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प्रयागराज कुंभ मेला पर कविता | Poem on Mahakumbh mela 2025

By Ranjan Gupta

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प्रयागराज कुंभ मेला पर कविता | Poem on Mahakumbh mela 2025

Poem on Mahakumbh mela 2025 in Hindi: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत हो गई है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही महाकुंभ और कल्पवास का आरंभ हुआ। महाकुंभ 2025 अगले महीने यानी 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी जैसे महत्वपूर्ण पर्व स्नान होंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस विषय पर हमारी कवयित्री डॉ. आरती ने एक कविता लिखी है जिसका शीर्षक है ‘कुंभ मेला’.. तो आइए पढ़ते हैं। अगर ये कविता अच्छी लगी तो आप जरूर कमेंट करें।

यह अभिनंदन है आस्था का,
वंदन है विश्वास का,
जयघोष है सनातन का,
उद्घोष है महाकुम्भ का.
हर-हर गंगे!

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Tittle: कुंभ मेला | Mahakumbh mela 2025

संगम तट पे बहे, गंगा-यमुना की धार,
कुंभ मेले का उत्सव, हर दिल का प्यार।
साधु-संतों की टोली, भक्ति में लीन,
मंत्रों की गूंज से, पावन बने सबके क्षीण।

चारों धामों का मिलन, अद्भुत दृश्य यहां,
हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, नासिक का संगम महान।
स्नान करे जो भी, पा जाए मोक्ष का द्वार,
कुंभ की पवित्रता, दिलाए पापों से उधार।

अखाड़ों की रौनक, संतों का जयकार,
हर दिशा में गूंजे, हर हर गंगे पुकार।
धूप-अगरबत्ती की खुशबू, आरती का स्वर,
कुंभ में आता हर जन, बन जाता भक्तों का सरोवर।

मिलते हैं यहां सब, जात-पात का ना भान,
कुंभ का ये मेला, मानवता का बड़ा सम्मान।
आओ इस पावन धरती पर, बढ़ाएं हम प्यार,
कुंभ मेले की महिमा, जग में रहे सदैव अपार।
Dr.Arti

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Ranjan Gupta

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