बादलों से शिकायत | Poem on nature in hindi

By Ranjan Gupta

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Poem on nature in hindi
Poem on nature in hindi 

Poem on nature in hindi 

सर्दियों की शिकायतें
कब तक मौसम से करेंगे
ज़रा इन हवाओं से तो पूछो
क्या ये बादल यूंही गरजेंगे ?

क्या इन बेवक्त सर्दियों से 
किसी को ऐतराज़ नहीं ?
बादलों को तो दूर रखें
क्या हम धूप के मोहताज़ नहीं ?

सर्दियां मुझे भी पसंद है 
इसलिए पूछना बंद करें
अब तो वसंत आ गई
हे बादल! धूप रोकना बंद करें

हे हमसाज! हमको पता है
हम ही हैं बेवक्त का राज़
या तो आप ये ठीक कर दो
अन्यथा नये रहस्य का कर दो आगाज़।
    : रंजन गुप्ता

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Ranjan Gupta

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