Hindi Diwas par short Kavita | हिंदी दिवस पर कविता: आज हिंदी दिवस है जो हिन्दी भाषा के सम्मान और गौरवशाली इतिहास के संरक्षण के उद्देश्य से ही प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस अवसर पर हम अपने भीतर हिंदी भाषा के प्रति सम्मान के भाव को मजबूती देने में सक्षम हो पाते हैं। हमारे कवि सचिन कुमार कैन जी ने इसी हिंदी भाषा को एक सम्मान देने के लिए कविता लिखी है।
यह कविता यह बताती है कि हिंदी भाषा जन-जन की भाषा है। वेदों से लेकर कविताओं तक, सभी जगह आज हिंदी भाषा में उपयोग दिखाई देता है। यह भाषा भारत की आत्मा है। जन की प्रेरणा है। तो आइए बिना किसी देरी के यह कविता पढते हैं..
शीर्षक- मैं हिन्दी हूँ | Hindi Diwas par short Kavita
मैं हिन्दी हूँ, आत्मा की भाषा,
संस्कृति की धारा, जन-जन की आशा।
वेदों से लेकर कविताओं तक बहती,
हर दिल की धड़कन में जो रहती।
संस्कृत की गोदी में खेली थी मैं,
हर वर्ण, हर शब्द में झेली थी मैं।
भारत की माटी की सुगंध हूँ मैं,
जननी की बोली, वो आनंद हूँ मैं।
मैं तुलसी की चौपाई, मीरा की तान,
सूर का सूरज, रहीम का गान।
कबीर की साखी, रसखान का प्रेम,
हर दिल की धड़कन, हर जन का नेम।
मैं खेतों की मिट्टी, शहरों की रौनक,
हर गली, हर कूचे में मेरी ही खनक।
पाठशालाओं में ज्ञान की मैं वाणी,
हर युग में फैलाई मैंने ही कहानी।
मैं सशक्त, मैं सजीव, मैं सजीवाओं की दास,
हर हृदय की गहराई में मेरी ही प्यास।
मैं जोड़ों की बाती, मैं सपनों की रौशनी,
हर युग में बसी हूँ, हर जन की प्रेरणा बनी।
मैं हिन्दी हूँ, भारत की जान,
साहित्य का श्रृंगार, कवियों का मान।
हर युग में जीऊँगी, हर दिल में रहूँगी,
मैं हिन्दी हूँ, सदा-सर्वदा बहूँगी।
-सचिन कुमार कैन
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