Poem on nature in hindi |
Poem on nature in hindi
सर्दियों की शिकायतें
कब तक मौसम से करेंगे
ज़रा इन हवाओं से तो पूछो
क्या ये बादल यूंही गरजेंगे ?
क्या इन बेवक्त सर्दियों से
किसी को ऐतराज़ नहीं ?
बादलों को तो दूर रखें
क्या हम धूप के मोहताज़ नहीं ?
सर्दियां मुझे भी पसंद है
इसलिए पूछना बंद करें
अब तो वसंत आ गई
हे बादल! धूप रोकना बंद करें
हे हमसाज! हमको पता है
हम ही हैं बेवक्त का राज़
या तो आप ये ठीक कर दो
अन्यथा नये रहस्य का कर दो आगाज़।
: रंजन गुप्ता
ये भी पढ़ें : Painful poems about life in hindi | दर्द भरी जिंदगी
Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment
Bahut achhe ranjan ✨💯