Mahakavya | महाकाव्य की परिभाषा, विशेषताएं (लक्षण व तत्व)

By Ranjan Gupta

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Mahakavya | महाकाव्य की परिभाषा, विशेषताएं (लक्षण व तत्व) नमस्कार दोस्तों ! हिंदी व्याकरण (Hindi Vyakaran)
के एक और लेख में आपका स्वागत है।
 चूंकि PoemsWala को आपलोग सपोर्ट कर रहे हैं इस वजह से भी पोस्ट या फिर आर्टिकल
लिखने तथा उसे शेयर करने के लिए हम प्रतिबद्ध है। इस पोस्ट में हम महाकाव्य के
बारे में आपको विस्तार से बताने वाले हैं। हम जानेंगे कि महाकाव्य किसे कहते हैं
 ? महाकाव्य की परिभाषा क्या है ? महाकाव्य
की विशेषताएं क्या है
?
उदाहरण सहित आदि की जानकारी आपको यहां
मिलेगी।
  Mahakavya, MahaKavya
kise kahte hain ? Mahakavya ki paribhasha, Mahakavya ki vishestaen, FAQs

इस लेख में हम काव्य और
उसकी परिभाषा नहीं पढ़ेंगे बल्कि उसके आगे की चीजों के बारें मे जानेंगे। लेख
ज्यादा बड़ा और बोरिंग ना हो जाए इसके लिए हम सिर्फ महाकाव्य के बारें में
जानेंगे। ये पोस्ट आप पढ़ रहे हैं इसका मतलब है कि आपको काव्य के बारे में पता है।
तो चलिए जानते हैं
 

ये भी पढ़ें Prabandh Kavya | प्रबंध
काव्य
; परिभाषा, भेद व
उदाहरण

महाकाव्य | Mahakavya

Mahakavya | महाकाव्य की परिभाषा - Poems Wala
Mahakavya | महाकाव्य की परिभाषा

महाकाव्य अच्छे से समझ में आए उसके लिए आपको
थोड़ा पीछे ले चलते हैं।
 शुरुआत काव्य से ही करनी पड़ेगी
क्योंकि ये सभी काव्य के ही भेद हैं।
 काव्य के
मुख्यतः दो भेद होते हैं।
 श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य। श्रव्य काव्य वह है जो कानों से सुना अथवा मुख से पढ़ा जाता है।
दृश्य काव्य वह है जो अभिनय के माध्यम से देखा सुना जाता है जैसे नाटक एकांकी आदि।

श्रव्य काव्य के
दो भेद होते हैं
 प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य प्रबंध काव्य
में कोई धारावाहिक कथा होती है। अर्थात किसी कथायुक्त श्रव्य को प्रबंध काव्य कहा
जाता है।

महाकाव्य की परिभाषा | Mahakavya ki
Paribhasha

प्रबंध काव्य के भी दो प्रकार होते हैं जो निम्मलिखित है-

  1. महाकाव्य
  2. खण्डकाव्य

. महाकाव्य: लंबी
कथाओं को उसकी सभी खंडो को समाहित करते हुए उसके अन्य पात्रों एवं साथियों को
इसमें वर्णित किया जाता है। उदाहरण के लिए लोकादर्श
, उदान्त
शैली का रचना जैसे हरिऔधजी का काव्य-ग्रंथ:
 प्रियप्रवास

. खण्डकाव्य: जब
किसी लोकनायक के जीवन के किसी एक अंश या खण्ड पर आधारित काव्य की रचना की जाती है
तो उसे खण्डकाव्य कहते हैं। उदाहरण- दिनकर जी का खण्डकाव्य – रश्मिरथी

ये भी पढ़ें : Chhand kise kahte hain | छंद की परिभाषा,
अंग व भेद उदाहरण सहित

भारतीय आचार्यों के अनुसार महाकाव्य का अर्थ

👉 भारतीय काव्यशास्त्र में महाकाव्य की परिभाषा सबसे
पहले आचार्य भामह ने दी। उन्होनें अपनी रचना काव्यालंकार में इसकी परिभाषा का
जिक्र किया है। आचार्य भामह के अनुसार
:-  “महाकाव्य सर्गबद्ध होता है। वह महानता का महान प्रकाशक होता है। उसमें निर्दोष शब्दार्थ, अलंकार
और सद्वस्तु होनी चाहिए।
उसमें
विचार-विमर्श
, दूत, प्रयाण,
युद्ध, नायक का अभ्युदय; यह पांच संधियां हों।

👉 आचार्य भामह के पश्चात आचार्य दंडी ने अपनी
रचना ‘काव्यादर्श’ में महाकाव्य की परिभाषा दी है।
दंडी के अनुसार – “महाकाव्य वह है
जिसका कथानक इतिहास सम्मत अथवा प्रसिद्ध कथानक हो
, जिसका
नायक चतुर तथा उदात्त हो
, जो विविध अलंकारों तथा रसों से पूर्ण
हो
, वृहद तथा पंचसंधियों से युक्त हो। तो वहीं आचार्य हेमचंद्र ने भी महाकाव्य की परिभाषा बतलायी है।

👉 महाकाव्य की परिभाषा देते हुए आचार्य कहते हैं
 “महाकाव्य संस्कृत, प्राकृत
और अपभ्रंश की प्रायः ग्रामीण भाषा में निबद्ध
, विभिन्न
सर्गों के अंत में विभिन्न वृतों के प्रयोग
, स्कन्द
– बद्ध
, संधियुक्त तथा शब्दार्थ-वैचित्रय से पूर्ण होता
है।

ये भी पढ़ें : Alankaar – अलंकार की परिभाषा, भेद व उदाहरण

पाश्चात्य आचार्यों के के अनुसार महाकाव्य की
परिभाषा

💬 महाकाव्य की परिभाषा तथा स्वरूप को स्पष्ट करते
हुए अरस्तू लिखते हैं-
महाकाव्य वह काव्य है जिसमें कथात्मकअनुकृति
की प्रधानता होती है।
इसकी
रचना हेक्सामीटर ( षट्पदी छंद ) में होती है।
इसका कथानक दुखांत नाटक के समान अन्विति-युक्त होता है। इसमें किसी
आद्यंत घटना का पूर्ण वर्णन होता है। कथावस्तु में आदि
, मध्य
और अंत का सजीव एवं हृदयस्पर्शी वर्णन होता है। इसमें पाठकों को समुचित आनंद प्रदान
करने का सामर्थ्य होता है।

💬 सी एस बावरा के अनुसार – “महाकाव्य एक वृहद कथात्मक काव्य रूप है। इसमें कुल पात्रों के क्रियाशील एवं भयंकर कार्यों से पूर्ण जीवन की
कथा होती है।
ये घटनाएं तथा पात्र जीवन के कार्य,
मानव महत्ता, गौरव तथा उपलब्धियों के प्रति आस्था
दृढ़ करते हैं। अतः हम उनसे आनंद प्राप्त करते हैं।

ये भी पढ़ें  Muktak Kavya | मुक्तक काव्य; परिभाषा,
प्रकार एवं उदाहरण

महाकाव्य की विशेषताएं | Mahakavya ki
Vishestaen

Mahakavya | महाकाव्य की विशेषताएं
Mahakavya | महाकाव्य की विशेषताएं

महाकाव्य के लक्षण | Mahakavya ke
lakshan

  • महाकाव्य का प्रधान रस शृंगार, वीर और शांत होना चाहिए। अन्य रस गौण रूप में आने चाहिए। महाकाव्य का
    नामकरण कवि
    , नायक, नायिका या वृत्त
    के आधार पर होना चाहिए।
  • महाकाव्य सर्गबध्द हो, इसमें
    कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। कथा के आधार पर सर्गों का नामकरण हो और सर्ग के अंत
    में आगामी कथा की सूचना होनी चाहिए।
  • महाकाव्य का नायक देवता या उच्च कुल में
    उत्पन्न धीरोदात्त गुणों से संपन्न होना चाहिए। महाकाव्य का कथानक ऐतिहासिक
    ,
    पौराणिक या लोकप्रसिध्द होना चाहिए।
  • धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में से किसी एक या अनेक का संबंध महाकाव्य के उद्देश्य
    से होना चाहिए।
  • महाकाव्य का आरंभ मंगलाचरण या आशीर्वचन से होना
    चाहिए। इसमें दुष्टों की निंदा और सज्जनों की प्रशंसा होनी चाहिए।
  • वर्णन की विविधता भी महाकाव्य में होनी चाहिए।
    यह वर्णन सूर्य
    , चंद्र, रात्रि,
    सुबह, प्रकाश, अंधकार,
    पर्वत, नदी, झरने,
    पेड़-पौधे, समुद्र, नगर,
    युध्द, विवाह आदि अवसरों के अनुसार होना
    चाहिए।

महाकाव्य के मूल
तत्व | Mahakavya ke mul tatva

समस्त लक्षणों का समन्वय करने पर महाकाव्य के
सात तत्त्व सामने आते हैं। जिनका विवेचन निम्नप्रकार से हैं :-

1) कथानक :- महाकाव्य
का कथानक इतिहास
, पुराण और लोक प्रसिध्द कथा के आधार पर
होता है। इसकी कथा जीवन की पूर्ण झाँकी प्रस्तुत करती है। महाकाव्य की कथावस्तु का
प्राण कोई घटना होती है। उसी घटना पर उसकी पूरी कथा आधारित रहती

2) चरित्र-चित्रण :- महाकाव्य का नायक देवता या उच्चकुलीन, धीरोदात्त,
चतुर, वीर आदि गुणों से संपन्न होता है। इसका
नायक धर्म का विकास और अधर्म का नाश करनेवाला होता है। महाकाव्य में प्रतिनायक
(खलनायक) भी होता है।

3) युग-चित्रण :- महाकाव्य में युग विशेष का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया जाता है।
अवान्तर कथाओं
, विविध वर्णनों, भागों,
समारोहों आदि के माध्यम से महाकाव्य में उस युग का समग्र चित्र खींचा
जाता है। महाकाव्य में सामाजिक
, धार्मिक, राजनीतिक,
सांस्कृतिक आदि सभी परिस्थितियों और भावनाओं का अंकन होता है। अतः हम
कह सकते है कि महाकाव्य युग-विशेष का दर्पण होता है।

4) रस-भाव :- महाकाव्य
के विशाल कलेवर में सभी रसों का वर्णन आवश्यक है। शृंगार
, वीर
और शांत रसों में से कोई एक महाकाव्य का प्रधान रस होता है। अन्य रसों की स्थिति
गौण रूप में रहती है। ये अन्य रस सहायक रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। महाकाव्य
में रसभाव की निरंतरता पर विशेष बल दिया जाता है।

5) छंद-योजना :- महाकाव्य के प्रत्येक सर्ग में एक ही छंद का प्रयोग होता है और सर्ग
के अंत में छंद परिवर्तन होता है। छंद चमत्कार
, वैविध्य
या अद्भुत रस की निष्पत्ति के लिए एक ही सर्ग में अनेक छंदों के प्रयोग को नकारा
नहीं जा सकता।

ये भी पढ़ें कविता किसे कहते है (What is Poetry) | कविता की परिभाषा

संस्कृत व हिंदी के महाकाव्य 

संस्कृत के महाकाव्य 

रामायण (वाल्मीकि)

महाभारत (वेद व्यास)

बुद्धचरित (अश्वघोष)

भट्टिकाव्य (भट्टि)

भट्टिकाव्य (भट्टि)


हिंदी के महाकाव्य

पद्मावत मलिक – (मुहम्मद जायसी)

रामचरितमानस – (तुलसीदास)

साकेत – (मैथिलीशरण गुप्त)

प्रियप्रवास – (अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)

कृष्णायन – (द्वारका प्रसाद मिश्र)

कामायनी – (जयशंकर प्रसाद)

उर्वशी – (रामधारी सिंह ‘दिनकर’)

 

अंत के शब्द

आशा करता हूं कि ये
आर्टिकल आपको पसंद आयी होगी। अब आप जान गए होंगे कि महाकाव्य किसे कहते हैं
, महाकाव्य की विशेषताएं, इसके लक्षण व तत्व क्या हैं। Mahakavya,
 MahaKavya kise kahte hain ? Mahakavya ki
paribhasha, Mahakavya ki vishestaen,
mahakavya
ke lakshan and Tatva  FAQs
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जरूर बताइएगा। आपने यहां तक पढ़ा इसके लिए धन्यवाद !

और भी पढ़ें :  

Shabd Vichar | शब्द की परिभाषा, भेद व उदाहरण | हिंदी व्याकरण

Muktak chhand | मुक्तक छंद की परिभाषा, भेद तथा उदाहरण

FAQS: महाकाव्य

महाकाव्य की परिभाषा लिखें ?

लंबी कथाओं को उसकी सभी खंडो को समाहित करते हुए उसके अन्य पात्रों एवं साथियों को इसमें वर्णित किया जाता है। उदाहरण के लिए लोकादर्शउदान्त शैली का रचना जैसे हरिऔधजी का काव्य-ग्रंथ: प्रियप्रवास

महाकाव्य के कितने मूल तत्व हैं ?

महाकाव्य के सात मूल तत्व हैं जैसे – कथानक, चरित्र-चित्रण इत्यादि 

महाकाव्य किसका भेद है ?

महाकाव्य प्रबंध काव्य का एक भेद हैं..दूसरा भेद मुक्तक काव्य है..

Thank You So Much For Reading This. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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