Short Love Poem in Hindi : अगर आपने भी कभी इश्क किया है जो किसी कारणवश मुकम्मल न हो सका तो मेरा ये जिगर का टुकड़ा आपके ही काम का है | इस कविता के माध्यम से मैंने अपने और आपके बोझ को हल्का करने का प्रयास किया है | साथ ही आपको एक व्यावहारिक दुनिया से रुबरु कराने का साहस भी किया है जो कविता को पढ़ने के बाद मालूम होगा | आपके ख्वाहिशों के ज्वार को कितना शांत कर सका हूँ ये ज़रूर बताइयेगा पर ये लिखते लिखते मिर्जा ग़ालिब याद आ रहें हैं जो मेरा विरोध करते प्रतीत होते हैं;वो कहते हैं:-
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
खैर साहब अपनी माशुका को अपने जहन में शिरकत करते हुए आप इस कविता का आनंद लें |
काश ऐसा होता
काश मैं तेरा दिल होता
देखता उस अधूरेपन को
सबब ढूँढता तन्हाइयों का
देता मिटा हर मर्ज-ए-मन को
काश के होता तेरा सारथी
सारे पड़ाव यूँ होते पार
दुनिया भर के शिल्पों से परे
तुझे संवारता ये कुम्हार
अब अगले जनम है बारी तेरी
वक़्त थाम के करना मेरा श्रंगार
बस ओत-प्रोत हो चेतना से
इतना तो ख्याल कर लेना यार
जीवन के इस फ़ेर-बदल में
कई ढोंग इश्क के होंगे जाहिर
जो वफा के ढांडस बंधायेंगे
जो दिल चुराने में होंगे माहिर
फ़ासला मुझसे होगा मिलों का
कहीं दूर ठहरा नज़र आऊंगा
इरादा हुआ तुम्हारा जब कभी
ढलती रातों में दिख जाऊँगा
इशारा समझ ना आया अगर
लो भेंट ये कविता देता हूँ
शब्दों की चक्की का पीसा
अनुराग सम्भाल लेना मेहरम ||
—-अनुराग
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