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Hindi Kavita on Love | प्रेम पर हिंदी कविता

By Ranjan Gupta

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Hindi Kavita on Love

नमस्कार दोस्तों! Hindi Kavita on Love के इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी का स्वागत है। Poems Wala के इस लेख में हम प्रेम पर हिंदी कविता के बारे में पढ़ने वाले हैं जहां हमनें आपके लिए बेहतरीन Poems on Love in Hindi लेकर आए हैं जो आपको बेहद पसंद आएगा। अगर आपको हमारे कवियों की कविताएं पसंद आती है तो हमें आप जरुर बताएं। हिंदी में प्रेम पर कविताएं आइए पढ़ना शुरु करते हैं..

प्रेम है मुझे | Hindi Kavita on Love

प्रेम है मुझे अपने श्रृंगार से
अपनी खनकती चूड़ियों से
दमकती पायल से
प्रेम है बिंदी और काजल से
मैं स्त्री हूं
और प्रेम है मुझे स्वयं से
किताबों से प्रेम है,
लिफाफों से प्रेम है,
प्रेम है मुझे मृदुता से
मै स्त्री हूं
और प्रेम है मुझे
अपने वाकचातुर्य से

-नंदिता खरे

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प्रेम है मुझे अपनी मुस्कान से,
जो दिलों में हंसी का रंग भर दे।
सपनों से प्रेम है, जो हर रात मेरी आँखों में बुनते हैं,
और उम्मीदों से प्रेम है, जो हर सुबह मुझे जीने की ताकत देते हैं।

प्रेम है मुझे अपने आँचल से,
जो मेरी पहचान है, मेरी शान है।
हवाओं से प्रेम है, जो मुझे छूकर जाती हैं,
और सूरज से प्रेम है, जो मेरे हर कदम को रोशन करता है।

मैं स्त्री हूं,
और प्रेम है मुझे अपनी हर पहचान से,
अपने अस्तित्व से,
अपनी शक्ति और सौंदर्य से।
प्रेम है मुझे अपने भीतर की आवाज से,
जो हमेशा मुझे खुद से जोड़ती है।

- nikk ✍️

ये भी पढ़ें: दिल को छू लेने वाली प्रेम कविताएं | Love Poems by Mahesh Balpandey

 Hindi Kavita on Love
Hindi Kavita on Love

कविता मेरी

अंतरव्यस्त तुम्हारा मन, एक व्यथित कविता मेरी 
सह सूत्र में बंधे से तुम,जैसे गणित कविता मेरी

तुम आनंद में रंग जाओ,नामित कथित कविता मेरी
चंचलता में शांत तुम,आत्मकल्पित कविता मेरी

तुम धीरज में मत वाले से,जैसे हो बधित कविता मेरी
तुम डूबे डूबे से इसमें,एक त्वरित कविता मेरी

सूखे सूखे भावों में भी,सुंदर हरित कविता मेरी
कुछ तुम हो मेरी कविता जैसे,कुछ तुम सहित कविता मेरी

सुनो कविता सुनने वालों,तुम पर अर्पित कविता मेरी
हर्षित हो उठते हो तुम,सुन द्रवित कविता मेरी

तुम शांत,मैं भी शांत"तुममें चर्चित कविता मेरी
स्तब्ध यही मैं और तुम,तुमसे गर्जित कविता मेरी

तुम्हारे मौन को गाती,करती स्वरित कविता मेरी
तुम्हारा स्वयं सुनाती है,हर एक रचित कविता मेरी

नव सूर्य,नवसुरा पानी सी"है नव उदित कविता मेरी
जग भ्रमण कर देना,जो लगे उचित कविता मेरी

तुम पर बोल देती है,तुम्हें करती आकर्षित कविता मेरी
भावहीन भावों को भरती,करती आनंदित कविता मेरी

तुम सुनो या गाऊँ मैं,है तुम्हारे हित कविता मेरी
सुनो कविता सुनने वालों,तुम्हें कहती नित कविता मेरी

माना थोड़ी चंचल है,यह लंबित कविता मेरी
तुम्हें तुम कर देती है,तुममें आश्रित कविता मेरी

बेरंगी बाहों में भी,है अभिरंजीत कविता मेरी
कुछ मन ही मौन है,कुछ अपठित कविता मेरी

कुछ परिवर्तित,कुछ नवनिर्मित" कुछ है विचलित कविता मेरी
किंतु तुम्हें सुना सुना कर,है प्रफुल्लित कविता मेरी

केवल तुमसे थोड़ी सी है,आरक्षित कविता मेरी
तुम्हारे लिए अभी अज्ञात बची है, कुछ अरचित कविता मेरी

-नंदनी खरे
(मध्य प्रदेश), छिंदवाड़ा

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तुम्हारी कविता में बसी है, एक अनकही सी बात
हर शब्द में बंधी है, एक मनमोहक सौगात

तुमने कहा था, चंचल है कविता मेरी,
पर तुमसे जुड़ी है, जैसे एक संजीवनी मेरी।

तुम शांत, मैं भी शांत, हम दोनों में एक राग
तुम्हारी कविता में डूबा, मैं पा रहा स्वाभाविक भाग।

हर भाव में रंग घुला है, जो न देखा कभी,
तुम्हारी कविता को सुन, यह दिल रुकता नहीं।

तुम्हारी रचनाओं में वह स्वर मिलता है,
जैसे हर रेखा में प्रीत का असर बिखरता है।

कुछ ध्वनियाँ, कुछ मौन, कुछ बिन बोले रचनाएँ,
तुमसे यह कविता मेरे भीतर अनगिनत कहानियाँ सुनाए।

अरे, जो तुम कहते हो, वही कविता में समाता,
हर स्वर से निकलता, वो राग दिल को ललचाता।

तुम पर बोलती है, मेरी कविता भी हर दिन,
तुमसे हर रूप में, है वह प्रेम का चिन्ह।

मैं जानता हूँ, कुछ अरचित भी छुपा है इस कविता में,
पर कुछ तुम्हारे लिए बचा है, यही है मेरा वचन।

By nikk ✍️

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कुछ यूं लिखूं कि

कुछ यूं लिखूं कि पन्नो को स्याही से भर दूं
मगर स्त्री हूं कह कर समाज रोक देगा।

कुछ यूं कहूं कि दुनिया को जज्बातों से रंग दूं
मगर खामोशी के पैमानों में मुझे टोल देगा।

कुछ यूं सुनू ख्वाबों को की नियत बदल जाए
मगर फिर नजरों के दायरों को पनाह देगा।

कुछ यूं ही में खिताब लिखती जाती हूं जिंदगी की किताब में
मगर एतबार करने को हिसाब कोई नहीं देगा।

-Shagun

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कुछ यूं लिखूं कि शब्दों से दिल को सजा दूं,
मगर समाज की निगाहों में खुद को बेजान पा दूं।

कुछ यूं कहूं कि आवाज़ में एक नया सुर हो,
मगर चुप्प की दीवारों में वही घुटन फिर हो।

कुछ यूं सुनूं कि ख्वाबों में सच्चाई मिले,
मगर फिर हकीकत में, मुझे और डर लगे।

कुछ यूं ही मैं जीता चला जाऊं जीवन की राहों में,
मगर सच्ची उम्मीदों में, हर कदम बिखरा सा हो।

तुम्हारी यह कविता, मेरी भी आवाज़ हो जाती,
कभी खामोशी में, कभी बेमुरव्वत हर बात हो जाती।

फिर भी, उम्मीदों से हम अपने पंखों को खुला पाएं,
जिंदगी के सफर में, अपने रास्ते को सजाएं।

By nikk ✍️

तेरी शमा आगाज है

तेरी शमा आगाज है किसी अंगार का
या फिर तेरी खूबसूरती का ही कोई पैमाना है।

नूर चुराती हो तितलियों का
या फिर किसी बात का कोई अफसाना है।

फिरती हो इन गलियों में अल्हड़पन बिखेरती हुई
ये तेरी कदमों की चाल है या कोई राज गहरा है।

ये तेरी चूड़ियों की खनक का मल्हार है कोई नया
या फिर तेरे मन के सन्नाटे का अलगाव बड़ा है।

नग हैं या नयन तेरे
किसी की चाहत से भरे हैं या खून की तलब का जख्म गहरा है।

तेरी शमा आगाज है किसी अंगार का
या फिर तेरी खूबसूरती का ही कोई पैमाना है।

Shagun

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Ranjan Gupta

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