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Hindi Poem on women empowerment | नारी सशक्तिकरण पर बेहतरीन कविता

By Ranjan Gupta

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Hindi Poem on women empowerment

Hindi Poem on women empowerment: नारी सशक्तिकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक क्रांति है, जो समाज में महिलाओं को समानता, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए जरूरी है। पितृसत्तात्मक समाज में आज भी महिलाएं बुनियादी चीजों से वंचित हैं। आज उनकी कई समस्याएं है जिसे बहुत पहले ही हल किया जाना चाहिए था। किताबों और सोशल मीडिया पर जो कुछ बताया जाता है वो वास्तविकता से कहीं ज्यादा अलग है।  इसी विषय को नीचे कविताओं के माध्यम से खूबसूरती से बताया गया है।  

वो गुजरती है मोहल्ले से | Poem on women empowerment in Hindi


सबकी भौंवे चढ़ जाती हैं
आंखे तार सी तन जाती हैं
हर रोज़ नई कहानी गढ़ना जारी हैं
जब एक मंज़िल की दीवानी निकल जाती हैं

शुरू होती है कानाफूसी जब
वो घर से निकल जाती है
रास्ते के राहगीर की नज़र देख
सोच और डर की खाई में गिर जाती है

देख शहरों के रीति रिवाजों को
वो गांव को सोच सहम जाती है
नारी सशक्तिकरण से अनजान
गांव में रह, आगे आने से पिछड़ जाती है

सबके ताने बाने सुनकर
चिंता में डूब जाती है जब
वो गुजरती है मुहल्ले से
अपनी शादी की बाट सुन
अपनी कच्छी उम्र पर ही सहम जाती है...

Hindi Poem on women empowerment

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह विविधताओं से भरा हुआ देश है, लेकिन इसके बावजूद, भारतीय समाज हमेशा से पितृसत्तात्मक रहा है। यही कारण है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित किया गया है। उन्हें दबाया गया, उनके हक को नकारा गया और उन्हें घरेलू दायित्वों तक सीमित कर दिया गया। महिलाओं को बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोककर उनकी पूरी क्षमता को नकारा गया।

Hindi Poem on women empowerment
women empowerment

नारी | Hindi Poem on women empowerment

सुंदरता की मूरत हूं मैं
ममता की सूरत हूं मैं
हर बच्चा मेरी कोख से ही जन्मा है
फिर क्यों औरत को ही अबला समझा है

दुनिया का अविष्कार है मैंने किया
नहीं कोई अपराध है किया
फिर मुझे ही क्यों धिक्कारा जाता है
नहीं मुझे सवारा जाता है

मैं मानव हूं कोई दानव नहीं
ना ही मैंने किया कोई पाप
फिर मुझे ही क्यों मिला अभिशाप

लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, सरस्वती
मुझे यह कहकर पुकारते हैं
पर जब बात आती है मेरे सम्मान की
फिर मुझे ही जलाते हैं

मां,बहू बस यह रुप ही दुनिया को भाया है
पर जब बनकर आई मैं इस दुनिया में बेटी
मुझे मारा है
मुझे अपने जीवन को जीने नहीं दिया

एक समय ऐसा आया
कि सहने की हदे टूट गई
अंधकार की वो रात इस दिल में चुभ गई

जिसकी इज्ज़त को घर की इज्जत माना
फिर उसी की इज्जत को उछाला
जिस बहू को घर की लक्ष्मी माना
उसी की कोक में उसकी बेटी को मारा

बस ,अब बहुत हुआ
अब यह बात बतानी होगी
दुनिया को यह सीख सीखानी होगी
अपनी कथा इन बुजदिलों को सुनानी होगी
अब नारी की परिभाषा इनकी रुह में डालनी होगी

समुद्र का सार हूं मैं
शक्ति का आधार हूं मैं
दुनिया को जन्म देने वाला
संसार हूं मैं

सरस्वती भी हूं मैं और दुर्गा भी
लक्ष्मी हूं मैं और काली भी
अंत भी मैं हूं और अंनत भी

मेरे सम्मान पर चोट पहुंचाई है
मुझ में ज्वाला जगाई है
इस ज्वाला की गर्माहट तुम
सहन नहीं कर पाओगे
एक दिन भस्म हो जाओगे

छू कर के तो देखो मुझे
दिल ही दिल में कांप जाओगे
अगर अग्नि परीक्षा दे सकती हूं
तो उसी अग्नि में भस्म भी कर सकती हूं
युगों युगों से मेरे सम्मान में हुई है लड़ाई
उठालो इतिहास
देखो रामायण और महाभारत की गहराई

निर्माण किया है शृषिट का मैंने
विनाश भी मैं ही करुंगी
अब तक तो नारी के रूप में थी
अब भवानी के रूप में आऊंगी

जब जब नारी बनेंगी भवानी
याद करेंगी दुनिया सारी
अब तक जो दर्द स्विकार किया है
उसे तिरस्कार भी मैं ही करुंगी

नारी नहीं है कोई चीज छोटी
निर्माण का है रूप
विनाश की है स्तुति
मेरा हर रुप बहुत खास है
मेरे हर रुप में देवताओं का वास है

चाहे वो बहन का हो या बेटी का
सम्मान देना आपका काम है
अब इस दुनिया को जवाब मैं दूंगी
मैंने चुड़ियां नहीं पहनी
कहने वालों को समझाऊंगी

चुड़ियां इसलिए नहीं पहनी,
क्योंकि चुड़ियां पहनने की ताकत हम रखते हैं
मर्द को दर्द इसलिए नहीं होता क्योंकि
दर्द सहने की हिम्मत भी हममें है

अरे लड़की की तरह क्यों रो रहा है
जनाब लड़की, अभी रोइ कहां है
जिस दिन रो गई आप देखने के लिए नहीं होगे

मैं एक मां हूं
मैं एक बेटी हूं
मैं एक बहन हूं
मैं एक लड़की हूं
मैं कोई बेचारी नहीं
मैं एक नारी हूं

- भूमि भारद्वाज

(तेरह साल की आयु में)

Hindi Poem on women empowerment

महिला सशक्तिकरण सिर्फ एक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक कर्तव्य है। जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार और समाज के भविष्य को आकार देने की जबरदस्त क्षमता है। अगर हम महिलाओं को समान अवसर और अधिकार देंगे, तो वे न सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बना सकती हैं, बल्कि पूरे समाज की दिशा बदल सकती हैं।

Hindi Poem on women empowerment
women empowerment

मुझे पूजो मत | women empowerment poem in Hindi


हर जगह पर मेरी छाप
मेरी ताकत का नही है कोई नाप
मैं पुण्य हूं नही हूं पाप
पर दुनिया समझे मुझे एक श्राप

आसमान और समुंद्र की गहराई हूं
पापा और मम्मी की परछाई हूं
बचपन से बात सुनती आई हूं क्या मैं पराई हूं?

हाथो में चुड़िया सजने के लिए पहनी
पर दुनिया ने सजने को कमज़ोरी समझ लिया
मेरे हाथो की चुड़ी का मुझे ताना दिया
बोले कि मैं बुजदिल नहीं क्योंकि मैंने चूड़ियां नही पहनी
बड़ी हुई तो कर्ची को थाम लिया

पर एक बात समझ नहीं पाई
जब छोटी बहन हुई तो हाहाकार मच गया
पर जब छोटा भाई हुआ तो जश्न मन गया
क्या मेरी बहन इतनी डरावनी थी
क्या उसका जन्म वंश की बर्बादी थी

रोटी बनाती तो मैं थी
पर ज्यादा मेरे भाई को मिली
लाडला है कहके छोड़ दिया
पर उन्होंने तो मेरी बहन का दम तोड़ दिया

पूछा मैंने क्यों किया
तो बोले हमने बोझ को हल्का किया
कोई पाप नहीं किया
बेटी तो होती है पराई
पराया धन समझ कर
भगवान को लौटा दिया

यह बात कोई कहानी नहीं
यह बात एक जुबानी है
यह बात कहीं ना कहीं हर लड़की की कहानी है
रोटी कम या ज्यादा
या घी में नापतोल
बेटी पराई है या समाज पराया है
मैं अपनी जिंदगी की मालिक हूं
या मेरा अस्तित्व किराया है

मेरी मम्मी, भाभी, मामी सबकी जरूरत है
तो फिर मेरे आने में क्या कसूर है
पूरे साल मैं अपने आप को कोसती आई
क्यों भगवान ने मुझे लड़की बनाई

पर नौ दिन कुछ ऐसे आए
जहां मेरे होने पर किसी ने सवाल नहीं उठाए
मुझे पूजा मेरे पैर धोए
मुझे शक्ति का नाम दिया
मुझसे आशीर्वाद लिए
मुझे सचमे उन्होंने पूजा
और वर मांगा कि भाई हो दूजा

मुझे भाई बहन से परवाह नहीं
ना ही चाहती मैं पूजना
बस चाहती हूं मैं दो पल जीना
मुझे पूजो मत
बस जीने दो

- भूमि भारद्वाज

पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को हमेशा दबाया गया है, लेकिन महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य उन्हें पुरुषों के साथ समान रूप से खड़ा करना है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो न केवल उनका व्यक्तिगत जीवन बदलता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज में भी परिवर्तन आता है। यह कदम न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे देश के समृद्ध और प्रगतिशील विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है।

Hindi Poem on women empowerment
Hindi Poem on women empowerment

निष्कर्ष

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Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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