Complicated love poetry in Hindi: प्यार सिर्फ़ गुलाब और मोमबत्ती की रोशनी तक सीमित नहीं है। प्यार जटिल है, और कविता में उस उलझन की शक्ति और दर्द को व्यक्त करने की एक अनोखी क्षमता है। कविताओं का यह चयन प्यार के कम आदर्शवादी पक्ष को उसकी सभी कठिनाइयों, हास्य, दुःख और संभावनाओं में दिखाता है। आइए देखते हैं एक ऐसी ही कविता जिसका शीर्षक है, बेरूख़ी जिन्दगी | Complicated love poetry in Hindi
बेरूख़ी जिन्दगी | Complicated love poetry in Hindi
ज़िन्दगी बेरुक्सियत सी, हाल-ए-दिल मचलती बहुत है
करना तो नहीं चाहिए परवाह, पर नज़र जाती बहुत है
करना, ना करना सब हम पर ही निर्भर करता है
पर हम अपनी जगह से हिल जाएं, यही बहुत है।
कभी कभी गुस्से में एक आवाज सबकुछ बदल देती है
गर वो साजिश का पुलिंदा होता तो
कोशिशें कब कि शिकस्त दे जाती
मगर ज़िद तो केवल विच्छिन्नता कि बात करती है
तू अब साथ नहीं तो क्या हुआ,
तू कभी मेरी थी यही ख़ूब है।
हासिल-ए-इश्क़ के बारे में, जब कभी भी सोंचता हूँ
तेरी मोहब्बत को, अपनी आदतों में पाता हूं
मुसलसल बात उनकी याद धूमिल पड़ जाते हैं जब
लोग अक्सर आप से तुम, तुम से जान और
जान से अनजान हो जाते हैं
किसी ने आगाह किया था हमसे,
देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे
अपनी दशा को नयी दिशा देते हैं, है की नहीं
हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा चाहे वो फ़ासला ही सही।
: रंजन गुप्ता
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भाई ,गरदा झकाझक