कोई खरीदने आया है..| One sided love hindi poetry
जो तुमने अपनी होठों की लाली को
मेरे होठों पर लगाया है
जैसे होठों को छूए जाम (शराब) तो
जाम को भी नशा आया है…
अब तक उसकी हर रात मेरे आगोश में कटा
कल उसने नया तकिया लाया है
तुम गई तो सपना भी चला गया
लगता है किस्मत भी तुमसे मिलकर आया है…
मेरे घर की खिड़की, शायद
समझती है मेरी आहटों को
की कल मुझे बोलने लगी
संभलो, घर में चोर आया है…
मेरे तो आंखों ने भी उससे आंसू उधार मांगे
वक्त के साथ जन्मों के साथ मांगे
अब मेरे अक्स ही मेरे अल्फाज बन गए है
कीमत लगाओ, कोई खरीदने आया है…
रंजन गुप्ता
Jo tumne apni hothon ki lali ko
mere hotho par lagaya hai
Jaise hothon ko chhuye jam to
jam ko hi nasha aaya hai
uski har raat mere aagosh me kata
Kal usne naya takiya laya hai
Tum gai to sapna v gaya, lagta hai
Kismat v tumse milkar aaya hai
Mere ghar ki khidki, shayad
samjhti hai meri aahton ko
Ki kal mujhe bolne lagi
Sambhlo, ghar me chor aaya hai..
Mere to aankhon ne v usse ansu udar mange
Wakt ke sath janmo ke sath mange
Lekin Mere aks ab mere alfaz ban gaye hai
Ab Kimat samjh aati hai hr us baton ki
Ranjan Gupta
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