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यह राज इतने गहरे ना थे | समाजिक कविता | Motivational Poem hindi
राज जो दिल मे है, हम
कह रहे है,
यह राज इतने गहरे ना थे,
यह तो दिल मे पड़े पड़े हुए गहरे है,
ऐसा नहीं है कि मै वो राज कहना नहीं चाहता,
सच तो यह है कि शोर बहुत है,
और लोग भी सारे बहरे है,
एक आईना भी क्या-क्या दिखाता उन्हें ?
खुद की शख्सियत जो भूल गए है,
जिनके चेहरों के ऊपर चेहरे है,
क्या हजम कर पाओगे जो सच मै कहता हूँ ?
जहाँ दरवाजों पर कभी कुंडी नहीं लगती,
उस शहर में जुबां पे पहरे है,
मै अपना राज अगर अपने तक ना समेट पाया
मै इनसे क्या उम्मीद रखूं?
यह तो फिर भी गैर ठहरे है ।।
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