Short Hindi Poem on God: जो रहमान है, वो राम है… फर्क इतना है कि पूजने वाले अलग अलग पंथ से आते हैं। आज पूरी दुनिया कही ना कही इस बात को लेकर काफी ज्यादा प्रभावित है। इस चीज को लेकर आज काफी ज्यादा बहस भी होती है जहां चर्चाओं के बीच खुद को बेहतर बताने की कोशिश की जाती है। इस विषय पर हमारे कवि महेश बालपांडे जी ने एक कविता लिखी है जिसका शीर्षक – वो मेरा ईश्वर, वो हैं तेरा खुदा है। आइए पढ़ते हैं..
वो हैं मेरा ईश्वर, वो हैं तेरा खुदा । Short Hindi Poem on God
राम भी है वों ही,
वों ही रहमान है।
ना कोई यहांँ है,
इनसे एक पल जुदा…….।
जिसके दर पर कबूल,
होती है हर दुआ।
वो हैं तेरा ईश्वर, वो हैं मेरा खुदा,
धर्म के नाम पर,
कभी प्रांत के नाम पर…।
है लढ़ते-लढ़ातें,
चंद गद्दार यहांँ,
बचना इनसे सदा..,।
जिसके दर पर कबूल,
होती है हर दुआ।
वो हैं मेरा ईश्वर, वो हैं तेरा खुदा।
कितनों के सिंदूर मिटे,
कितने सहारे छुटे…।
कितनों के घर-बार लुटे,
कितनी मिट गई हस्तियाँ…।
हो जा उसका तू ,
जिसने बनाया ऐं जहाँ….।
जिसके दर पर कबूल,
होती है हर दुआ।
वो हैं तेरा ईश्वर, वो हैं मेरा खुदा।
कर ले अच्छे करम,
भूल जा सब धरम।
इंसा है तू , मत भगवान बन,
एक दिन इस जहाँ में,
सब होंगे फ़ना…।
जिसके दर पर कबूल,
होती है हर दुआ।
वो हैं मेरा ईश्वर, वो हैं तेरा खुदा।
कविराज :- महेश बालपांडे
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