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दिल को छू जाने वाली कविता | इस प्यार को और क्या नाम दूं | डॉ. महेश बालपांडे

By Ranjan Gupta

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women empowerment poem in hindi

दिल को छू जाने वाली कविता: ‘इस प्यार को और क्या नाम दूं’ और ‘ललकार’ नामक दो कविताएं इंसानियत की बात करता है। आज जो दुनिया की स्थिती है, वह काफी भयावह बनती जा रही है। राजनेता कटुवचन के अपने चरम स्थिती पर पहुंच चुके हैं। आज हिंदू-मुसलमान इतना ज्यादा समाज में कर दिया गया है कि एक बार को समाज भी अपनी गरिमा खो दे। तो आइए डॉ. महेश बालपांडे जी द्वारा लिखी गई कविता पढ़ते हैं।

दिल को छू जाने वाली कविता

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इस प्यार को और क्या नाम दूं

आज इंसानियत हर जगह,

शर्मसार हो रही हैं।
कहीं बम धमाके तो कहीं,
बेटी बाप से ही ब्याही जा रही है।

सनातन को राजनेताओं ने,
बड़ा संकीर्ण कर डाला हैं।
पाक में रहने वाला पाकिस्तानी,
हिंदुस्तान में हिंदू नाम पर ही घोटाला हैं।

राजनेता तथा लगुएँ-भगुएँ,
पैसों में रोलम – रोल हैं।
आपस में लड रहे बस,
अपनों से हिंदू – मुसलमान है।

आज का युवा कब समझेगा,
इन राजनेताओं की चाल को।
जाति – धर्म में बाट दिया हैं,
इन्होंने मांँ भारती के लाल को।

कविराज :- डाॅ. महेश®बालपांडे

Social Issues Poem in Hindi

ललकार

सिर्फ कलम नहीं,
अब तलवार चलेगी।
चिंगारी नहीं, भड़केगा शोला।
जो नही हुआ, वो होगा खेला।

हर बहन- बेटी को अब,
बनना होगा काली- दुर्गा।
अपनी सुरक्षा की स्वयं,
स्वयं ही ललकार बनना होगा।

अब कब तक हम सोए रहेंगे,
कितनी बार जगाया जाएगा
मोमबत्तियांँ जलाना छोड़ दो,
यारों तोड़ दो सारा ‘सन्नाटा’।

कहांँ कब तक हरदम आएँगे,
रक्षक बनकर कान्हा।
कितनी बार और माफ करेंगे,
गोरी’ को मेरे पृथ्वीराज राणा।

जीवन बचाने वालों का ही,
जीवन खतरों से घिरा है।
मर चुका है ज़मीर दरिंदो का,
कितनों का आशियाँ उजड़ा है।

खुले आम दरिंदो को फांँसी हो,
उनका जिस्म छलनी कर डालो।
बोटीं- बोटीं नोच दो उनकी,
ताकि कोई बेटी ना फिर निर्भया हो।

कविराज :- डाॅ. महेश®बालपांडे

Read More: Poems on Social Issues | समाजिक मुद्दों पर कविताएं | कटेंगे तो बटेंगे – महेश बालपांडे


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Ranjan Gupta

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