Jab we met poem in hindi – Poems Wala |
Jab we met poem in hindi
पता नही ये मुलाकात कैसी होगी
दिन होगी या रात होगी
जैसी भी होगी ख़ास होगी
तब ख़ुदा की मर्ज़ी भी साथ होगी।
चार साल होने को है
दो साल से मिले नहीं
ये आंकड़े फासले सब छोटे लगेंगे
जिस दिन हम दोनों मिलेंगे।
बातें तो बहुत हुई है
एहसास का वक्त हो चला है
सांसे सांसों को बताएगी
ये दौर भी आ चला है
पिछली मुलाकात
लम्हे वो भी थे ख़ास
कई जज़्बातों का सैलाब
आया था एक साथ।
वो शुबह की मुस्कान
हल्की सी, स्थिति के उलट
केवल दिखाने को था
हमने तो पूरी रात चुरा ली थी
ये मिलना कुछ ही समय के लिए तो था।
रह गयी है जो कसर बाकी
जल्द पुरे करने हैं
उन्हें भी तो पता चले
मेरे अंदर कितने
अरमानों के झरने है।
चैन करार छीन सी गई है
ये वक्त भी बेकरार हो गई है
तुम्हे साथ तो देना होगा
वरना तकलीफ़ का हर्जाना
ज़िंदगी के बाक़ी वक्त को देना होगा।
: रंजन गुप्ता
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