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Khand Kavya | खंड काव्य की परिभाषा, उदाहरण, लक्षण एवं विशेषताएं

By Ranjan Gupta

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Khand Kavya

Khand Kavya | खंड काव्य :- Hello दोस्तों, हिंदी व्याकरण के खंड काव्य प्रकरण में आप सभी का स्वागत है। काव्य तथा उसके भेद के बारे में हमने संक्षिप्त में देखा है लेकिन इसमें हम खंड काव्य (Khand Kavya) के बारें में विस्तार से जानेंगे। इसमें खंड काव्य की परिभाषा (Khand Kavya ki paribhasha), खंड काव्य का उद्देश्य (Khand Kavya ka uddeshya), खंड काव्य के उदाहरण (Khand kavya ke udaharan), खंड काव्य के तत्व (Khand Kavya ketatva) खंड काव्य और महाकाव्य के बीच अंतर (Khand Kavya aur Mahakavya ke beech Antar) तथा खंड काव्य की विशेषताएं (Khand kavya ke lakshan v vishestayen) के बारे में पढ़ेंगे…तो चलिए बिना किसी देरी के शुरु करते हैं…

खंड काव्य की परिभाषा | Khand Kavya ki paribhasha

खंड काव्य किसे कहते हैं? प्रबंध काव्य का एक ऐसा भाग जिसमें किसी महापुरुष के किसी एक विशेष घटना का जिक्र हो उसे खंड काव्य (Khand Kavya) कहते हैं।’खंड काव्य’ की संस्कृत साहित्य में जो एकमात्र परिभाषा उपलब्ध है, वह इस प्रकार है-

भाषा विभाषा नियमात् काव्यं सर्गसमुत्थितम्।
एकार्थप्रवणै: पद्यै: संधि-साग्रयवर्जितम्।
खंड काव्यं भवेत् काव्यस्यैक देशानुसारि च।

खंड काव्य; प्रबंध काव्य का एक भाग है जिसमें किसी व्यक्ति वस्तु के जीवन की किसी विशेष घटना का वर्णन किया जाता है। इसमें मानव जीवन के किसी एक घटना की प्रधानता रहती है। इसमें मानव जीवन की मार्मिक अनुभूती का पूर्णत: चित्रण किया जाता है। खंड काव्य मुख्य रुप से ऐसे काव्यों का अनुसरण करता है जिसकी रचना महाकाव्य के आधार पर की गई हो। 

ये भी पढ़ें: Kavya | काव्य का अर्थ, परिभाषा व लक्षण

खंड काव्य और महाकाव्य के बीच अंतर | Khand Kavya aur Mahakavya ke beech Antar

दोनों के बीच प्रमुख अंतर की बात करें तो महाकाव्य की कथावस्तु में समग्र जीवन का वर्णन होता है और खंडकाव्य मेंजीवन के किसी एक अंग या पक्ष का वर्णन किया जाता है।

Khand Kavya | खंड काव्य की परिभाषा, उदाहरण, लक्षण एवं विशेषताएं
khand kavya

खंड काव्य का उद्देश्य | Khand Kavya ka uddeshya

खंडकाव्य में कवि का मुख्य उद्देश्य किसी घटना, प्रसंग या किसी सामाजिक समस्या का चित्रण करना होता है। इसमें कवि जीवन के किसी विशेष पहलू की व्याख्या करता है। केवल इतना ही नहीं खंडकाव्य में सामयिक उपदेश का चित्रण भी किया जाता है।

खंड काव्य के उदाहरण | Khand kavya ke udaharan

पंचवटी, नहुष, जयद्रथ वध, मिलन, पथिक, सुदामा चरित्र, गंगावतरण, जय हनुमान, हल्दीघाटी आदि खंडकाव्य के प्रमुख उदाहरण है।

 ये भी पढ़ें: Kavya Prayojan | काव्य प्रयोजन का अर्थ एवं परिभाषा

खंड काव्य के लक्षण व विशेषताएं | Khand kavya ke lakshan v vishestayen

खंड काव्य के लक्षण की बात करें तो यह एक प्रबंधकाव्य का प्रकार हैं। इसमें जीवन के किसी एक मार्मिक पक्ष का चित्रण सीमित रूप में होता है। खंडकाव्य अपने आप में संपूर्ण होता है। इसमें प्रासंगिक कथाओं का प्रायः अभाव होता है। खंडकाव्य में चरित्र-चित्रण, वातावरण आदि की योजना संक्षिप्त रूप में होती है। महाकाव्य की तरह खंडकाव्य का उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति है। खंडकाव्य में एक ही रस की प्रधानता होती है। अन्य रस सहायक रूप में संक्षेप में आते हैं।

खंड काव्य के तत्व | Khand Kavya ke tatva

1) कथावस्तु:- चूंकि इसमें महाकाव्य की तरह कथावस्तु में पूरे जीवन का वर्णन नहीं होता है इसलिए ये मुलत: संक्षिप्त होता है। हालांकि यह अपने आप में संपूर्ण और प्रभावशाली होती है। खंडकाव्य में जीवन के किसी एक अंग या पक्ष का वर्णन किया जाता है। इसमें एक ही मुख्यकथा रहती है, प्रासंगिक कथाओं का प्रायः अभाव रहता है।

2) चरित्र-चित्रण:- खंडकाव्य में प्राय: व्यक्ति के संपूर्ण चरित्र-चित्रण नहीं की जाती है। इसमें कहानी और एकांकी की तरह व्यक्ति के चरित्र के एक अंश की बात करती है। इसमें पात्रों की संख्या बहुत कम रहती है। चरित्र-चित्रण में सजीवता, स्वाभाविकता आदि गुण होना चाहिए।

3) संवाद:- महाकाव्य की अपेक्षा खंडकाव्य के संवाद संक्षिप्त होते हैं। लंबे-लंबे संवादों की यहाँ गुंजाइश नहीं होती। खंडकाव्य के संवाद ऐसे होने चाहिए कि जिससे कथानक को गति मिले। इसके संवाद संक्षिप्त, रोचक, चुस्त, पात्रानुकूल, सरल एवं प्रभावपूर्ण होने चाहिए।

4) रस-वर्णन :- खंडकाव्य के लघु रूप होने के कारण इसमें अनेक रसों का वर्णन नहीं हो पाता है। इसमें एक ही रस प्रमुख रहता है। अन्य रसों का वर्णन प्रसंगवश किया जाता है, परंतु विस्तार से नहीं।

5) भाषा-शैली :- महाकाव्य के समान खंडकाव्य की भाषा भी गरिमामय और उदात्त होती है। इसकी भाषा में सरलता, सजीवता, कलात्मकता, संगीतात्मकता, प्रभावोत्पादकता आदि गुण होना आवश्यक।

6) उद्देश्य :- खंडकाव्य का उद्देश्य महाकाव्य के समान धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति होता है। इसका उद्देश्य जीवन में आदर्श स्थापित करना, राष्ट्रभक्ति और सत्य का उद्घाटन करना आदि भी माना जाता है। लेकिन इसके उद्देश्य में महाकाव्य जैसी भव्यता नहीं होती।

ये भी पढ़ें: Mahakavya | महाकाव्य की परिभाषा, विशेषताएं (लक्षण व तत्व)

निष्कर्ष

तो आपको खंड काव्य की परिभाषा (Khand Kavya ki paribhasha), खंड काव्य का उद्देश्य (Khand Kavya ka uddeshya), खंड काव्य के उदाहरण (Khand kavya ke udaharan), खंड काव्य के तत्व (Khand Kavya ke tatva) खंड काव्य और महाकाव्य के बीच अंतर (Khand Kavya aur Mahakavya ke beech Antar) तथा खंड काव्य की विशेषताएं (Khand kavya ke lakshan v vishestayen) के बारे में देख लिया है। आपको ये जानकारी समझ में आयी हो तो आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं। आप Ratingswala को भी विजिट कर सकते हैं।

FAQs Khand Kavya

खंड काव्य की परिभाषा लिखें

प्रबंध काव्य का एक ऐसा भाग जिसमें किसी महापुरुष के किसी एक विशेष घटना का जिक्र हो उसे खंड काव्य (Khand Kavya) कहते हैं।

खंड काव्य के उदारहण लिखें..

पंचवटी, नहुष, जयद्रथ वध, मिलन, पथिक, सुदामा चरित्र, गंगावतरण, जय हनुमान, हल्दीघाटी आदि खंडकाव्य के प्रमुख उदाहरण है।

खंड काव्य और महाकाव्य के बीच अंतर क्या है?  

महाकाव्य की कथावस्तु में समग्र जीवन का वर्णन होता है और खंडकाव्य मेंजीवन के किसी एक अंग या पक्ष का वर्णन किया जाता है।

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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