WhatsApp Channel

Join Now

Telegram Channel

Join Now

सपने और हकीकत | Hindi poem on Dreams and Reality | Hindi kavita

By Ranjan Gupta

Published on:

Follow Us:
Hindi poem on Dreams and Reality

Hindi poem on Dreams and Reality: सपने देखना और हकीकत में उसे पा लेना दोनों में अंतर है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं कि आप सपने देखना बंद कर दें। बड़े सपने देखने चाहिए लेकिन उसे पूरा करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रहना चाहिए, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। इस विषय पर हमारे सीनियर कवि डॉ. महेश बालपांडे जी ने कविता लिखी है जिसका शीर्षक है- ‘सपने और हकीकत’

सपने और हकीकत | Hindi poem on Dreams and Reality

आंँखों में बसे उन सपनों को,
हकीकत में उजड़ते देखा मैंने।
जो कल तक थे साथ मेरे,
आज दूर हो गए, जो थे अपने।

कभी न सोचा कभी न चाहा,
ऐसे इल्जाम मुझ पर लगेंगे।
जरूरत किसे नहीं होती दुनिया में।
इसलिए अपने, सपने भी बेच देंगे।

समय का पहिया चलते रहता है,
छूट जाते हैं बस सपने, कुछ अपने।
टूटते हैं रोज तारे आसमान से,
आगे बढ़ो, छोड़ो लोग क्या कहते।

बढ़ो उस पागल पवन के जैसे,
कलकल बहती हो नदियाँ जैसे।
प्रवाह के संग बहते चले चलो,
तब होंगे अधूरे प्यारे सपने पूरे।

डॉ. महेश बालपांडे

उम्मीद है कि Hindi poem on Dreams and Reality आपको पसंद आई होगी। अगर आप भी अपनी कविता या रचना हमारी साइट पर पोस्ट कराना चाहते हैं तो आप हमसे जुड़ सकते हैं। यहां क्लिक करके लिंक पर जाकर गूगल फॉम को भरें और इंतजार करें। आप हमारी दूसरी साइट Ratingswala.com को भी विजिट कर सकते है। वहां, मूवी, टेक खबरों के साथ साथ उसकी रिविव पढ़ने को मिलेंगे।

ये भी पढ़ें: गद्दारों की पहचान | Mahesh Balpandey | Hindi kavita | Short poems in Hindi

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

3 thoughts on “सपने और हकीकत | Hindi poem on Dreams and Reality | Hindi kavita”

Leave a Comment