Life lessons poetry in hindi: हमारी लाइफ हमें बहुत कुछ सीखाती है। कभी-कभी तो यह हमें सीखने को मजबूर भी करती है। चिंताएं हमें कई चीजों में रोक कर रखती है। मन विश्राम करने को देखता है। अंतर्मन में कई चीजें एक साथ चल रही होती है, लेकिन जीवन का सार कहें या मूल आधार कहें तो यही है कि हमें सारी चीजें भूलकर, मन को शांत करके जीवन में आगे बढ़नी चाहिए। जितना हो सके हमें खुशहाल जीवन जीने को देखना चाहिए। आज हम इस ब्लॉग में ऐसी ही सीख देने वाली कविता लेकर आए हैं।
शीर्षक – मन पर विराम | जीवन में सीख देने वाली कविता
ज़हन की दौड़ है, विचारों का भंवर है,
मन उछलता जैसे, तूफानी कोई सागर है।
चिंताओं का बोझ, मन का भार है।
मन पर विराम, एक पल का विश्राम है,
शांति की खोज, मन का ना काम है,
इस पर काबू पाना, इतना ना आसान है।
अंतर्मन की आवाज़, भी सुन लो।
अबकी बार तुम, खुद भी चुन लो।
नेत्र बंद कर, श्वास गहरी लो,
पत्तों की सरसराहट, मन को मोह लो।
प्रकृति का संगीत, पवन का स्पर्श,
मन को शांत कर, एक नया विश्व।
भूल जाओ दुनिया की व्यस्तता,
खो जाओ स्वयं में, रख प्रभु की आस्था।
मन को मंदिर कर, शांत और निर्मल कर,
जीवन का सार है, यही मूल आधार है।
मन पर विराम, एक नई शुरुआत करलो,
सकारात्मक ऊर्जा, एक नया जोश भर लो।
चलो मिलकर, मन को शांत करें,
खुशहाल जीवन का आनंद लें।
– पं० उत्तम शर्मा
रौशनी का इंतजाम कर | Life lessons poetry in hindi
राह लंबी हैं जरा बैठ और आराम कर..
यहा सब तेरे जैसे हैं यहीं पर शाम कर।
हमे दूजो के सुख में चैन और आराम मिले..
हमसे दो चार सबक सीख अपना नाम कर।
हमे इनाम और धन दौलत की चाह नहीं..
हो सके तो तू भी कुछ नेकी के काम कर।
ना कुछ लाए थे ना कुछ लेकर जाएंगे हम..
ये दुनियां और धुआं रौशनी का इंतजाम कर।
हम सदा सीखते आए हैं पाठ प्रेम का..
जो सही राह दिखलाए उसे प्रणाम कर।
खुद पर काम कर रहा हूं | जीवन आधारित मोटिवेशनल कविता
बाल्यकाल में एक सपना देखा
देश को मैने अपना देखा
कह रही थी हाथों की रेखा
नहीं किसी ने तुम को रोका
बीच में फिर सामाज आया
मेरे पुत्र ने करके दिखाया
आ कर सबको मिठाई खिलाया
सब में उसने नाम कमाया
फेंक दिए मेरे सपने सारे
तुम चलो अब हमारे इशारे
कह दिए ये घर के सारे
किताबें थी बस बीच हमारे
पढ़ते पढ़ते पड़ गया छाला
आंखो से न एक बूंद निकाला
हुए मुझसे फिर ढेर सवाल
इसने तो न एक परीक्षा निकाला
अंदर अंदर जल रहा था
मन में मेरे कुछ चल रहा था
सोचा सब कुछ त्याग दू
समेटू बिखरे सपने अपने
और दीवार फांद दूं
फिर सोचा क्या मैं इतना बुजदिल हूं
हसता गाता खुशदिल हूं
खुद पर मैं तो काम करूंगा
अपना सपना साकार करूंगा
सब कुछ छोड़ कर चल रहा हूं
खुद पर काम मैं कर रहा हूं
सबसे ऊंचा ओहदा लाऊंगा
नाम मैं भी कमाऊंगा
– आदर्श कुमार
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