Hindi Poem on our Motherland: हमारे देश भारत विविध प्रकार की भूखंड से सज्जित है। यहां पर्वत, पठार, नदियां और मैदान सभी उपलब्ध है। हम धरती को मां मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं कि धरती माता हमारी धरोहर है। बिना उनके इस पृथ्वी पर जीवन मुमकिन ही नहीं। इस मातृभूमि को अपनी कविता से सम्मान देने हेतु डॉ. आरती जी ने सुंदर शब्दरचना की है। आइए बिना किसी देरी के पढ़ना शुरु करते हैं..
नोट: हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
मेरी मातृभूमि | Hindi Poem on our Motherland
ओ मेरी मातृभूमि, प्यारी धरा,
तेरे चरणों में बसी हर धड़कन की धारा।
तेरे आकाश का नीला विस्तार,
हर स्वप्न में समाया तेरा प्यार।
तेरी मिट्टी की सुगंध से महकता जहाँ,
तेरी गोद में खिलते हैं फूलों के बाग़।
तेरे पर्वत, तेरी नदियाँ, तेरे सागर,
हर कोने में बसी है श्रद्धा और आदर।
तेरी धरोहर, तेरी सभ्यता महान,
तेरी संस्कृति में है सारा जहान।
चमकती धूप, ठंडी छाँव तेरा उपहार,
तेरी गोद में बसे हैं जीवन के कई संस्कार।
हम तेरे सपूत, तुझसे ही जीवन पाया,
तेरे लिए समर्पित, हर एक पल बनाया।
तेरी सेवा में है हमारा कर्तव्य,
तेरे लिए जीना है हमारा धर्म और सत्य।
हे माँ, तुझे प्रणाम बार-बार,
तेरे लिए कुर्बान हर जीवन का आधार।
तेरी रक्षा में बहेगा हमारा लहू,
तेरी मिट्टी से है हर सांस जुड़ा हुआ।
ओ मेरी मातृभूमि, तुझे शत-शत नमन,
तेरे चरणों में अर्पित हर जीवन का समर्पण।
डॉ. आरती
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