Chameleon-like people | Hindi Kavita: इस दुनिया में हर इंसान का एक चेहरा होता है, लेकिन कुछ लोगों के कई चेहरे होते हैं. ये लोग गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं. परिस्थिति के अनुसार, मतलब के हिसाब से, और समय देखकर. जब आपको उनकी ज़रूरत होती है, वे गायब हो जाते हैं; लेकिन जब उन्हें आपकी ज़रूरत होती है, तो अचानक बहुत अपने बन जाते हैं. ये वही लोग हैं जो सामने मीठा बोलते हैं और पीठ पीछे ज़हर घोलते हैं. ऐसे लोग न रिश्ते निभा पाते हैं, न भरोसे की लाज रख पाते हैं. वे हर मोड़ पर खुद को बदल लेते हैं, जैसे गिरगिट पेड़ की छाल देखकर अपना रंग बदलता है.
गिरगिट जैसे लोग | Chameleon-like people
Life experiences
यार-प्यार
भाईचारा-रिस्तेदार;
हर रिश्ते को करीब से देख चुका हूँ मैं...;
छल-कपट से बखूबी परिचित हूं,
कौन कितने पानी में है;
डुबकी लगाकर देख चुका हूँ मैं...;
बचपन मंदबुद्धि लोगों के बीच बीता,
तो जवानी गिरगिट जैसे लोगों में;
घाट-घाट का पानी ना सही,
लेकिन लोगों का ज़ायका देख चुका हूँ मैं।।
संजय यादव
यह कविता मानवीय संबंधों की जटिलता और उसमें व्याप्त धोखे पर एक गहरी टिप्पणी है. कवि ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से रिश्तों की पड़ताल की है, जहां उन्हें यार-प्यार से लेकर भाईचारा-रिश्तेदारों तक हर रिश्ते का करीब से अनुभव मिला. यह कविता दर्शाती है कि कैसे कवि ने जीवन के विभिन्न चरणों में, खासकर कपटी और अवसरवादी लोगों के बीच रहते हुए, दूसरों की सच्ची प्रकृति को पहचाना है.
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