श्री रामराज्य आया हैं | Hindi Kavita on Ram Rajya | महेश बालपांडे

By Ranjan Gupta

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Hindi Kavita on Ram Rajya

Hindi Kavita on Ram Rajya: राम आदर्श हैं। राम पुरुषार्थ के प्रतीक है। भगवान् श्री राम के जीवन से वास्तव में हमको सब कुछ सिखने को मिलता है। धैर्य, क्षमा, पराक्रम आदि गुणों को हम सभी को आत्मसात करना चाहिए। इसी दिशा में भारत भी चल पड़ा है। 22 जनवरी को अयोध्या में नव निर्मित भव्य राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। प्राण प्रतिष्ठा का उल्लेख वेदों और पुराणों में किया गया है। तभी से माना जा रहा है कि रामराज्य आया है। इस पर हमारे कवि महेश बालपांडे जी ने कविता लिखी है। आइए पढ़ते हैं…

श्री रामराज्य आया हैं | Hindi Kavita on Ram Rajya

चौदह वर्ष का वनवास क्या कम था,
जो पाँच सौं साल तक रुकना पड़ा।
क्यों हमें अपने देश में ही,
अपनों के आगे झुकना पड़ा।

मजहब-धर्म, मजहब-धर्म,
क्या इतने खून के प्यासे हो गए ?
हम क्यों अपनों से ही,
श्री राम के लिए लड़ गए।

हर हिंदुस्तानी यहांँ,
रघुकुल वंशी है ,
तो कैसे मान लिया तुमने,
यह ‘बाबर’ की भूमि है।

जहांँ श्री राम के आदर्शों की,
बात जन-जन गाता हैं।
कुछ गद्दार आज भी पूछते हैं,
रामसेतु का श्री राम से नाता हैं?

श्री राम का त्याग व भाईचारा,
अपनी पीढ़ी को सिखाना हैं।
‘गीता’,’रामायण,’वेद’ सिर्फ किताबें नहीं,
हमारी संस्कृति व आस्था का आईना हैं।

तुझ में राम, मुझ में राम।
सब तो श्री राम की माया हैं।
“राम नाम सत्य है” यह,
पुराणों ने भी गाया हैं।

रावण को मानने वालें,
पग-पग में मिलते जाएंँगे।
तो क्या हम श्री राम जी के वंशज,
हरदम अग्नि परीक्षा देते जाएंँगे।

जात-पात न भेद कोई था,
मेरे श्री राम ने, मांँ शबरी के,
झूठे बेर भी खाए थे।
ऐसे भी श्री राम भक्त हुए यहांँ,
जो ‘द्रोणागिरी’ उठाकर ही लाए थे।

श्री राम आए हैं तो,
कई रावण भी आएंँगे।
श्री राम के प्रताप को,
वे अब मिटा नहीं पाएंँगे।

अब होगा दुष्ट शक्तियों का संहार,
महादेव का तांडव होगा।
द्रोपदी के चीर हरण पर,
सभा में मौन बैठने वाला,
कोई न ‘पांडव’ होगा।

न्याय सबको मिलेगा,
न्याय सबका होगा।
यही राम राज्य की शुरुआत हैं,
यही रामराज्य हैं, यही रामराज्य हैं।

चंद राजनेता आज भी,
अपने फायदे के लिए,
अयोध्या ही श्री राम जन्मभूमि है,
इसका प्रमाण मांगते हैं।

जिस बाबर ने सबको छला,
भारत के हिंदू हो या मुसलमां।
पता नहीं कुछ नेताओं को,
उसी बाबर से इतना क्यों दुलार हैं।

जिस श्री राम की भूमि पर,
इनके पुरखों ने ली चैन की साँस।
पता नहीं उसी श्री राम पर,
इनका आज क्यों नहीं हैं विश्वास।

चलो सब मिलकर अयोध्या चलते हैं,
अब श्री राम जी से मिलते हैं।
दुनिया वालों को हम बता दे,
अब ‘ श्री रामराज्य’ आया हैं।

कविराज :- महेश बालपांडे

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Ranjan Gupta

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