Gulzar top 15+ poems Hindi | 15+ best poems of Gulzar | Famous hindi poems by gulzar | Gulzar Sahab’s hindi poems | Gulzar’s poetry in Hindi | Gulzar’s best lines | Gulzar’s words | हैलो दोस्तों ! पोयम्स वाला के एक और ब्लॉग में आप
सभी का स्वागत है। इस बार हम आपके लिए गुलजार साहब की प्रसिद्ध कविताएं लेकर आए हैं। इसमें गुलजार की 15+ बेहतरीन कविताएं हैं जो आपके दिन बना देंगे। अगर आप कवि हैं या कविता में दिलचस्पी है तो आपको इसमें मजा आने वाला है। ये कविताएं आपके दिल को छू लेंगी। इसमें गुलजार साहब
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गुलजार की 15+ बेहतरीन कविताएं
गुलजार, भारतीय साहित्य और सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली
व्यक्तित्वों में से एक हैं। उनका नाम हर शायर, संगीतकार, लेखक और सिनेमा निर्देशक के दरबार में एक श्रद्धापूर्वक उच्च स्थान
रखता है। उन्होंने अपने कला सृजन के क्षेत्र में एक नए रूप को अपनाया और गुलजार
नाम को अपने आत्मा का एक हिस्सा बना लिया।
यहां लिखी गई कविताएं उनकी किताब तथा विभिन्न ब्लॉग से ली गई है।
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाए, मोहब्बत
कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।। – Gulzar
गुलज़ार की प्रमुख कविताएं
गुलजार का साहित्यिक यात्रा उनके कविताओं से ही शुरू हुई, जिनमें उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक, और प्रेम संबंधों के विभिन्न पहलुओं को सुंदरता के साथ छूने का प्रयास किया। उनकी भाषा सरल, सुगम और आसानी से समझने वाली होती है, लेकिन उसमें गहराईयों और रसभरी भावनाओं का संगम होता है। उनकी कविताएं आम जनता तक बहुत अच्छे से पहुंचती हैं और उनकी रचनाएं बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लोगों को प्रेरित करती हैं। गुलजार का शैली और रचनात्मकता उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती है। गुलजार की शायरी में दर्द, प्रेम, और जीवन के अनगिनत पहलुओं का सुंदर चित्रण होता है।
Spoiler
हिंदी में गुलज़ार की कविताएं
- खबर है
- रात
- युद्ध
- पतझड़
- बिमार याद
- चांद समन
- मॉनसून
- हनीमून
- अमलतास
- इक इमारत
- लिबास
- थर्ड वर्ल्ड
- आमीन
- मरियम
- आह
- मानी
- मुन्द्रे
कवि गुलजार की कविताएं
1. खबर है
शहरे-बग़दाद
है।
2. रात
अफ़सोस करने आई है कि मेरे घर पे
जो मर गया है दिन
हमजाद था उसका!
है कि मेरे घर में उसको दफ्न कर के,
दहलीज़ पे रख कर,
छोड़ दे कि मह्व है ये कब्र,
दूसरा आकर नहीं लेटे!
को कैसे बतलाऊँ,
दिन मेरे आँगन में यूँ आधे अधूरे से
ओढ़े पड़े हैं कितने सालों से,
मैं आज तक दफना नही पाया!!
3. युद्ध
से बहते-बहते इस साहिल तक आ पहुँचा है
मिट्टी फाँक रही है
अपना पिंड छुड़ाकर भाग रहे है
देर में लहरायेगा चाँद का परचम
फिर रण जीत लिया है
दिन फिर हार गया हूँ…..
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4 . पतझड़
लॉन में आकर गिरते हैं
छत पर जाके मैं आकाश को तकता रहता हूँ
कमज़ोर सा पीला चाँद भी शायद
सूखे पत्ते सा
मेरे लॉन में आकर उतरेगा
5. बीमार याद
रात उसके माथे पर,
ठंडे चाँद की पट्टी रख रखकर-
बूँद दिलासा देकर,
कोशिश की उसको ज़िन्दा रखने की !
से पहले लेकिन…
हिचकी लेकर वह ख़ामोश हुई !!
गुलजार की कविताएं हिंदी
Gulzar poetry – poems wala |
गुलजार ने हिंदी सिनेमा में भी अपनी ब्रिलियंट कला का प्रदर्शन किया है। उनका संबंध फिल्म उद्योग से शुरू होता है जब उन्होंने लाजवंत, काबुलीवाला, अनुराग, आंधी, मौसम, मैरी कॉम, अंगूर, पार्सी, पिन्कू, माचिस, आंधी, नमक हराम, नाम गुम जाएगा, किताब, खूबसूरत, जूही बाबा, राहगीर, और बगबान, जैसी कई महत्वपूर्ण फिल्मों की कहानी लिखी और निर्देशन किया।
उनकी फिल्मी कविताएं और गीत सिनेमा के दीर्घकलिक चरित्रों को जीवंत करने में मदद करती हैं और उन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। गुलजार का योगदान सिनेमा में उनकी शानदार रचनाओं के माध्यम से दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है।
6. चाँद समन
बदलकर,
लेता है मासूम से लोगों को अदा से !
हरजाई है, गलियों से गुजरता है,
से, बजाता हुआ सिटी—
है, जगाता है, बहुत लोगो को शब् भर
!
रात उफक से कोई,
निकले तो गिरफ्तार ही कर लो !!
7. मॉनसून
चढ़ा कर बारिश में
पेड़ों से ढकी सेंट पॉल रोड़ पर
मीच के बैठे रहो और कार की छत पर
सुनो तब बारिश की !
बदन कुछ हवा के झोंके
की शाखों पर चलते दिखते हैं
फिसलते पानी की तहरीर में उंगलियां चलती हैं
कुछ
सतरें याद आती हैं
की सिम्फनी में !!…….
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8. हनीमून
हार सा लगता है समन्दर के गले में !
गाडी पे बहुत दूर तलक सैर करेंगे
की टापों से लगता है कि कुछ देर के राजा है हम !
ऑफ इंडिया पे देखेंगे हम ताज महल होटल
आते हैं विलायत से हनीमून मनाने ,
ठहरते हैं यही पर !
रात तो फुटपाथ पे ईंट रख कर ,
लेते हैं बिरयानी जो ईरानी के होटल से मिली है
रात मना लेंगे “हनीमून” यहीं जीने के नीचे !
9. अमलतास
अमलतास का इक पेड़, ज़रा दूर, अकेला-सा खड़ा था
पंखों की तरह खोले हुए
परिन्दे की तरह
थे उसे रोज़ परिन्दे आकर
सुनाते थे वि परवाज़ के क़िस्से उसको
दिखाते थे उसे उड़ के, क़लाबाज़ियाँ खा के
छू के बताते थे, मज़े ठंडी हवा के!
हाथ पकड़ कर शायद
उड़ने की कोशिश की थी
मुँह बीच-सड़क आके गिरा है!!
10. इक इमारत
शायद,
सर में बसी है.
चढ़ते-उतरते हुए जूतों की धमक,
सर में
में खड़े लोगों की सरगोशियाँ,
हूँ कभी
पहने
हुए काले लबादे सर तक,
हैं, भूतिया महलों में उड़ा करती हैं
जैसे
है शायद!
तार चटख़ते हैं नसों में
के आँखें,
पलकों की झपकाके बुलाता है किसी को!
जलते हैं तो महकी हुई ‘गन्दुम‘ के धुएँ में,
खोल के कुछ चेहरे मुझे देखते हैं!
सुनते हैं जो मैं सोचता हूँ !
मिट्टी
का घर है
है, जो फ़क़त घूमती ही रहती है
कोई, मेरे सर में बसा है शायद!
गुलजार साहब की कविताएं
Gulzar poetry -poems wala |
उनके शैली में एक अद्वितीयता है, जो उन्हें हिंदी साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अनूठा बनाती है। गुलजार का कल्पनाशील और विचारशील दृष्टिकोण साहित्यिक और सिनेमाग्रंथों में अद्वितीय स्थान बनाता है और उन्हें एक अमूर्त कला के सर्वोत्तम प्रतिष्ठान में रखता है।
उन्होंने नहीं सिर्फ साहित्य रचना किया है, बल्कि सिनेमा में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। गुलजार ने निर्देशन में ‘अंधाधुन‘, ‘माचिस‘, और ‘अंगूर‘ जैसी फिल्मों के लिए अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने इन फिल्मों के माध्यम से दर्शकों को हंसी और सोचने पर मजबूर किया है।
11. लिबास
ख़ुश-रंग लिबास!
धोता हूँ हर बार उसे और सुखा के फिर से
हाथों से उसे इस्त्री करता हूँ मगर
करने से जाती नहीं शिकनें उस की
से गिले-शिकवों के चिकते नहीं मिटते!
किस क़दर आसाँ होती
गर होते लिबास
लेते क़मीज़ों की तरह!
12. थर्ड वर्ल्ड
बस्ती में मेरा कोई नहीं रहता था,
बच्चे, मर्द कई और उम्र रसीदा लोग सभी,वो
सर पे जलते हुए शहतीर गिरे
मेरा कोई नहीं था।
जो कच्चा पक्का था और बनते बनते खाक हुआ
मलबे में वो सब कुछ दफ़न हुआ जो उस बस्ती का
कहलाता था
स्कूल में-
से कोई कभी पढ़ने न गया न अब जाता था
दुकान थी कोई
सामान कहीं ।
दूर से देख रहा था
कुछ खुफ़िया हाथों ने जाकर आग लगाई थी ।।
देखा है दिल में ये खौफ बसा है
बस्ती भी वैसी ही एक तरक्की करती बढ़ती बस्ती है
तरक्कीयाफ़्ता कुछ लोगों को ऐसी कोई बात पसंद नहीं।।
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13. आमीन
खोलकर दे दो
बोल उतारो, जुबां से आवाज़ें
से लकीरें उतारकर दे दो
दे दो
अपनी ‘खुदी‘ भी की ‘खुद‘
नहीं हो
तुम
रूह से ये जिस्म का हसीं गहना
से तो ‘आमीन‘ कहके
रूह दे दो ||
14. मरियम
पाक, पुर्सुकुं, गमगीं
साया नहीं है पानी पर
सिलवट नहीं है आँखों में
जाये दर्द को जैसे
मरियम उडाद बैठी हो
चेहरा हटाके चेहरे का
एहसास रख दिया हो वहाँ ||
15. आह!
सांसों में सांप रहते हैं
एक सांस ने इक बार
था हसी क्लियोपेत्रा को
होटों पे अपने लब रखकर
सारी साँसों को ‘बीबा‘
आदत है ज़हर पीने की ||
गुलजार की कविता हिंदी में
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गुलजार को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिसमें उन्हें ओस्कर पुरस्कार, गोल्डन चक्र पुरस्कार, और फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें भारत सरकार ने ‘पद्मा भूषण‘ से सम्मानित किया है, जो उनकी कला में उत्कृष्टता को पहचानता है।
16. मानी
से होकर
से गुज़री है कागज़ की कश्ती
के लावारिस पानी पर बैठी बेचारी कश्ती
आवारा गलियों से सहमी-सहमी पूछ रही हैं
कश्ती का साहिल होता है तो-
क्या साहिल होगा?
मासूम-से बच्चे ने
को मानी देकर
के कागज़ पर कैसा ज़ुल्म किया है
17. मुन्द्रे
मिला रहा है कोई
शफ्फाफ़ काँच का दरिया
जाता है किनारों से
गूँजता है कानो में
झपका के देखती हैं शमएं
फ़ानूस गुनगुनाते हैं
मुन्द्रों की तरह कानो में
आवाज़ पहन रक्खी है
दिल छू लेने वाली गुलजार की कविताएं
समाप्त करते हुए, गुलजार का योगदान हिंदी साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और उनका नाम एक ऐसे संगीत, शब्द, और छवि कला के सफल समन्वय का प्रतीक है।
तो यह थी गुलजार की बेहतरीन और प्रसिद्ध कविताएं… आपको ये कविताएं कैसी लगी, आप हमें कमेंट
सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं। इस तरह की कविता, शायरी, स्टेटस, कोट्स, मुक्तक इत्यादी के लिए
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FAQS: Poems wala
गुलजार का वास्तविक नाम क्या है ?
उनका वास्तविक नाम संपूर्ण सिंह कालरा है तथा
उपनाम गुलजार दिनवी है जो बाद में सिर्फ गुलज़ार हो गया।
गुलजार का जन्म कब और कहां हुआ था ?
गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में
दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में
हुआ था, जोकि अब पाकिस्तान में है।
गुलजार की पत्नी का नाम क्या है ?
गुलज़ार की शादी तलाकशुदा अभिनेत्री राखी गुलजार
से हुई हैं। हालंकि उनकी बेटी के पैदाइश के बाद ही यह जोड़ी अलग हो गयी।
लेकिन गुलजार साहब और राखी ने कभी भी एक-दूसरे से तलाक नहीं लिया।
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