Nature Poems in Hindi, Poems on Nature in Hindi: प्रकृति और मनुष्य दोनों का जीवन एक दूसरे पर आश्रित है। हमारी प्रकृति ऐसी विरासत है जिसके चलते हम काफी धनवान है। उसके बगैर जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। हमारे भारत देश में पहाड़ों की ऊंचाई से लेकर समुद्र की गहराई तक, हर जगह प्रकृति की एक अनूठी छटा देखने को मिलती है।
यदि आप इस वेबसाइट पर Poems on Nature की तलाश में आए हैं तो यहां आपको 5+ Nature Poems in Hindi पढ़ने को मिलेंगे। इस ब्लॉग पोस्ट में हम प्रकृति (Nature) पर कुछ बेहतरीन कविताओं पर गौर करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि प्रकृति हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।
Table of Contents
प्रकृति का संदेश | Nature Poems in Hindi
हरी-भरी वसुंधरा, नदियाँ गाती हैं,
शीतल पवन की लहरें सौगातें लाती हैं।
सूरज की किरणें कहतीं यह प्यार से,
संभालो प्रकृति को, जीओ सद्भाव से।
चहकते पंछी, हँसते उपवन,
धरती की गोद में खिलते जीवन।
पेड़ों की छाँव में शांति बसती,
नदियों की धारा संगीत रचती।
लेकिन मनुष्य, तुम क्यों भूले,
लालच में आकर, क्यों राहें तूले?
वृक्ष कटे, नदियाँ हुईं मैली,
बोझिल हुईं हवाएँ अलबेली।
अब भी समय है, जगो ऐ इंसान,
प्रकृति का सम्मान ही सच्चा ज्ञान।
वृक्ष लगाओ, जल को बचाओ,
धरती को स्वच्छ, सुंदर बनाओ।
प्रकृति का संदेश यही दोहराओ,
स्नेह से जियो, इसे न मिटाओ।
Dr.Arti
प्राकृतिक सौंदर्य | Short Poems on Nature
शाम ढलने को है मन्द-मन्द हवाएं चल रही है, और इन हवाओं में मैं प्रकृति के सौंदर्य में, कहीं मैं खुद को पक्षी सा- महसूस कर रहा हूं चारों तरफ हरियाली है, इन हरियालियों में मैं, कहीं पंक्षी चहक रही है, तो कहीं जानवर अपने घर पहुंचने को व्याकुल है, इस प्राकृतिक के दास्तान को देखते हुए मुझे ऐसा आभास हो रहा है, जैसे मानो ईश्वर स्वयं इनको संचालित कर रहे हो, इस दृश्य को देखते हुए, ऐसा एहसास होता है जैसे मानो में कहीं स्वर्ग में हूं, खुशियां मेरे चेहरे पर से उतर ही नहीं रही, आंखों में आंसू के नामोनिशान ही नहीं, फूंक अपनी सांस के ध्वनि से मैं कहीं बांसुरी सा गुनगुना रहा हूं, न जाने कब से में प्राकृतिक के इस, सौंदर्य को देख रहा हूं अब तक तो अंधेरा विराजमान हो चुका है। Nitish Kumar Singh
सावन का पहला दिन | प्रकृति पर कविता
काली रात के बाद हुआ दिन,
दिन था सावन का पहला दिन।
स्वर्ग लोक में सुना था मैंने
पर इस धरती पर ऐसा दिन?
पवन वेग बन करके माली
सजा रहा है डाली-डाली।
ध्यान कली का खींच रहीं हैं,
वन-देवी सब सींच रहीं हैं।
नवल का अंकुर फूट रहा है,
फूले फूल और फला फूला दिन...
दिन था सावन का पहला दिन।
जाने क्या उसके गुमान में,
देख रहा है आसमान में।
हद अंबर का तौल रहें हैं,
पंछी मानो बोल रहें हैं।
अब पिंजरे में बांध के मुझको
छीनो मत मुझसे मेरा दिन...
दिन था सावन का पहला दिन।
देख के उसको सब सजते हैं,
साधक उसको ही भेजते हैं।
रुके तो उसका रूप निहारें,
चलती तो पायल बजते हैं।
ध्यान जो आया चेहरा उसका,
याद हो आया बचपन का दिन..
दिन था सावन का पहला दिन।
NIGAM TIWARI
प्रकृति संदेश | Short Poems on Nature
पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो क्या कहती हैं,
उठ उठ गिर गिर तरल तरंग,
भर लो भर लो अपने दिल में मीठी मीठी मृदुल उमंग!
पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो.
कितना ही हो सिर पर भार,
नभ कहता है फैलो इतना ढक लो तुम सारा संसार !
सुनो, प्रकृति की आकुल पुकार,
कहती है यह, वृक्ष मत काटो।
छलनी हो रहा शरीर हमारा,
अब तो हमारा क्रंदन सुन लो।
धरा भी क्षण-क्षण कह रही,
वृक्ष प्राणों का है आधार।
बंजर से इस सूने तन पर,
वृक्ष धरती का है श्रृंगार ।
मत चलाओ शस्त्र वृक्ष पर,
मानो यह ईश्वर का अनुदान है।
इन पेड़ों से भूजल स्तर भी बढ़ेगा,
समस्त जीवन हेतु ये वरदान है।
वन, नदियां, पर्वत व सागर | Hindi Poem on Nature
वन, नदियां, पर्वत व सागर,
अंग और गरिमा धरती की,
इनको हो नुकसान तो समझो,
क्षति हो रही है धरती की।
हमसे पहले जीव जंतु सब,
आए पेड़ ही धरती पर,
सुंदरता संग हवा साथ में,
लाए पेड़ ही धरती पर।
पेड़ -प्रजाति, वन-वनस्पति,
अभयारण्य धरती पर,
यह धरती के आभूषण है,
रहे हमेशा धरती पर।
बिना पेड़ पौधों के समझो,
बढ़े रुग्णता धरती की,
हरी भरी धरती हो सारी,
सेहत सुधरे धरती की।
खनन, हनन व पॉलीथिन से,
मुक्त बनाएं धरती को,
जैव विविधता के संरक्षण की,
अलख जगाए धरती पर।
रामगोपाल राही
वर्षा | Nature Poems in Hindi
पहली वर्षा की पहली बूंद ,
बन पहली किरण है चमक रही।
निर्विघ्न हुआ है पर्वत फिर ,
नित झरने नदियाँ बह रही।
हर घाट- घाट व पुरइनि पात,
बन अर्भक है गुहार रही।
खिली हुई है कलियाँ सब ,
नित मधुर ध्वनि सुना रही।
समस्त इत्र की खुशबू जग की,
नतमस्तक आगे हो रही।
पावन पवन निकली है वन से,
प्रेम भावना जगा रही।
मोर हुआ छविमान देख नभ,
नृत्य कला मन मोह रही।
पहली वर्षा की पहली बूंद ,
बन पहली किरण है चमक रही।
अभिषेक वर्मा
निष्कर्ष
उम्मीद है कि आपको नलिन कुमार ठाकुर की ‘मेरी अधूरी पूर्णता’ कविता पसंद आई होगी। चाहें तो आप हमें कमेंट कर फीडबैक दे सकते हैं। अगर आप भी अपनी कविता या रचना हमारी साइट पर पोस्ट कराना चाहते हैं तो आप हमसे जुड़ सकते हैं। यहां क्लिक करके लिंक पर जाकर गूगल फॉम को भरें और इंतजार करें। आप हमारी दूसरी साइट Ratingswala.com को भी विजिट कर सकते है। वहां, मूवी, टेक खबरों के साथ साथ उसकी रिविव पढ़ने को मिलेंगे।
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