Self-discovery Poem in Hindi: आत्मखोज आपको अपने मूल्यों को पहचानने और स्पष्ट करने में मदद करती है, जो मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जो आपके निर्णयों और कार्यों को प्रभावित करते हैं। आत्म-खोज भी व्यक्तिगत विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। पुराने पैटर्न पर सवाल उठाकर और बदलाव को अपनाकर, आप अपने लिए जगह बना रहे हैं ताकि आप अपने सबसे अच्छे संभव संस्करण में कदम रख सकें। इस विषय पर हमारे कवि नलिन कुमार ठाकुर जी ने शानदार कविता लिखा है। आइए पढ़ते हैं..
आत्मखोज | Self-discovery Poem in Hindi
चारों दिशाओं के बीच,
दिशाहीन बेवजह टकराते,
उस बेआवाज़ शोर से,
मैं परेशान हूँ।
आईने में,
अपने अक्स को देखता, निहारता सराहता,
उस बेआकार शक्ल से,
मैं अनजान हूँ।
इंसानियत के घटते,
और इंसान के बढ़ते,
पर मिटते कदमों का,
मैं निशान हूँ।
अरमानों के
चक्रवात को समेटे,
बाहर निकलने को आतुर,
एक दबा हुआ,
मैं तूफ़ान हूँ।
हर शख़्स जो,
इतिहास के पन्नों से बाहर रहा,
उन सभी नामों के बिना,
उस अतीत से,
मैं हैरान हूँ।
हर वो चीज़,
जो जमीं से ऊपर
ना ऊठ सकी,
जो दबी रही,
हर पल, उन सभी,
अरमानों का,
मैं आसमान हूँ।
अपने आप से अनजान ही सही,
मगर ख़ुद को तलाशते,
हर शख़्स की,
मैं पहचान हूँ।
नलिन कुमार ठाकुर
कुछ चीजों ने परेशान किया तो कुछ ने हैरान। सफ़र जारी है, कुछ और प्रश्न होंगे और कुछ और उत्तर भी।
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