वो गुजरती है मुहल्ले से…| Hindi Poem on women empowerment

By Ranjan Gupta

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वो गुजरती है मुहल्ले से | women empowerment

Hindi Poem on women empowerment

सबकी भौंवे चढ़ जाती हैं
आंखे तार सी तन जाती हैं
हर रोज़ नई कहानी गढ़ना जारी हैं
जब एक मंज़िल की दीवानी निकल जाती हैं

शुरू होती है कानाफूसी जब
वो घर से निकल जाती है
रास्ते के राहगीर की नज़र देख
सोच और डर की खाई में गिर जाती है

देख शहरों के रीति रिवाजों को
वो गांव को सोच सहम जाती है
नारी सशक्तिकरण से अनजान
गांव में रह, आगे आने से पिछड़ जाती है

सबके ताने बाने सुनकर
चिंता में डूब जाती है जब
वो गुजरती है मुहल्ले से
अपनी शादी की बाट सुन
अपनी कच्छी उम्र पर ही सहम जाती है…

Thank You So Much For Reading This Poem. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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