Poem on Father-Son Relationship in Hindi: एक पुत्र के लिए उसका पिता उसकी साहस, उनकी इज्जत और सम्मान होता है। यूं कहें तो उसकी पूंजी और पहचान होता है पिता। अपने पिता या माता-पिता को खोना जीवन के सबसे कठिन अनुभवों में से एक हो सकता है, और यह उन चीजों में से एक है जिसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं है। हर किसी का अपने पिता के साथ एक अनोखा रिश्ता होता है और इस बंधन को सभी के लिए एक जैसा परिभाषित करना संभव नहीं है।
फिर भी, कुछ समानताएं हैं जो आपको थोड़ा कम अकेला महसूस करा सकती हैं। तो आइए पिता को याद करते हुए एक बेहतरीन कविता पढ़ते हैं जो सचिन कुमार कैन के द्वारा लिखी गई है।
शीर्षक- पिता | Poem on Father-Son Relationship
जीवन सार तुम्हीं से पाया
तुम्हीं ने चलना सिखलाया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया।
रात दिन मेहनत में लगे हो
नही जताया कभी थके हो
बच्चों के सपनों की ख़ातिर
न जाने कितनी रातें जगे हो
आँखों का हर एक आँसू,
आँखों मे है तूमने छुपाया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया।
करके मेहनत और मजदूरी
इच्छाएं सब करते पूरी
बच्चे सो जायें बस चैन से
नींद अपनी रखें अधूरी
पीड़ाएँ कितनी खुद पर
कभी उन्हें नही बताया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया
गिरते और सम्भलते देखा
अंगारों पर चलते देखा
ऊपर ऊपर कठोर बहुत हैं
अन्दर मोम से पिघलते देखा
सब्र का सागर ह्रदय समाया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया
ये कब कहाँ चैन लेते हैं
सर्दी गर्मी सहन लेते हैं
नए जूते पहना बच्चों को
खुद पुराने पहन लेते हैं
अच्छा खिलाया और पहनाया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया
मन मेरा बहुत व्याकुल होता है
कहीं कोई जब पिता रोता है
छोड़ कर वृद्धाश्रम बाप को
कैसे बेटा घर चैन से सोता है
जिसके अंशज, है उसे सताया
खाई ठोकरें राह में जब जब
तुम्हीं को साथ खड़े है पाया।
-सचिन कुमार कैन
उत्तर प्रदेश,हापुड़
तो आपको पिता-पुत्र के रिश्ते पर बेहतरीन कविता | Poem on Father-Son Relationship कविता कैसी लगी, आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।
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