कल के राज़ | motivational poem in hindi

By Ranjan Gupta

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खड़ा हूं तब तक 
जब तक ये रास्ते खुले हुए हैं
दौड़ भी पाऊंगा कमबख्त
कई निशान लगे हुए है 

पाना चाहो ठीक है 
जब तक हाथ खुले हुए है
बंध भी गए तो रुक नही सकते
इरादें पीछे पड़े हुए हैं 

मैं कहता हूं कि कूद जाओ 
ये शहर कही तो तुम्हे छोड़ेगा ही
आज बातें समझ आई है
कल ये राज़ भी खुले हुए हैं

फालतू मन लिए बैठे हैं
ज़रूरी न भी हो सोचे हुए हैं
चाहो तो पूरी बात बन जाए 
पर हम आहें भरने में लगे हुए हैं।

|| रंजन गुप्ता ||

Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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