Bhagat Singh Poems in Hindi | भगत सिंह पर बेहतरीन 10+ कविताएं: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक शहीद भगत सिंह भारत के सबसे प्रचलित स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। उनकी गाथा आज भी हर चौराहे पर गायी जाती है। उन्होंने कई युवाओं और नेताओं के लिए देश की आजादी में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और सभी के लिए एक आदर्श बन गए। आज उन्ही के गाथाएं कविताओं के माध्यम से आपके पास पहुंचाना चाहते हैं। आइए भगत सिंह पर कविताएं पढ़ते हैं।
शहीदे आजम की ललकार | Bhagat Singh Poems in Hindi
मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ ,
भारत की इस माटी से ।
कब चूकाओगे कर्ज हमारा,
लगाकर हमको, अपनी छाती से ।
क्यों भूल गए शहादत हमारी,
क्यों आज भी ताने कसे जाते हैं ।
क्यों झूले हम उस फाँसी पर,
यह हम, आज भी समझ नहीं पाते हैं ।
हंँसते-हंँसते झूल गए हम,
वह रस्सी गुमनाम है ।
जो रस्सी थी बकरी के गले में,
उस रस्सी का, बड़ा नाम है।
इन आँखों से देखा मैंने,
जलियांँवाला बाग उजडे।
बच्चे, बूढ़े, औरतें भी सुना है….
खून से लथपथ थे लाल हुए।
इन आँखों से देख रहा हूँ,
आज भी वही हाल भारत के ।
मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ,
भारत की इस माटी से ।
कब चूकाओगे कर्ज हमारा,
लगा कर हमको , अपनी छाती से।
आज भी शहादत की हमारी,
सरेआम नीलामी होती है।
हमने बहाया, क्या वह खून पानी था ?
किताबों में सिर्फ, चरखें की कहानी है ।
आज एक दशक बाद भी,
हम देख रहे है, देश का हाल।
जाति और धर्म के नाम पर,
बट गए हैं भारत के लाल।
उठो जवानों कसम है तुमको,
भारत की इस माटी की।
लाज रखनी है, दूध पिया है ,
तुमने उस छाती की।
मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ ,
भारत की इस माटी से ।
कब चूकाओगे कर्ज हमारा,
लगाकर हमको , अपनी छाती से।
कवि:- डाॅ. महेश बालपांडे
मर्दाना भगत सिंह | भगत सिंह पर कविता
सरताज नौजवानों का मर्दाना भगत सिंह
आजादी का दीवाना था मर्दाना भगत सिंह ।।
होती भी मीटिंग असेंबली में जिस दम फेंका बम,
बम केस में पकड़ा गया मस्ताना भगत सिंह ।।
राजगुरु सुखदेव दोनों मित्रों को लेकर साथ,
फांसी चढ़ स्वर्ग सिधारा मस्ताना भगत सिंह ।।
– श्रीयुत प्रताप सव्तंतर
प्यारा भगत सिंह
हुआ देश का तू दुलारा, भगत सिंह ।
झुके सर तेरे आगे हमारा, भगत सिंह ।।
नौजवानों के हेतु हुए आप गांधी,
रहे राष्ट्र के एक गुवारा, भगत सिंह ।।
किया काम बेशक है हिंसा का तुम ने,
यही दोष है इक तुम्हारा, भगत सिंह ।।
मगर देश हित के लिए जान दे दी,
बढ़ा शान तेरा हमारा, भगत सिंह ।।
तेरी देशभक्ति पे सब हैं निछावर,
“अभय” तेरा साहस है न्यारा, भगत सिंह ।।
हुआ देश का तू दुलारा, भगत सिंह
झुके सर तेरे आगे हमारा, भगत सिंह ।।
– अभय
खून के छींटे
ये छींटे खून की उस दामन-ए-कातिल कहानी है,
शहीदान-ए-वतन की कुछ निशानी देखते जाओ ।
अभी लाखों ही बैठे बुझाने प्यास अपनी,
खत्म हो जाएगा खंजर का पानी, देखते जाओ ।
अरे साहब जिवह करने से क्यों मुंह फेर लेते हो,
मेरी गर्दन पे खंजर की रवानी, देखते जाओ ।
करेगा खून-ए-नाहक कब तलक मजलूम का जालिम,
रहेगी कब तलक ये हुकुमरानी, देखते जाओ ।
हमारी आह से आतिश झटक उठेगी दुनिया में,
अजब गर्दश है रंगत आसमानी, देखते जाओ ।
ये छींटे खून की उस दामन-ए-कातिल कहानी है,
शहीदान-ए-वतन की कुछ निशानी देखते जाओ ।
फांसी के शहीद
ये आह भगत सिंह की खाली ना जाएगी,
फांसी है शेरे-नर की कुछ रंग लाएगी ।
शिकवा नहीं है गवर्नमेंट से, तकदीर हमारी,
देखेंगे किस्मत कब तक यह पलटा ना खाएगी ।
भाई बहन को उसने दिलासा दिया था खूब,
हम आजादी पर मिटते हैं रूह फिर लौट आएगी ।
भाई हमारे मरने का मातम ना करना,
कहानी मेरी भारत में कुछ कर दिखाएगी ।
ऐलान | भगत सिंह पर कविता
फांसी पे वीरों का चढ़ना, कुछ और ही रंग लाएगा ।
इस तरह मरने से हिन्द पे गम का बादल छाएगा ।
हकूमते बरतानिया ! अब जुल्म की हद हो चुकी,
ऐलां ! तेरा जुल्म अब हम से सहा नहीं जाएगा ।
प्यारे भगत सिंह वीर को हम से जुदा जो है किया,
इसका अब अंजाम तू थोड़े दिनों में पाएगा ।
ए नौजवानो ! तैयार हो जायो मरने के लिए,
देश की वेदी पर अब से सर चढ़ाया जाएगा ।
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