Desh Bhakti Kavita | Patriotic Poem in Hindi: देश से भक्ति एक सच्ची भक्ति होती है। इंसान के अंदर देश प्रेम होना काफी अहम है। अगर आप देश भक्ति कविता (Desh Bhakti Kavita) की तलाश में यहां आए हैं तो आप यकीन मानिये, काफी सही जगह पर आए हैं। यहां हमारे कवियों ने Patriotic Poem in Hindi लिखी है जो आपको खूब पसंद आएगा। भारत देश गणतंत्र दिवस भी मना रहा है। ऐसे में Bharat Desh par Kavita आपको खूब भाएगी। तो आइए शुरू करते हैं..
Table of Contents
सच्ची देशभक्ति | Desh Bhakti Kavita
वह वतन पर मर मिटने चला,
और हम अब भी गलियों में,
किसी का इंतजार कर रहे हैं।
उसने घर - यार तक छोड़ा,
और हम अभी भी अपनों में,
अपनी ही तलाश कर रहे हैं।
वह तो अपना बचपन तक,
मां के आँचल में छोड़ चला,
और हम भगवान से,
अपना बचपन फिर से माँग रहे है।
उसने घर का आंगन,
गांँव की गलियाँ तक छोड़ दी।
दो फूट जमीन के लिए अपनो से,
हमने रिश्तों की डोरी तक तोड़ दी।
वह चाहता तो अपनों में,
अपनों के बीच रह सकता था।
अपने हाले दिल का दर्द,
किसी गलियों में ढूंढ सकता था।
पर वह अनोखा था,
उसने दिल लगाया तो मातृभूमि से।
उसने मोहब्बत की तो मातृभूमि से।
उसने वफा की तो मातृभूमि से।
वह वापस भी आया तो,
तिरंगे में लिपट कर।
सीना ताने शान से,
यहाँ हम कीड़े-मकोडो जैसे,
रोज बेबसी से मर रहे हैं।
वह आज बिना कुछ बोले,
बहुत कुछ कह गया।
उसकी शहादत के सैलाब में,
बहन की राखी का प्यार,
मां - बाप का बुढ़ापा बह गया।
सिर्फ दो दिन देशभक्ति,
हमारे दिल में जागती है प्यारों,
15 अगस्त और 26 जनवरी को।
बाद में तू हिंदू , तुम मुसलमां,
इसीमें हमारी वीरता दिखती है यारों।
वह वतन पर मर मिट भी गया,
दुनिया में अमरत्व पा गया।
और हम सिर्फ 2 मिनट मौन होकर,
अपनी देशभक्ति का सबूत देते है।
-डॉ. महेश बालपांडे
यही गणतंत्र है | Patriotic Poem in Hindi

आज 26 जनवरी,
बड़ा शुभ दिन है।
खुश है गण,
काम कर रहा तंत्र है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
हलधर को देखो,
वह भूमि महकाएँ।
श्रमिक मेहनत से,
पत्थरों को चमकाएँ।
सुखी यहांँ आज,
हर परिजन है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
श्री राम जी की भूमि यहीं,
श्री कृष्ण ने यहीं गीता कही।
यह भूमि हमारी,
स्वर्ग सी महान है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
तारों जडा अंबर,
हिमालय इसकी शान है।
उत्तर में मांँ गंगा का,
देखों हो रहा सम्मान हैं।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
तिरंगा हमारा आज,
चंद्रमा पर सीना तान है।
सूरज को छूने हमारा,
तैयार विज्ञान है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
गांधी, नेहरू और सुभाष,
इनका भी गुनगान है।
आजाद, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई,
इनको भी प्रणाम है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
महाराज छत्रपति शिवाजी,
इस दुनिया की शान हैं।
ज्योतिबा और सावित्री,
हमारे लिए शिक्षा का वरदान है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है
लिखकर संविधान को,
जिन्होंने रचा इतिहास।
वे बाबा साहेब हमारे,
जीवन और प्राण हैं।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
संतों की भूमि यहीं,
भारतीय सेना इसकीं शान हैं।
सीता हैं... हर नारी,
सब नर में देखों राम है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
देशहित सर्वप्रथम,
इस बात का भी ध्यान है।
सबके लिए अच्छी,
शिक्षा व चिकित्सा का प्रावधान है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
नमन उन क्रांतिकारियों को,
जिनकी शहादत गुमनाम है।
धन्य है वह माताएँ,
जिनके बच्चे आते देश के काम है।
यही गणतंत्र है, यही गणतंत्र है।
-डॉ. महेश बालपांडे
तेरा देश मेरी पहचान | Poem on Republic Day in Hindi
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये नदियाँ, ये पर्वत, ये रेत के समंदर,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये रंग, ये राग, ये संगीत,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये मजदूर, ये किसान, ये हर हाथ,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये मिट्टी, ये आकाश, ये सुंदर फिजाएँ,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये सहेलियाँ, ये परिवार, ये प्यार का तरंग,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
ये तेरा देश… ये मेरी पहचान है।
ये खुशियाँ, ये संघर्ष, ये सीमाएँ,
और हम… और तुम…
इसकी पहचान है।
-Nikk
मेरा देश मेरी जान | Desh Bhakti Poem in Hindi

ये मेरा देश… ये मेरी जान है।
ये वादियांँ, ये नदियाँ, ये झरने,
और हम…. और तुम…..
इसकी शान है।
ये मेरा देश… ये मेरी जान है।
ये फूल, ये पंछी, ये उपवन,
और हम…. और तुम…..
इसकी शान है।
ये मेरा देश… ये मेरी जान है।
ये किसान, ये जवान, ये मजदूर,
और हम…. और तुम….
इसकी शान है।
ये मेरा देश… ये मेरी जान है।
ये धरती, ये अंबर, ये हवाएंँ,
और हम…. और तुम….
इसकी शान है।
ये मेरा देश…. ये मेरी जान है।
ये हिमाला, ये गंगा, ये तिरंगा,
और हम…. और तुम….
इसकी शान है।
ये मेरा देश…. ये मेरी जान है।
ये फ़िज़ाएँ, ये खुशबू, ये सरहदें,
और हम…. और तुम….
इसकी शान है।
ये मेरा देश… ये मेरी जान है।
ये पर्वत, ये सागर, ये बरखा,
और हम…. और तुम….
इसकी शान है।
-डॉ. महेश बालपांडे
भारत का वीर पुत्र | Apna Bharat Desh par Kavita
मुगलों का, आफगानों का,
आतंक काफी बढ़ रहा था
समाज पर कलंक लग रहा था,
प्रजा पर अत्याचार बढ़ रहा था।
मर्यादा तो सबने लांघ दी,
मान-सम्मान की बात अलग,
अपनों ने ही किया विश्वासघात,
औरों की तो बात अलग।
आहुति देने को तयार खड़ा यौवन था,
जौहर करना तो अभी बाकी था,
ढल रहा अभिमान का सूर्य था,
इतिहास नया रचना बाकी था।
जिसका घोड़ा बड़ा स्वाभिमानी था,
मेवाड़ की धरती से आया वह फरिशता था,
जिसे अकबर कभी ना हरा सका था,
वही भारत का वीरपुत्र,
महाराणा प्रताप था।
-शैलेश त्रिपाठी
गणतंत्र दिवस की प्रेरणा
सूरज की किरणों से चमके,
गणतंत्र दिवस का ये दिन,
संविधान की छांव तले,
हर दिल में हो एक नया विन।
वीरों की गाथाएँ सुनें,
जिन्होंने दी आज़ादी की कीमत,
उनकी कुर्बानियों का मान रखें,
हर कदम पर हो हमारी प्रतिबद्धता।
समानता का जो पाठ पढ़ाए,
हर जाति, हर धर्म का हो मान,
एकता में है हमारी शक्ति,
संगठित होकर बढ़ें हम, ये है पहचान।
चलो उठाएं हम संकल्प,
नए भारत का करें निर्माण,
शांति, प्रेम और भाईचारे से,
सजाएं हम सब मिलकर ये आसमान।
गणतंत्र दिवस की इस बेला में,
हर दिल में हो एक नया जोश,
हम सब मिलकर करें प्रण,
भारत को बनाएं हम और भी रोश।
आजाद भारत
सदियाँ बीती आज़ाद हुए
क्या मन से है आज़ाद सभी
जकड़ा अनदेखी बेड़ियों में
क्यों आज हर भारतवासी
आगे बढ़ने की दौड़ में
पीछे करने की होड़ में
भुला बैठे उन वीरों को
देश पर मिटे जो कभी
सदियाँ बीती आज़ाद हुए
क्या मन से है आज़ाद सभी
फिर से आया गणतंत्र दिवस
फहरा तिरंगा हर्षित हर मानस
पर क्या गणतंत्र मनाना है
राष्ट्र गान गाना, इतना ही?
सदियाँ बीती आज़ाद हुए
क्या मन से है आज़ाद सभी
हिंद के प्यारे दुलारों
टूट रहा आज देश, संभालो
बढ़ रहा द्वेष, पहचानो
मिटा जो देश, रहोगे तुम भी नहीं
सदियाँ बीती आज़ाद हुए
क्या मन से है आज़ाद सभी
चित्रा बिष्ट
निष्कर्ष
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