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Best Women’s Day Poems in Hindi | महिला दिवस पर 5 बेहतरीन कविताएं

By Ranjan Gupta

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Women's Day Poems in Hindi

Best Women’s Day Poems in Hindi: महिलाओं के अधिकारों, उनकी उपलब्धियों और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान देने के लिए समर्पित 8 मार्च का यह दिन महिला दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। हर महिला एक सुपरवुमेन होती है, जो घर के साथ-साथ अपने सपनों को भी पूरा करती है। वह कभी मां बनकर, कभी बहन बनकर, कभी पत्नी और कभी दोस्त बनकर हर रिश्ते को संवारती और जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है। आइए Women’s Day के इस अवसर पर पढ़ते हैं Best Women’s Day 2025 Poems in Hindi.

महिला दिवस कविता | Women’s Day Poems in Hindi

नारी है शक्ति, नारी है जान,
हर घर की रौनक, हर घर की शान।
सपनों को संजोए, आगे बढ़ती जाए,
हर मुश्किल को हंसकर, वो पार कर जाए।

दुनिया की तस्वीर, नारी के बिना अधूरी,
उसके बिना तो ये कायनात भी है अधूरी।
त्याग, ममता, प्रेम का है रूप,
नारी के बिना अधूरा हर स्वरूप।

माँ के आंचल में छुपा है प्यार,
बहन के रूप में देती दुलार।
पत्नी के रूप में साथी बने,
बेटी बनकर आंगन में फूल खिले।

न रोक सकोगे उसके कदमों को,
हर कठिनाई में वो दिखाएगी राहों को।
है साहस, है हिम्मत, है अपार शक्ति,
हर क्षेत्र में उसने बनाई है अपनी भक्ति।

आओ सलाम करें हर नारी को,
जो रोशन करे हर एक क्यारी को।
सम्मान दें, हौसला बढ़ाएं,
हर दिन को नारी दिवस बनाएं।

नारी का सम्मान, यही है पहचान।

Dr. arti

नारी तू नारायणी

Women's Day Poems in Hindi
Women’s Day Poems in Hindi
 नारी तू नारायणी,
वात्सल्यमयी विश्व पालिनी
तू ही करता, तू ही भरता,
तू ही मातृ रूपिणी।

नारी तू नारायणी,
करुणामयी दुख भंजिनी।
तू ही शक्ति, तू ही शिवा,
तू ही भगिनी रूपिणी।

नारी तू नारायणी,
प्रेममयी कुल तारिणी
तू ही आशा, तू ही दिशा,
तू ही सखी रूपिणी।

नारी तू नारायणी,
दयामयी कुल रक्षिणी।
तू ही क्षमा, तू ही शांति,
तू ही पुत्री रूपिणी।

नारी तू नारायणी,
सुखमयी पौरुषत्व रक्षिणी।
तू ही सती, तू ही सावित्री,
तू ही भार्या रूपिणी।

कविराज :- डाॅ. महेश बालपांडे, तुमसर

तुम नारी हो

रक्तबीज धरती पर पनपे तो तुम 
उन्हें मारने वाली काली बन जाती हो,
कमल पर विराजो तो तुम
लक्ष्मी कहलाती हो

वीणा लो हाथ में तो तुम
सरस्वस्ती कहलाती हो,
जब हाथ में शस्त्र उठाओ तो
मां दुर्गा बन जाती हो

पतिव्रत का संकल्प लेती तो
सती सावित्री बन जाती हो
संतान को जन्म देकर तुम
धरती से बड़ी, मां कहलाती हो

प्रेम करो तो श्री राधा और
भक्ति करो तो मीरा कहलाती हो
जब पाप धोती हो तो
तारणहारीणी गंगा बन जाती हो

पवित्रता बचाने को जौहर की ज्वाला में
जाने वाली पद्मिनी बन जाती हो
देश की रक्षा करो तो
मणिकर्णिका कहलाती हो

तुम हर स्वरूप में वंदनीय,
पूजनीय बन जाती हो
तुम नारी हो।

प्रवीण शुक्ल

नारी शक्ति

Women's Day Poems in Hindi
Women’s Day
नारी तू नारायणी, 
तू ही शक्ति का स्वरूप,
तेरे बिना यह सृष्टि है अधूरी,
तू ही जीवन का अनूप।

तू ममता की मूरत,
तू ही त्याग की देवी,
तेरे आँचल में पलते हैं सपने,
तू ही सबकी सहेली।

तू कभी दुर्गा, कभी लक्ष्मी,
कभी सरस्वती का ज्ञान,
तू ही इस जग की जननी,
तू ही सबका अभिमान।

तेरे हौसलों की उड़ान से
रोशन है यह संसार,
तू ही है सच्ची वीरांगना,
तू ही है सबका प्यार।

नारी तू नारायणी,
तू ही शक्ति का स्वरूप,
तेरे बिना यह सृष्टि है अधूरी,
तू ही जीवन का अनूप।

लेखक:- पं• उत्तम शर्मा

सपनों में भागती

एक स्त्री का पीछा करते
कभी देखा है तुमने उसे
रिश्तों के कुरुक्षेत्र में
अपने...आपसे लड़ते ।

तन के भूगोल से परे
एक स्त्री के
मन की गांठे खोलकर
कभी पढ़ा है तुमने
उसके भीतर का खौलता इतिहास

अगर नहीं
तो फिर जानते क्या हो तुम
रसोई और बिस्तर के गणित से परे
एक स्त्री के बारे में..।

निर्मला पुतुल

ज़िंदगी के पहिए

नारी देवी है,
पूजनीय है,
नारी शक्ति है,
त्याग की मूर्ति है.
सब बात सच है,
फिर क्यों वो पुरुषों के बराबर नहीं है?

या तो वो मंदिर में है,
या कहीं भी नहीं,
हम उन्हें एक देवी के रूप में देख सकते हैं,
पर एक सहयोगी सा नहीं,
हम उन्हें पूज सकते हैं,
पर बराबरी का दर्जा?नहीं दे सकते हैं.
वो देवी हैं,
पर मर्जी पुरुषों
की होनी चाहिए,
सभी दर्जे मंजूर है हमें,
पर वो दर्जे हमारे,
बराबरी के
नहीं होने चाहिए.

सच तो ये है कि,
मंदिर में रखकर हमने,
उन्हें अंधकार में रखा है,
जैसे किसी बच्चे को,
खिलौना दे कर,
बहला के रखा है.

नारी पुरुषों के बराबर हैं,
और होनी चाहिए,
उनकी आकांक्षाएं और अरमान,
आसमान छूनी चाहिये,
उनको पूजा नहीं,
इज़्ज़त चाहिये.
उन्हें मंदिरों से दूर,
इस दूनिया में,
साझेदारी चाहिये.
ज़िंदगी की गाड़ी,
सही चलनी हो तो,
उसके दोनों पहिए,
बराबर चाहिए.

हाँ,

स्त्री और पुरुष बराबर चाहिए.

नलिन कुमार ठाकुर

गर्व से कहूँ—’मैं नारी हूँ!

चली न कभी, कहीं दूर कहीं,
और रोका मुझे हर बारी है।
जब पूछा, "क्यों है ये?"
तो कह दिया कि "मैं नारी हूँ।"

ना घर की कभी, ना ससुराल की,
मैं एक पराई ज़िम्मेदारी हूँ।
जो पूछा, "कौन हूँ मैं?"
तो कह दिया कि "मैं नारी हूँ।"

एक सोने के पिंजरे की मैं,
प्यारी-सी शहज़ादी हूँ।
जो पूछा, "आसमान मेरा?"
तो कह दिया, "चार दीवारी है।"

मैं बहुत रुकी, और बहुत गिरी,
चुप थी सदा, संस्कारी सी।
दम घुट ही चुका, और अंत हुआ,
अब तो उड़ने की बारी है।

सम्मान मेरा, मैं खुद ही हूँ,
ना किसी की हक़दारी है।
कोई पूछे, 'कौन है वो?'
तो गर्व से कहूँ—'मैं नारी हूँ!'"

Happy women's day 🌸

Anukriti Mishra

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Ranjan Gupta

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