Zindagi par kavita, Zindagi poems in hindi: व्यक्ति की सोच, दृष्टिकोण, मनोवृति अर्थात मानसिकता, व्यक्ति का नजरिया अच्छा हो तो जिंदगी बदल देता है। लोग उसके साथ-साथ बहुत ही लोकप्रियता हासिल कर लेते है और लोगों के दिलों में जगह भी बना लेते हैं। मेरा मानना है कि ख्वाब देखते रहना चाहिए और फैसला जिंदगी पर छोड़ देना चाहिए। एक दिन ऐसा जरुर आएगा जब आपके प्रति लोगों का नजरिया बदल जाएगा।
Zindagi poems in hindi
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बस इतना सा ख्वाब है | Zindagi poems in hindi
छोड़ दो आज अकेला मुझे ,
परिंदों सा आजाद उड़ना चाहता हूंँ।
ये देश की सरहदे कब तक रोकेगी मुझे,
आसमाँ में भी एक अपना,
हिंदुस्ताँ बसाना चाहता हूंँ।
चाह नहीं ये जहां कदमों तले हो,
पर जैसा भी हो वो मेरा हो।
विशाल सागर हमेशा कब काम आता है ?
नदी बन सबकी प्यास बुझाना चाहता हूंँ।
नफरत नहीं करता मैं किसी से,
कुछ बातें वक्त पे छोड़ दी है।
आज जो सवाल है,
कल उसका भी जवाब होगा।
भले ही आज अकेला हूंँ,
मंजिले राहों में मैं मुसाफिर।
सूरज बनकर अंधेरों में,
भटको को राह दिखाना चाहता हूंँ।
ना राम से खफा हूँ,
ना रहीम से परेशान हूँ।
खून सब का लाल है,
सब माँ भारती के लाल है।
इंसानियत के दरिंदो का अब बस,
तूफाँ बन नामों निशान मिटाना चाहता हूंँ।
डॉ. महेश बालपांडे
जिंदगी का फैसला | Zindagi par kavita
जिंदगी का यही हरदम,
अजीब फैसला होता है।
जो अच्छा लगता है,
वह कभी मिलता नहीं है।
सुख दुख तो जीवन की रीत,
मृत्यु पर ना किसी की जीत।
अमर रहता है कर्म का खेला,
मिट जाता है मानव अलबेला।
फिर भी दिल अक्सर वही चाहे,
यारों जिसे चाहे दुनिया सारी।
सब कुछ अगर मिलता सबको,
नहीं होती किसी की किसी से यारी।
पल भर में रंक का राजा बन जाए,
राजा, रंक बनते देर न लगती।
चाहते हो यदि ना पड़े भाग्य पर रोना,
फिर नफरत का बंद करो बीज बोना।
ना ये रूठता, ना वह मनाता।
जीवन का न कोई मोल होता।
इंसानियत का ना कोई वजूद होता,
इंसान भी माटी मोल होता।
किस्मत के ना सहारे रहना,
मेहनत से मिट्टी भी उगले सोना।
सुख आलस की नींद त्यागो,
जियो और सबको जीने दो।
मानव पशु, पक्षी हो या प्राणी,
सब की एक जैसी कहानी।
लोभ, लालच,अहं अतिभारी,
सर्वनाश की है सुलगती चिंगारी।
डॉ. महेश बालपांडे
ऐसा भी होगा | Zindagi poems in hindi

हर घुमड़ते बादलों
के ऊपर भी,
कोई आसमाँ होगा,
हर भटकते राही का भी,
कोई जहाँ होगा,
कोई आशियाँ भी होगा.
हर किसी का,
कोई सपना होगा,
उन सपनों में,
एक दुनिया होगी,
और उस दुनिया में,
सभी पराये ही नहीं,
कोई अपना भी होगा.
करवटें बदल बदल के सोने से,
दुनिया तो नहीं बदलेगी,
कभी ना कभी,
जमाने को,
नींद से जगाना भी होगा।
सच बोलना मुश्किल है,
पर उसे सुनना और भी,
तो फिर जाहिर है कि,
कुछ बातें अनकही ही भली,
उन्हें लोगों से,
छुपाना भी होगा।
हमसफ़र साथ चलेंगे,
कुछ बहुत दूर तक,
कुछ एक मोड़ तक,
उनकी यादें रह जाएंगी,
और उन यादों में,
उन लम्हों का,
अफ़साना भी होगा।
हर सफ़र में,
नज़ारे सुहाने ना होंगे,
फुलों के साथ काँटे भी होंगे,
कुछ क्षण हसीन तो,
कुछ मायूसी के होंगे,
अक्सर हम अकेले होंगे,
और रास्ता वीराना भी होगा।
नलिन कुमार ठाकुर
मेरा नजरिया | Zindagi par kavita
जिंदगी जीने का
मेरा नजरिया अलग है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है
नाज़ुक पगडंडी हो
या लहराती काली सड़क
सफर के साथी बस यही
साथ चलते अनवरत
आरजू नही पहुॅचने की
चलते जाना ही सबब है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है
चित्रा बिष्ट
जीवन है, आवश्यकताएं नहीं
जीवन है, आवश्यकताएँ नहीं
इतनी सहज इसकी अदाएँ नहीं
क्यों चिल्लाता है खामखां बंदे
हुई ख़ाक बस्ती उठी सदाएँ नहीं
गया पक आम मिठास गुमगश्ता
चली अब के मीठी हवाएँ नहीं
हुए सिमट तीन कोने मकान के
बुलंद मकीन की दुआएँ नहीं
उगते नहीं मोती अब सीपी में
भगवन् क्यों डालते शुआएँ नहीं
ढह गई मंज़िल झुग्गियों की
हो गए पौधे जिनमें लताएँ नहीं
मिले बिछोह तन्हाईयों को
घूमें यतीम, अपनी सभाएँ नहीं
तीली घोंसले की तुम ही
जाओ कान्हा दाएँ-बाएँ नहीं।
राज सरगम
निष्कर्ष
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