Hindi poem on Dreams and Reality: सपने देखना और हकीकत में उसे पा लेना दोनों में अंतर है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं कि आप सपने देखना बंद कर दें। बड़े सपने देखने चाहिए लेकिन उसे पूरा करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रहना चाहिए, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। इस विषय पर हमारे सीनियर कवि डॉ. महेश बालपांडे जी ने कविता लिखी है जिसका शीर्षक है- ‘सपने और हकीकत’
सपने और हकीकत | Hindi poem on Dreams and Reality
आंँखों में बसे उन सपनों को,
हकीकत में उजड़ते देखा मैंने।
जो कल तक थे साथ मेरे,
आज दूर हो गए, जो थे अपने।
कभी न सोचा कभी न चाहा,
ऐसे इल्जाम मुझ पर लगेंगे।
जरूरत किसे नहीं होती दुनिया में।
इसलिए अपने, सपने भी बेच देंगे।
समय का पहिया चलते रहता है,
छूट जाते हैं बस सपने, कुछ अपने।
टूटते हैं रोज तारे आसमान से,
आगे बढ़ो, छोड़ो लोग क्या कहते।
बढ़ो उस पागल पवन के जैसे,
कलकल बहती हो नदियाँ जैसे।
प्रवाह के संग बहते चले चलो,
तब होंगे अधूरे प्यारे सपने पूरे।
डॉ. महेश बालपांडे
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Very nice!
धन्यवाद जी
Dreams are meant to be accomplished.