छंद है। इस लेख में हम मात्रिक छंद के बारे
में विस्तार से जानने वाले हैं।
1. वार्णिक छंद
वार्णिक छंद वो है जहां वर्णों की संख्या,
मात्राओं के क्रम मुख्य हो। जिन छंदों के चारो चरणों में वर्णों की
संख्या एकसमान हो उन्हें वार्णिक छंद कहते है। जैसे: तोटक,
इंद्रवज्रा, मालिनी, वसंततिलका,
शिखरिणी
2. मात्रिक छंद (Matrik chhand)
जिन छंदों में केवल मात्रा की गणना के आधार पर
पद रचना की जाए उन्हें मात्रिक छंद (Matrik chhand) कहते हैं। जैसे वार्णिक छंद में वर्णों की संख्या महत्वपूर्ण हैं,
उसी तरह, मात्रिक छंद में मात्रा की गणना
महत्वपूर्ण हैं।
उदाहरण के लिए: दोहा
छंद, सोरठा छंद, रोला
छंद, गीतिका छंद, हरिगीतिका
छंद, उल्लाला छंद, चौपाई
छंद, बरवै (विषम) छंद, छप्पय
छंद
Matrik chhand | मात्रिक छंद |
मात्रिक छंद (Matrik
chhand) के भेद
इसके भी 3 भेद
होते हैं…
- क. सममात्रिक छंद
- ख. अर्धमात्रिक छंद
- ग. विषममात्रिक छंद
ये भी पढ़ें: kavitt chhand | कवित्त छंद की परिभाषा, नियम व उदाहरण
क) सममात्रिक
छंद–:
जिन छंद के चारों चरणों की मात्राएं एवं वर्ण
एक-समान हो, वे सम
मात्रिक छंद कहलाते हैं।
- हरिगीतिका (इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएं होती है)
- अहीर (इसके प्रत्येक चरण में 11 मात्राएं होती हैं)
- चौपाई (इसके प्रत्येक
चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।)
चौपाई का उदाहरण –
निरखि सिद्ध साधक अनुरागे।सहज सनेहु सराहन लागे।।होत न भूलत भाउ भरत को।अचर-सचर चर-अचर करत को।।
ख) अर्धमात्रिक छंद
–
दोहा-: दोहे
अर्धमात्रिक छंद होते हैं जिसमें चार चरण होते हैं। इसके विषम (1 तथा 3) चरणों में
13-13 मात्राएं और सम चरणों (2 तथा 4) चरण में 11-11
मात्राएं होती हैं।
उदाहरण–:
रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख,
छाया-धूप।यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥
सोरठा–: सोरठा भी एक अर्धमात्रिक छंद है और यह
दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएं
और सम चरणों में 13-13 मात्राएं होती हैं।
उदाहरण-:
जो
सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।करहु
अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
ग) विषममात्रिक
छंद–:
कुंडलियां विषम मात्रिक छंद है। इसमें छः चरण होते
हैं और प्रत्येक चरण में 24 मात्राएं होती है। जिन छंद में चार से
अधिक छह चरण हो, और वह एक-समान न हो, तो वे विषम मात्रिक छंद कहलाते हैं।
- कुण्डलिया (यह दोहा + रोला को जोड़कर बनता है)
- छप्पय (यह रोला + उल्लाला को जोड़कर बनता है)
उदाहरण –
कमरी थोरे दाम की, बहुतै
आवै काम।
खासा मलमल वाफ्ता, उनकर
राखै मान॥
उनकर राखै मान, बँद
जहँ आड़े आवै।
बकुचा बाँधे मोट, राति
को झारि बिछावै॥
कह गिरिधर कविराय, मिलत
है थोरे दमरी।
सब दिन राखै साथ, बड़ी
मर्यादा कमरी॥
3. मुक्तक छंद
जिन छंद में वर्ण और मात्राओं की गणना न हो
यानी जिसमें वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता है, उसे मुक्तक छंद कहते हैं।
उदाहरण:
रहिमन पानी राखिए, बिन
पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती
मानुष चून।।
ये भी पढ़ें: Muktak Kavya | मुक्तक काव्य; परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण
निष्कर्ष
आपने यहां मात्रिक छंद के बारे में विस्तार से
पढ़ा। मात्रिक छंद की परिभाषा, मात्रिक छंद के भेद, मात्रिक छंद के उदाहरण आदि को
भी देखा। अगर ऐसी ही विषयों पर जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट पर बने रहें। साथ
ही आप हमें उस विषय पर भी सवाल पूछ सकते हैं जिसके बारे में आप जानना चाहते
हैं..यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो दोस्तों के साथ शेयर कीजिए।
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FAQs
छंद किसे कहते हैं?
छंद का अर्थ है ताल या लय। तुक, मात्रा, लय, विराम, वर्ण आदि के नियमों में आबद्ध पंक्तियां छंद कहलाती हैं।
छंद के कितने भेद होते हैं?
छंद के तीन भेद होते हैं.., क. मात्रिक छंद, ख.
वार्णिक छंद, ग. मुक्तक छंद
मात्रिक छंद किसे कहते हैं?
जिन छंदों में केवल मात्रा की गणना के आधार पर पद रचना की जाए उन्हें मात्रिक छंद कहते हैं।