जब सोचकर निकलता है मन | Hindi Poem on Single Life

By Ranjan Gupta

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Hindi Poem on Life: हर रोज कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है। हर दिन एक नया सवेरा होता है, लेकिन लोगों की उम्मीद वही होती है जो शुरू से चलते आ रही होती है। दुनिया में कुछ करना चाहते हैं, पाना चाहते हैं लेकिन जब सोच कर निकलते हैं तो कई बाधाएं भी इस दुनिया में इस नश्वर जिंदगी के साथ आते ही रहते हैं। वह आपकी पीछा कभी नहीं छोड़ते। 

Hindi poem on life
Hindi poem on life | Photo: Poems wala 


ऐसे में जरूरी है कि आप अपने आप को मोटिवेट रखें। इस भागदौड़ जिंदगी में अपने आप को महफूज रखें। सपने को साकार करने में समय व्यतीत करें। बाकी की चीजें छोड़कर आप एक नई आशा की तलाश करें। नई सोच के साथ आगे बढ़े जिससे कि आप जीवन में कुछ कर पाए। इसी कड़ी में हमने आपके लिए motivation Poem लिखा है जो आपको खूब पसंद आएगी। Poem कुछ इस प्रकार है…


जब सोच कर निकलता है मन

सब कुछ भूल जाता है
चहूंओर राख और अंधेरा देख
मन बेचैन हो जाता है।


भागा दौड़ी मचती थी सड़कों पर
अब मचती स्कूल और कॉलेजों में
फीश मंजूरी की बढ़ती तबाही
और कंपटीशन झपटे जैसे कोई महामारी


जिम्मेदारी जिम्मेदारी अब
हर रोज शोर सुनाई देता है
बचपन लगता भूल गए सब
बस पंखा दिखाई देता है


सोच सोच कर बढ़ती परेशानी
रातों में नींद तक नहीं आती है
मन बेचैन हो जाता है तब
जब जगती आशा की महामारी है



तो यह थी जीवन पर कविता जो आपके उदास जीवन को तथा भागदौड़ भरी जीवन में कुछ अच्छा करने के लिए आप को मोटिवेट करेगी ताकि आप अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें। 


आपको ये Poem कैसी लगी आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं। बाकी वेबसाइट पर इसी तरह के पोयम्स कोट्स शायरी और स्टेटस (Poems | Quotes | Status | Shayari) आते रहते हैं तो आप इस चैनल को सब्सक्राइब कर ले ताकि हर एक अपडेट से आप अवगत रहें।

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Ranjan Gupta

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