अजन्मी बेटी की व्यथा मार्मिक कविता | Poem about the pain of an unborn daughter

By Ranjan Gupta

Published on:

Follow Us:
Poem about the pain of an unborn daughter

Poem about the pain of an unborn daughter: अजन्मी बेटी की व्यथा | अजन्मी बेटी और माता-पिता के बीच संवाद | मार्मिक कविता

एक अनसुनी पुकार | Poem about the pain of an unborn daughter

अजन्मी बेटी अपने माता-पिता से प्रश्न पूछती है।
॥1॥
सुन लो मम्मी, सुन लो पापा,
सुन लो मेरी बात।
मुझको भी जीने दो ना,
दुनिया में आने दो ना ,
मैं हूं आपकी अपनी बेटी,
नहीं हूं कोई पाप।

क्यों बेटा है सबको प्यारा ?
हमने ही है क्या बिगाड़ा ?
हम भी करेंगी , रोशन नाम, आपका ।
चाहे माएका हो या ससुराल ।

क्यों , हमें कोख में मारा जाए ।
दुनिया, क्यों ना हमें अपनाएँ।
हम भी बन सकती है ,
आपके, बुढ़ापे का सहारा।

सुन लो मम्मी, सुन लो पापा,
सुन लो मेरी बात।

माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती रूप को,
पूजे यह, सारा संसार।
लड़की बन पैदा होना,
क्या ? यही है हमारा अपराध।

सुन लो मम्मी, सुन लो पापा
सुन लो मेरी बात।

फिर कैसे, कलाई पर राखी होगी ?
भाई दूज पर कौन राह तकेगी ?
किताबों में दफन हो जाएगा,
भाई – बहन का प्यार।

सुन लो मम्मी, सुन लो पापा सुन लो मेरी बात ।

||2|| माता-पिता अपनी बेटी को उसके प्रश्न का उत्तर देते है।

सुन लो बेटी , सुन लो लाडो,
सुन लो हमारी बात ।
तुम तो हो हमारी ज़िंदगी,
नही हो कोई पाप।

हम भी चाहें , तू दुनिया में आए ।
तू भी फूलों की, तरह मुसकाएँ।
प्रतिबिंब हमारा , तुम में समाए।
हमारा, बने तु जीवन आधार।

सुन लो बेटी, सुन लो लाडो
सुन लो हमारी बात…..

दहलता है रोज दिल हमारा,
पढ़कर, खबर अखबार में।
एक बेटी बनी, फिर से निर्भया।
कुछ दरिंदों के हाथ।

सुन लो बेटी, सुन लो लाडो
सुन लो हमारी बात ।

यही डर सताए हमें,
अगर तू आई दुनिया में ।
कैसा होगा जीवन तेरा ?
हर पल कैसे रखेंगे खयाल ?

सुन लो बेटी, सुन लो लाडो सुन लो हमारी बात ।

इसीलिए हम यह ना चाहे ,
तू इस दुनिया में आए ।
तेरी जुदाई , जीते जी, लाडो…
हमको देगी मार।

सुन लो बेटी, सुन लो लाडो सुन लो हमारी बात।

डर लगता है तुझे खोने से,
जीवन अधूरा , रहेगा तेरे ना आने से ।
समझ विवशता, अपने मात-पिता की ।
कर देना, हो सके तो, हमको माफ।

सुन लो बेटी, सुन लो लाडो ,
सुन लो हमारी बात ।
तुम तो हो हमारी जिंदगी,
नही हो कोई पाप।

कविराज :- डाॅ. महेश®बालपांडे, तुमसर

तो आपको यह ‘वक्त का सफर | नज़रों का धोखा | महेश बालपांडे की कविता’ कैसी लगी? उम्मीद है कि हमारे कवि की यह कविता आपको पसंद आयी होगी। हमारी टीम इसी तरह के कंटेंट के लिए प्रतिबद्ध है। हम नित्य नए-नए लोगों की कविताएं आपके सामने लेकर आते हैं। अगर आप भी अपनी कविता या रचना हमारी साइट पर पोस्ट कराना चाहते हैं तो आप हमसे जुड़ सकते हैं। यहां क्लिक करके लिंक पर जाकर गूगल फॉम को भरें और इंतजार करें। आप हमारी दूसरी साइट Ratingswala.com को भी विजिट कर सकते है। वहां, मूवी, टेक खबरों के साथ साथ उसकी रिविव पढ़ने को मिलेंगे।

ये भी पढ़ें: पिता-पुत्र के रिश्ते पर बेहतरीन कविता | Poem on Father-Son Relationship

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

Leave a Comment