Hindi Poem on Importance of freedom in a woman’s life: नारी की जिंदगी में आजादी का बहुत महत्व है क्योंकि यह उन्हें अपने जीवन में निर्णय लेने, अपनी क्षमता और प्रतिभा को विकसित करने, और समाज में समान रूप से योगदान करने की अनुमति देती है। आजादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके सशक्तिकरण की गति दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रही हैं। इस विषय पर शगुन जी ने एक कविता लिखी है जिसका शीर्षक है ‘मैं आजादी हूं’
मैं आजादी हूं | Hindi Poem
मैं आजादी हूं
चिता नहीं सिर्फ नारी हूं
मैं आजादी हूं
खुदगर्ज हवाओं सी उड़ती फिरती
पतंग नहीं , मनमानी हूं
मैं आजादी हूं
खामोश राहों की तरह गुमराह नहीं
आसमान की तरह खलती गुमनामी हूं
मैं आजादी हूं
सबको संभालते-संभालते खुद की कद्र खो बैठी
चौखट को रंगती थी रंगों से,
पर जब आज खुद के रंग खो बैठी,
तो पता चला बेगम नहीं बेगानी हूं
मैं आजादी हूं
नर से नारी नहीं बनती,
ख्वाबों से शहजादी नहीं बनती
तलवार उठानी पड़ती है
जख्म सहने के लिए भी क्योंकि
बिना गुलामी के आजादी नहीं बनती,
पर मेहरबान है आज तो खुदा भी की
पता तो चला उल्फत नहीं खुद्दारी हूं
मैं आजादी हूं
वो मूरत पूजा की शायद कोई शमा है
पर मैं शमा नहीं सिर्फ नारी हूं
मैं आजादी हूं
पल खलते हैं इन चार दिवारी मैं
मैं सिर्फ एक खत नहीं वाणी हूं
मैं आजादी हूं
मैं आजादी हूं
चिता नहीं सिर्फ नारी हूं
मैं आजादी हूं
–Shagun
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