किताबों में ध्यान | A poem dedicated to myself hindi

By Ranjan Gupta

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A poem dedicated to myself hindi Poems Wala

 A poem dedicated to myself hindi 

तेरे ज़ख्म का अलग हिसाब है
न कोई मरहम, ना कोई इलाज है
मैं तुम्हे कैसे भूल जाऊं ?
मेरे लिए ये सोचना भी, बकवास है

अब औरों की राहें, छोड़नी होगी
स्वयं एक उदाहरण बनना होगा
इश्क का खेल बहुत खेल लिया
अब किताबों में ध्यान लगाना होगा।

  : रंजन गुप्ता

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Ranjan Gupta

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