Mahesh Balpandey | Hindi kavita | Short poems in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज के इस ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। हमारे प्लेटफॉर्म पर प्रतिदिन नई नई कविताएं पोस्ट की जाती है। Poemswala साइट कवियों को सपोर्ट करते आई है। इस कड़ी में आज हमारे कवि महेश बालपांडे जी की कविताएं लेकर आए हैं जो आपको खूब पसंद आने वाली है। अगर आपको ये कविताएं अच्छी लगती हैं तो आप इन्हें सपोर्ट कर सकते हैं। आप हमारी साटइ को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं।
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गद्दारों की पहचान {पुत्र – पिता संवाद}
बेटे ने मुझसे आज मेरे पूछा,
पापा ये गद्दार किसे कहते है।
उससे कहा मैंने बड़ी सोच के बाद,
गद्दार वो है जो अपने आप का भी नही होता है।
बेटे ने फिर से पूछा,
इनका कहांँ बसेरा होता है।
मैंने कहा हर गांँव, हर नगर,
अपनों के बीच भी इनका डेरा होता है।
मैंने उससे पूछा इनकी पहचान तू कैसे करेगा?
बड़ा होकर तू इनसे कैसे बचेगा?
बस याद रखना कुछ बातें इस पिता की,
मांँ-बाप के सिवा किसी पर भरोसा मत करना।
बेटे तेरे लिए ये सवाल ये जवाब नया है,
तेरे दिल में ये कैसा आज बवाल है।
क्या किसी ने तेरे साथ कुछ गलत किया है,
या तूने भी किसी को धोखा दिया है।
बेटे ने कहा बात धोखे की नहीं पापा,
गद्दारी तो मेरे खून में भी नहीं है।
आपका चेहरा ही ये बात बयाँ करता है,
आज आपने भी किसी से धोखा खाया है।
हांँ बेटा कुछ लोग पीठ पीछे खंजर भोंक देते हैं,
थोडी खुशी के लिए अपना ईमान तक बेच देते हैं।
अच्छा है बेटा ऐसा मैंने कभी किया नहीं है,
सच बात बताऊ बेटा एक राज़ की,
उन्होने धोखा दिया नहीं मैंने धोखा खाया हैं।
उनकी फितरत तो पहले से ही वही थी,
शायद उनकी करतुते अपनी जगह सही थी।
उनको वफा करना कभी नहीं आता था,
क्योंकि गद्दारी से उनका रगरग का नाता था।
मुझे नहीं पता बेटा ऐसे लोगों को क्या मिलता है,
कैसे इनसे औरों का सुख चैन छिना जाता है।
वक्त एक दिन अपनी करवट बदलेगा,
इनका भी हिसाब यहीं होगा हांँ यहीं होगा।
डाॅ. महेश बालपांडे
अफवाहों का बाजार
चली चली रे गली गली,
अफवाहों की लहर चली।
जो देखा उसे सच माने,
औरो से फिर बात कही।
लोगों को तो देखो जरा,
खुद होते हैं झूठे पाखंडी।
दूसरों को बदनाम करना,
इनकी होती है आदत गंदी।
खुद तो घाट-घाट का पानी पीते,
बातें करते यारों बड़ी-बड़ी।
जब भी देखे नर-मादा बतियातें,
इनकी सांसे रहती अटकी।
चेहरा गोरा, मन है काला काला,
खुद को समझे कोई धर्मेंद्र व मधुबाला।
दिन भर करते इसकी-उसकी चुगली,
दूसरों के नाम की जपते माला।
हे ईश्वर, हे परमेश्वर बचाओं,
जंतर मंतर से दूर भगाओं।
हो सके तो इन्हे सद्बुद्धि देना,
या फिर हमको या इनको उठाओ।
Mahesh Balpandey
मेरे हमदम
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यूंँ ना मुझे तड़पाओं,
थोड़ा करीब तो आओं।
इन यादों में, इन वादों में,
मुझे ना यूँ सताओं।
ये तेरा लहराता आँचल,
ये तेरी आँखों का काजल।
उड़ती रेशमी जुल्फों से,
मुझे ना यूँ बहलाओं।
किसी से ना ये कभी कहना,
तुम हो मेरा अधूरा सपना।
तुमसे ही है दुनिया मेरी,
मुझे ना यूँ आजमाओं।
मांगी है खुदा से मैंने वो,
मेरी हो तुम प्यारी इबादत।
तुमसे ही है मेरी खुशियांँ,
मुझे ना यूंँ भुलाओंं।
डाॅ. महेश बालपांडे
in Hinglish
yuunan naa mujhe tadapaaon,
thodaa kariib to aaon.
in yaadon men, in vaadon men,
mujhe naa yuun sataaon.
ye teraa laharaataa aanchal,
ye terii aankhon kaa kaajala.
udatii reshamii julphon se,
mujhe naa yuun bahalaaon.
kisii se naa ye kabhii kahanaa,
tum ho meraa adhuuraa sapanaa.
tumase hii hai duniyaa merii,
mujhe naa yuun aajamaaon.
maangii hai khudaa se mainne vo,
merii ho tum pyaarii ibaadata.
tumase hii hai merii khushiyaanan,
mujhe naa yuunan bhulaaonam.
निष्कर्ष
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