Short poems on one-sided love |
Short poems on one-sided love
बात थोड़ी पुरानी है
प्रेम की अद्भुत कहानी है
हम थोड़े सयाने थे
देख उनको दीवाने थे
राहत दिल को न तब थी
चाहत कम न अब है
दिन उनके परवाने थे
रोज़ नए बहाने थे
वक्त जरा मुश्किल थी
उनसे मिलना ही मंजिल थी
प्रेम मानो मेरे तरफ से था
बंदगी उसके साथ का था
तोहमतें न लग जाए
वजन अधिक समाज का था
लगता था वो समझती है
शबब को परखती है
सोच बड़ा निश्छल था
मन जरा सा चंचल था
बताने को हिम्मत करता
साथ चलने को मिन्नत करता
प्यार का तुम प्रस्ताव रखो
इतना कहने को जुर्रत करता
ढूंढे कई रास्ते मैंने भी थे
कहीं साथ चलने को
कांटा मिला, हमसफर न मिला
दुःख साथ बाटने को
न जाने क्यों उम्मीद_वार बैठा था
एक अनजान राह पकड़ बैठा था
चाहता हूं उसको ये पता चले
कहीं सुहाना वो समय था।
: रंजन गुप्ता
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