Poem about the pain of an unborn daughter: अजन्मी बेटी की व्यथा | अजन्मी बेटी और माता-पिता के बीच संवाद | मार्मिक कविता
एक अनसुनी पुकार | Poem about the pain of an unborn daughter
अजन्मी बेटी अपने माता-पिता से प्रश्न पूछती है।
॥1॥
सुन लो मम्मी, सुन लो पापा,
सुन लो मेरी बात।
मुझको भी जीने दो ना,
दुनिया में आने दो ना ,
मैं हूं आपकी अपनी बेटी,
नहीं हूं कोई पाप।
क्यों बेटा है सबको प्यारा ?
हमने ही है क्या बिगाड़ा ?
हम भी करेंगी , रोशन नाम, आपका ।
चाहे माएका हो या ससुराल ।
क्यों , हमें कोख में मारा जाए ।
दुनिया, क्यों ना हमें अपनाएँ।
हम भी बन सकती है ,
आपके, बुढ़ापे का सहारा।
सुन लो मम्मी, सुन लो पापा,
सुन लो मेरी बात।
माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती रूप को,
पूजे यह, सारा संसार।
लड़की बन पैदा होना,
क्या ? यही है हमारा अपराध।
सुन लो मम्मी, सुन लो पापा
सुन लो मेरी बात।
फिर कैसे, कलाई पर राखी होगी ?
भाई दूज पर कौन राह तकेगी ?
किताबों में दफन हो जाएगा,
भाई – बहन का प्यार।
सुन लो मम्मी, सुन लो पापा सुन लो मेरी बात ।
||2|| माता-पिता अपनी बेटी को उसके प्रश्न का उत्तर देते है।
सुन लो बेटी , सुन लो लाडो,
सुन लो हमारी बात ।
तुम तो हो हमारी ज़िंदगी,
नही हो कोई पाप।
हम भी चाहें , तू दुनिया में आए ।
तू भी फूलों की, तरह मुसकाएँ।
प्रतिबिंब हमारा , तुम में समाए।
हमारा, बने तु जीवन आधार।
सुन लो बेटी, सुन लो लाडो
सुन लो हमारी बात…..
दहलता है रोज दिल हमारा,
पढ़कर, खबर अखबार में।
एक बेटी बनी, फिर से निर्भया।
कुछ दरिंदों के हाथ।
सुन लो बेटी, सुन लो लाडो
सुन लो हमारी बात ।
यही डर सताए हमें,
अगर तू आई दुनिया में ।
कैसा होगा जीवन तेरा ?
हर पल कैसे रखेंगे खयाल ?
सुन लो बेटी, सुन लो लाडो सुन लो हमारी बात ।
इसीलिए हम यह ना चाहे ,
तू इस दुनिया में आए ।
तेरी जुदाई , जीते जी, लाडो…
हमको देगी मार।
सुन लो बेटी, सुन लो लाडो सुन लो हमारी बात।
डर लगता है तुझे खोने से,
जीवन अधूरा , रहेगा तेरे ना आने से ।
समझ विवशता, अपने मात-पिता की ।
कर देना, हो सके तो, हमको माफ।
सुन लो बेटी, सुन लो लाडो ,
सुन लो हमारी बात ।
तुम तो हो हमारी जिंदगी,
नही हो कोई पाप।
कविराज :- डाॅ. महेश®बालपांडे, तुमसर
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