Complications in Life Poem in hindi: उलझनें कभी भी आपको पीछा नहीं छोड़ती। जीवन में कभी न कभी ये ऐसी चोट दे जाती है जिसका हमें अंदाजा भी नहीं होता और ना ही उसकी उम्मीद होती है। जीवन में बहुत जरूरी है कि उलझन पैदा ना होने दें। अगर आप चाहते हैं कि ऐसी स्थिति ना ही बनें तो आपको अपने हौसलें काफी बुलंद रखने होंगे। इसी विषय पर मासूम जी ने एक सुंदर कविता लिखी है। बिना किसी देरी के आइए पढ़ते हैं…
उलझने | Complications in Life
ये क्या उलझने है, ये क्यों उलझने है
खुद को ही करती परेशान ये उलझने है।
ये क्या उलझने है…
किसी बात का कोई वास्ता है या नहीं है
मगर बस हर शब्द पर परेशान यूहीं है।
ये क्या उलझने है…..
जलती है बाती मगर ये दर्द दिए का है
खामोश है कोई मगर गम बयां शोर में है ।
ये क्या उलझने है …..
जो पाठ सिखा किताबों में लिखा कहीं है
जिंदगी में मगर वजूद इसका कहीं नहीं है।
ये क्या उलझने है….
खुद को परेशान करती है
खुद से सवाल खुद से ही जवाब ढूंढती है
ये क्या उलझने है ….
Poet: Masoom
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