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Psycho Shayar aka abhi munde की सभी कविताएं | Sampurna Karna, Ram poem lyrics

By Ranjan Gupta

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All poems of Psycho Shayar aka abhi munde

All poems of Psycho Shayar aka abhi munde: Psycho Shayar अपनी बेहतरीन कविताओं के लिए लोकप्रिय है। साइको शायर के नाम से प्रसिद्ध अभिजीत ने अपने यूट्यूब चैनल पर 25 दिसंबर 2023 को ‘राम’ शीर्षक वाली एक कविता अपलोड की, जिसने सोशल मीडिया पर व्यापक लोकप्रियता हासिल की। उसके अलावा उन्होनें ‘कहानी कर्ण की’, ‘संपूर्ण कर्ण’ जैसी कविताएं लिखी है और प्रस्तुत किया है।

संपूर्ण कर्ण | Sampurna Karna abhi munde lyrics

इस कविता में उन्होंने भगवान श्रीराम के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण की भावना व्यक्त की है, जो श्रोताओं के हृदय को छूती है।

Psycho Shayar aka abhi munde की सभी कविताएं | Sampurna Karna, Ram poem lyrics
Sampurna Karna abhi munde lyrics
कड़्कड़ कर विध्वंस मचाते उतरे सारे वज्र धरा पर
सर सर गिरती वर्षा पहुंची जैसे तैसे वसुधा के घर
तीनो लोक में मच गई हलचल समय ही ऐसा गुजरा था
मां जमुना भीतर एक बालक सूरज बनकर उतरा था

इतिहास का जो काला पन्ना सबने मिलकर फाड़ दिया
धर्म के नीचे योद्धा को एक अधर्मी कह कर गाड दिया
गाथा यह उसे वीर की जिनके रोम रोम में दिनकर हो
जिसे दाह मिला जीवन भर जैसे बेलपत्र बिन शंकर हो
अब शेष बची कहानी उनकी हम तो सुना ना पाएंगे
कहानी को विस्तार स्वरूप खुद कर्ण सुनाने आएंगे
कि अभी की है नहीं द्वापर की बीती बात है ,
जहां कौन किसका है सगा कौन किसके साथ है
जहा कौन है माता-पिता और कौन भाई बंद है,
जहां बिछ रही लाशों पर बैठे स्वयं परमानंद है
जहां वंश के आधार मुझको व्यर्थ बतलाया गया
और हक किसी का छिनने में अर्थ बतलाया गया
जहां दुर्योधन ही है सभी बस पक्ष उनके हैं अलग
जहां बस कपट की बात है बस कक्ष उनके है अलग
कृष्ण ही बस धर्म की यहां डोर लेकर चल रहे
गोविंद ही बस है यहां जो दुख में हंस कर जल रहे
उनके अलावा कौन है जो मेरे आगे टिक सके
अरे वह स्वयं ही है परम ले अवतार ही जो दिख सके
और रण में जो कुछ भी हुआ मैं उसको ना दोहराऊंगा

मैं सत्य कहने आ गया हूं सत्य कह कर जाऊंगा
मैं चुनुगा दुरुयोधन,भले दुरुयोधन तुम ना चुनो
मुझ अधर्मी से प्रथम तुम धर्म क्या है वो सुनो
धर्म और अधर्म की बुनियाद ही गर कर्म है
और कर्म से निर्मल है जो अगर उसके संग में धर्म है
तो कह दो कान्हा इस जहां में दान करना पाप है
और इस जहां में सूत के घर जन्म लेना श्राप है
कह दो क्षत्रियो को जाके बाण को तुम फेंक दो
और रण में खींची प्रत्यांचा पर गोत्र रख कर देख लो
अरे युद्ध रण पे था ही नही वह रण ही अंतर्मन में था
और योग्यता की लाश बन मै गिर गया उस रण पे था
श्राप और वचनों के जब मै मर रहा था ढ़ेर पर
तब कर्ण को इस मार डाला भगवानो ने घेर कर
एक मित्र था जो मित्रता की था कदर करता मेरे
दुर्योधन ही था जो सॉन्ग सफर करता मेरे
फिर वह चुनेगा लक्ष्य को और मैं प्रत्यंचा तान दूं
अरे उसके खातिर ना तो फिर मै किसके खातिर जान दूं
100 भी अर्जुन आ गए तो 100 से भीड़ मै जाऊंगा
और जो कहा था पहले भी मैं फिर उसे दोहराऊंगा

पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से
तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै
सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै
आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै
कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै
इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै
जो लिखा नसीब में वही सत्य क्यों यहां
जो तुम्हारे बस में ना हो उसको सत्य क्यों कहा
हर बार वर्तमान को नियति पर क्यों हो थोपते
और मैं जवाब मांगू तो क्यों नियति नियति भोंकते
नियति की कोई भूल नहीं इसे निष्का्रण अपमान कहो
कोन्तैय नहीं,राधे है या करण मुझे अधिरथ की संतान कहो
कुंती का मै अंश नहीं ना मुझसे उसका नाता है
मैं कर्ण हूं तो बस कर्ण हीं हूं जो सूत पुत्र कहलाता है

आओ अब बताऊं महाभारत के सारे पात्र यह
भोले की सारी लीला थी कृष्ण के हाथ सूत्र थे
बलशाली बताया जिन्हें वह सारे राज्पुत्र थे
काबिल दिखाया बस लोगों को ऊंची गोत्र के
यह गोत्र वर्ण जात पात सब कली के नाम है
द्वापर में बीते कल से ही तो कलयुग बदनाम है
तभी सोने को पिघला कर डाला सोण तेरे कंठ में
नीची जाति हो के किया वेदो का पठन तूने
गुनाह था तेरा यही तू सारथी का अंश था
तो क्यों छिपे मेरे पीछे मै उन्ही का वंश था
ये ऊंच नीच की ही जड़ वोअहंकारी द्रोण था
वीरों की उसकी सूची में अर्जुन के सिवा कौन था?

अगर धनंजय ही श्रेष्ट था क्यों डरे एकलव्य से
मांगा क्यों अंगूठा क्यों जताया पर्थ भव्य है
ज्ञान पथ पर बिखरे जो दिखाएं कांटे वो गुरु
जो ज्ञान सब की थाली में समान बाटे वो गुरु
गुरु वो है जिनके होते सृष्टि खिलखिलाती है
गुरु के चरणों पर ही तो दृष्टि तिलमिलाती हैं
अब बताओ कैसे मैं उस द्रोण को गुरु कहूं?
जो मुझको शिष्य ना कहे मैं उसकी घ्र्णा क्यों सहूं
उन राजवंशियो को उसकी शिक्षा जा मिले
इन आधार लेती बेलो से हम व्रक्ष कई गुना भले
अरे पार्थ के ही इर्द गिर्द रची हुई कथा है ये
और पार्थ से जो श्रेष्ठ था उस कर्ण की व्यथा है ये
रथ पर सजाया उसने कृष्ण हनुमान को
योद्धाओं की युद्ध में भिढ़ाया भगवान को
नंदलाल तेरी ढाल पीछे अंजनैया थे,
नियति कठोर थी जो दोनों वंदनीय थे

इन ऊंचे ऊंचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का
खुद से ही अनजान मैं ना घर का ना घाट का
सोने सा था तन मेरा,अभेद मेरा अंग था
कर्ण का कुंडल चमके लाल नीले रंग का
इतिहास साक्षी है योद्धा मैं निपूण था
बस एक मजबूरी थी मैं वचनों का शौकीन था
अगर ना दिया होता वचन वो मैं कुंती माता को
तो पांडवों के खून से मैं धोता अपने हाथ को
और मैंने यह कहा नहीं कि मैं सही और सब गलत
पर मेरी गल्ती गल्ती है और उनकी गल्ती बात अलग

हां,द्रोपदी के संग हुआ जो उसमें मेरी भूल थी
पर दूसरे क्षण आंख मूंद मैने वो कबूल की
पर द्रोपदी ने जो किया वो कैसे केशव भूलू मै
कैसे भूलू वो स्वयंवर?कैसे विष वो पी लूं मै?
साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का गंगा मां का
लाडला मैं खामखा बदनाम था
कौरवों से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा
जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा
भास्कर पिता मेरे हर किरण मेरा सुवर्ण है
वन में अशोक मैं तू तो खाली पर्ण है
कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में मेरा भी लहू जीर्ण है
देख छान के उसे मिट्टी को कण-कण में कर्ण है
अब इस कर्ण के लौटने का समय आ चुका है
लेकिन जाते-जाते आपके दो सवालों के जवाब

एक मैं कर्ण हूं तो मैं अर्जुन विरोधी हूं?
नही,मैं हालातों के विरोध में था,अर्जुन के कभी नहीं
और दूसरा तुम कर्ण हो तो तुम कृष्ण का द्वेश करते हो?
नहीं, यह सब करने के लिए मुझे कृष्ण की लीला ने ही तो कहा था
छोटी सी बात है फर्क बस इतना है की अर्जुन को सब मिला है
मुझे सब पाना पड़ा है शायद यही एक अंतर है कर्ण और अर्जुन में
तभी तुम चाह कर भी कभी अर्जुन की तरह महसूस नहीं कर पाते हो
कभी आपको हुआ ही नहीं कि मैं अर्जुन हूं लेकिन हर बार लगता है,
मैं कर्ण हूं

तो यह कर्ण जाते-जाते इन कर्णों से कुछ कहना चाहेगा, सुनेंगे?
बीते कल को छोड़ दो अब आने वाला आएगा
बीते कल में जो हुआ वह कल तुम्हें सताएगा
हर एक मोड़ पर तुम्हें अर्जुन खड़े मिलेंगे अब
पथ में फूलों के अलावा कांटे भी खिलेंगे अब
कई द्रोण मिलके तुम्हें नीचे खींचते रहेंगे
बेवजह कई शोन भी जलेंगे अब
तब आईने में देख कर खुद को तुम निहारना
और भीतर तुम्हारे सो रहे हैं उसे कर्ण को पुकाराना
फिर चाहे जितने युद्ध हो किसी भी कुरुक्षेत्र में
तुम्हारा तीर पहले होगा हर पंछी के नेत्र में और तेरे योग्यता के खातिर
अगर तू खुद प्रत्यांचा खींचेगा तो जाहिर है वर्तमान में हर बार कर्ण जीतेगा

वीडियो लिंक - संपूर्ण कर्ण

कहानी कर्ण की | Kahani Karn Ki – Kan kan me karna hai Lyrics in Hindi

साइको शायर के रूप में, अभिजीत बालकृष्ण मुंडे ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में एक नई सोच और दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उनकी कविताएं न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों को छूती हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालती हैं। उनकी अनूठी प्रस्तुति शैली और गहन विचारशीलता ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई है, और वे युवा पीढ़ी के बीच प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

Psycho Shayar aka abhi munde की सभी कविताएं | Sampurna Karna, Ram poem lyrics
Kahani Karn Ki lyrics in Hindi
पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से
तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै
सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै
आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै
कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै
इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै

आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये
भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे
बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे
काबिल दिखाया बस लोगो को ऊँची गोत्र के
सोने को पिघला कर डाला सोन तेरे कंठ में
नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने

यही था गुनाह तेरा,तु सारथी का अंश था
तो क्यो छिपे मेरे पीछे ,मै भी उसी का वंश था
ऊँच नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था
वीरो की उसकी सूची में,अर्जुन के सिवा कौन था
माना था माधव को वीर,तो क्यो डरा एकलव्य से
माँग के अंगूठा क्यों जताया पार्थ भव्य है

रथ पे सजाया जिसने क्रष्ण हनुमान को
योद्धाओ के युद्ध में लडाया भगवान को
नन्दलाल तेरी ढाल पीछे अंजनेय थे
नीयती कठोर थी जो दोनो वंदनीय थे
ऊँचे ऊँचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का
खुद से ही अंजान मै ना घर का ना घाट का

सोने सा था तन मेरा,अभेद्य मेरा अंग था
कर्ण का कुंडल चमका लाल नीले रंग का
इतिहास साक्ष्य है योद्धा मै निपूण था
बस एक मजबूरी थी,मै वचनो का शौकीन था
अगर ना दिया होता वचन,वो मैने कुंती माता को
पांडवो के खून से,मै धोता अपने हाथ को
साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का

गंगा माँ का लाडला मै खामखां बदनाम था
कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा
जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा
भास्कर पिता मेरे ,हर किरण मेरा स्वर्ण है
वर्ण में अशोक मै,तु तो खाली पर्ण है
कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,मेरा भी लहू जीर्ण है
देख छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है

वीडियो लिंक - कहानी कर्ण की

Ram by Abhi Munde | Psycho Shayar Ram poem Lyrics

इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले अभिजीत ने ‘शंभू गाथा’ और ‘छत्रपति संभाजी महाराज की पूरी जीवनी’ जैसी पुस्तकें भी लिखी हैं।

Psycho Shayar aka abhi munde की सभी कविताएं | Sampurna Karna, Ram poem lyrics
Psycho Shayar Ram poem Lyrics
दस तक गिनूंगा
राम लिखते ही पढते ही सुनते ही देखते ही या दिखते ही
मन में जो पहला विचार आता है,,उसे बांध कर रखिये पूछूंगा
1 2 3 4 5 6 7 8
नौ नौ नौ हाथ काट कर रख दूंगा,ये नाम समझ आ जाये तो
कितनी दिक्कत होगी पता है राम समझ आ जाए तो
भाई राम-राम तो कह लोग पर राम सा दुख भी सहना होगा
पहली चुनौती यह होगी की मर्यादा में रहना होगा
और मर्यादा में रहना मतलब कुछ खास नहीं कर जाना है
बस,,बस त्याग को गले लगाना है और अहंकार जलाना है
अब अपने रामलला की खातिर इतना ना कर पाओगे
अरे शबरी का झूठा खाओगे तो पुरुषोत्तम कहलाओगे
काम क्रोध के भीतर रहकर तुमको शीतल बना होगा
बुद्ध भी जिसकी छांव में बैठे हैं वैसा पीपल बनना होगा
बनना होगा यह सब कुछ और वह भी शून्य में रहकर प्यारे
तब ही तुमको पता चलेगा,थे कितने अद्भुत राम हमारे
सोच रहे हो कौन हूं मैं? चलो बात ही देता हूं तुमने ही तो नाम दिया था
मैं पागल कहलाता हूं

नया-नया हूं यहां पर दो ना पहले किसी को देखा है
वैसे तो हूं त्रेता से है मुझे किसी ने कलयुग भेजा है
भई बात वहां तक फैल गई है कि यहां कुछ तो मंगल होने को है
के भरत से भारत हुए राज्य में ,सुना है राम जी आने को है
बड़े भाग्यशाली हो तुम सब,नही वहां पे सब यही कहते हैं
कि हम तो राम राज्य में रहते थे, पर इन सब में राम रहते हैं
यानि तुम सब में राम का अंश छुपा है,नही मतलब वो……
तुममे वो आते है रहने ? सच है या फिर गलत खबर ?
ग़र सच ही है,तो क्या कहने
तो सबको राम पता ही होगा,घर के बडो ने बताया होगा
तो बताओ…… बताओ,फिर की क्या है राम ?
बताओ,फिर की क्या है राम ? बताओ
अरे पता है तुमको क्या है राम ?
या बस हाथ धनुष तर्कश में बांण,या फिर वन में जिन्होंने किया गुजारा
या फिर कैसे रावण मारा लक्ष्मण जिनको कहते हैं
भैया जिनकी पत्नी सीता मैया
फिर ये तो हो गई वही कहानी एक था राजा एक थी रानी
क्या सच में तुमको राम पता है ? या वह भी आकर हम बताएं ?
बड़े दिनों से हूं यहां पर सब कुछ देख रहा हूं कब से प्रभु से मिलने आया था मैं उन्हें छोड़कर मिला हूं सबसे
एक बात कहूं ग़र बुरा ना मानो ……
नही तुम तुरंत ही क्रोधित हो जाते हो,
पूरी बात तो सुनते भी नहीं सीधे है घर पर आ जाते हो
ये तुम लोगो के … नाम जपो में पहले सा आराम नहीं – २
इस जबरदस्ती के जय श्री राम में सब कुछ है… बस राम नहीं !

यह राजनीति का दाया बाया जितना मर्जी खेलो तुम
दाया बाया … अरे दाया बाया
ये तुम्हारी वर्तमान प्रादेशिक भाषा में क्या कहते हैं उसे
हां … लेफ्ट एंड राइट
यह राजनीति का दाया बाया जितना मर्जी खेलो तुम
चेतावनी को लेकिन मेरी अपने जहन में डालो तुम
निजी स्वार्थ के खातिर ग़र कोई राम नाम को गाता हो
तो खबरदार अगर जुर्रत की और मेरे राम को बांटा तो …
भारत भू का कवि हूं मैं,तभी निडर हो कहता हूं
राम है मेरी हर रचना में मैं बजरंग में रहता हूं
भारत की नींव है कविताएं,और सत्य हमारी बातों में
तभी कलम हमारी तीखी और साहित्य हमारे हाथों में
तो सोच समझ कर राम कहो तुम,ये बस आतिश का नारा नहीं
जब तक राम हृदय में नहीं,तुमने राम पुकार नहीं
राम कृष्ण की प्रतिभा पर पहले भी खड़े सवाल हुए
ये लंका और ये कुरुक्षेत्र यूं ही नहीं थे लाल हुए
अरे प्रसन्न हंसना भी है और पल-पल रोना भी है राम
सब कुछ पाना भी है और सब पाकर खोना भी है राम

ब्रह्मा जी के कुल से होकर जो जंगल में सोए हो
जो अपनी जीत का हर्ष से छोड़ रावण की मौत पर रोए हो
शिवजी जिनकी सेवा खातिर मारुति रूप में आ जाए
शेषनाग खुद लक्ष्मण बनकर जिनके रक्षक हो जाए
और तुम लोभ क्रोध अहंकार छल कपट सीने से लगाकर सो जाओगे
तो कैसे भक्त बनोगे उनके? कैसे राम समझ पाओगे ?
अघोर क्या है पता नहीं और शिव जी का वरदान चाहिए
ब्रह्मचर्य का इल्म नही…इन्हे भक्त स्वरूप हनुमान चाहिये
भगवा क्या है क्या है पता लहराना सबको होता है
भगवा क्या है वह जाने जो भगवा ओढ के सोता है
राम से मिलना… राम से मिलना… राम से मिलना है ना तुमको ?
निश्चित मंदिर जाना होगा पर उससे पहले भीतर जा
संग अपने राम को लाना होगा

जय सियाराम …और हां…
अवधपुरी का उत्सव हैकोई कसर नहीं… सब खूब मानना
मेरे प्रभु है आने वाले रथ को उनके खूब सजना
वह द्वापर में कोई राह तके है मुझे उनको लेनेजाना है
चलिए तो फिर मिलते हैं हमें भी अयोध्या आना है
जय सियाराम फिर से

वीडियो लिंक- राम कविता

निष्कर्ष

आपको यहां दी गई Psycho Shayar aka abhi munde की सभी कविताएं कैसी लगी? आप हमें कमेंट कर जरुर बताएं। अगर आप भी अपनी कविता या रचना हमारी साइट पर पोस्ट कराना चाहते हैं तो आप हमसे जुड़ सकते हैं। यहां क्लिक करके लिंक पर जाकर गूगल फॉम को भरें और इंतजार करें। आप हमारी दूसरी साइट Ratingswala.com को भी विजिट कर सकते हैं।

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Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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