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बेरोजगारी पर कविता | Poem on Unemployment in Hindi

By Ranjan Gupta

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Poem on Unemployment in Hindi

Poem on Unemployment in Hindi: बेरोजगारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। ऐसे सैकड़ों-हजारों लोग हैं जिनके पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा, बढ़ती आबादी और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। हालात इसलिए भी विस्फोटक है, क्योंकि उच्च शिक्षित युवाओं की  तादाद में तेजी से इजाफा  हो रहा है। लेकिन नौकरियां नहीं। हालांकि, इसका एक बड़ा कारण ये हैं कि गुणवत्ता हीन उच्च शिक्षा में डिग्रीधारियों की तादाद तेजी से बढ़ाई है। ऐसे में वे शिक्षित तो हैं लेकिन उनके पास नौकरियां नहीं है।

इसी विषय पर Poems Wala ने आपके लिए लाया है बेरोजगारी पर कविता | unemployment पर बेहतरीन हास्य कविता.. आइए विस्तार से पढ़ते हैं Hindi poem on Unemployment.


कविता 1: शिक्षा और बेरोजगारी | Poem on Unemployment in Hindi

शिक्षा का दीप जलता है,
हर कोने में उजाला करता है।
पर अंधेरा फिर भी छाया है,
बेरोजगारी ने देश को घेरा है।

पढ़ाई का बोझ उठाए,
नवयुवक हर गली में जाए।
डिग्री लेकर फिरते हैं,
पर रोजगार कहाँ पाए?

स्कूलों में जो सपने दिखाए,
वो हकीकत से दूर ही जाए।
डिग्रियाँ तो हैं हाथों में,
पर नौकरियाँ नहीं दिखाई जाए।

शिक्षा तो दी है गुरुजनों ने,
पर काम की राहें बंद हैं।
क्या करेगा वो शिक्षा का,
जब पेट की भूख प्रबल है?

सरकारें योजनाएँ बनाती,
पर जमीं पर कम ही आतीं।
हर युवा का है एक ही सवाल,
बेरोजगारी की ये दीवार कब टूटेगी आखिरहाल?

आओ मिलकर कुछ करें,
नई राहों की ओर बढ़ें।
शिक्षा को रोजगार से जोड़ें,
हर युवा के सपनों को मोड़ें।

शिक्षा का सच्चा मोल तभी होगा,
जब हर हाथ को काम मिलेगा।
आओ मिलकर प्रण ये करें,
बेरोजगारी को हर हाल में हराएँ।

Dr. Arti


Poem on Unemployment in Hindi

कविता 2: शिक्षा का सपना, बेरोजगारी का दर्द | Hindi Poem on Unemployment

आसमान में उड़ने के ख्वाब सजाए,
हमने किताबों के पन्ने पलटाए।
शिक्षा के दीप जलाए हर गली,
फिर क्यों ये हाथ खाली रहे भली?

डिग्रियां लेकर घूमे हम द्वार-द्वार,
मिला न कोई काम, न कोई रोजगार।
सपने थे चमकने के सूरज की तरह,
पर असलियत में अंधेरा ही रहा हर पहर।

माँ-बाप ने जो उम्मीदें हमसे जोड़ी,
हमने मेहनत से हर रात तोड़ी।
पर जब बाजार में नौकरी नहीं,
तो पढ़ाई की अहमियत समझ में नहीं।

सरकारी वादे हवा में उड़ते,
युवाओं के सपने बस यूं ही टूटते।
डिग्री लेकर भी मजदूरी करनी पड़ी,
शिक्षा का मतलब क्या यही सिखाई गई?

शिक्षा वो दीप है जो राह दिखाए,
पर रोजगार की किरणें कब आएं?
खाली पेट न सपने सजते हैं,
और न ही उजाले दिन में जगते हैं।

आओ मिलकर सवाल उठाएं,
बेरोजगारी के अंधेरे को मिटाएं।
शिक्षा को सार्थक बनाना होगा,
हर युवा को रोजगार दिलाना होगा।


कविता 3: डिग्री और फटे जूते | शिक्षा और बेरोजगारी पर कविता

पैरों में फटे जूते, हाथों में डिग्री,
हर युवा के मन में है यही चुगली।
पढ़ाई की राह पर चला जो था,
अब नौकरी के दर पे खड़ा जो था।

गांव से शहर की ओर चल दिया,
सपनों का संसार साथ ले लिया।
कंप्यूटर की भाषा सीखी नई,
पर खाली जेब रही वही पुरानी।

इंटरव्यू में सवालों की बौछार होती है,
पर जवाब देने पर भी न नौकरी मिलती है।
क्यों ये शिक्षा बस कागज की क़ैद है,
जब रोजगार का सपना अधूरा ही रह जाता है?

किसी के घर में चूल्हा बुझा है,
किसी के सपनों का आसमान झुका है।
शिक्षा से जो उम्मीदें थी जुड़ी,
हर दरवाजे पर क्यों हाथ ही मुड़ी?

कहते हैं पढ़ाई से भविष्य बनता है,
पर क्या ये सच में सच साबित होता है?
जब तक हर हाथ को काम न मिले,
तब तक ये शिक्षा का दीप कैसे जले?

चलो मिलकर एक नई राह चुनते हैं,
बेरोजगारी की जंजीरें तोड़ते हैं।
हर युवा को गर सम्मान मिलेगा,
तभी देश का भविष्य संवरने लगेगा।


कविता 4: नौकरी का इंतजार | बेरोजगारी पर कविता

सुबह से शाम तक कतार में खड़े,
नौकरी के इंतजार में सपने पड़े।
शिक्षा के मंदिर में साधना की,
फिर क्यों जीवन में निराशा छाई?

डिग्री लेकर घर लौटे हम,
आंखों में उम्मीदें थीं कम।
सोचा था मिलेगा काम का सहारा,
पर बेरोजगारी ने बनाया बंजारों का कारवां।

हर गली में युवा बेबस खड़े हैं,
सपनों के टूटे शीशे बिखरे पड़े हैं।
कहते हैं देश बदल रहा है,
पर रोजगार का पहिया क्यों थम रहा है?

सरकारें आती हैं, वादे करती हैं,
पर रोजगार के मौके कम ही बनती हैं।
कागजों में योजनाएं बहुत सारी,
पर ज़मीनी सच्चाई है हारी।

शिक्षा का मकसद है रोशनी फैलाना,
पर जब पेट खाली हो, कौन पढ़ाना?
हर हाथ को जब तक काम नहीं मिलेगा,
तब तक ये अंधेरा कहां से हटेगा?

आओ मिलकर नया सफर शुरू करें,
बेरोजगारी को खत्म करने की बात करें।
हर युवा का सपना सच हो एक दिन,
तभी देश का हर कोना होगा सुनहरा बिन।

निष्कर्ष | Conclusion

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Ranjan Gupta

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