Poems on Social Issues | समाजिक मुद्दों पर कविताएं | कटेंगे तो बटेंगे – महेश बालपांडे

By Ranjan Gupta

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Poems on Social Issues

Poems on Social Issues | समाजिक मुद्दों पर कविताएं: ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ (Batenge Toh Katenge) का नारा दिया था। इस साल अगस्त में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने बांग्लादेश के हालात पर टिप्पणी की थी। उसके बाद पीएम मोदी ने भी इस नारे का उपयोग किया था। धीरे-धीरे कई नेताओं ने इस नारे का उपयोग कर अपनी बात जनता के सामने पहुंचाया है। अब इस पर कवि महेश बालपांडे ने इस विषय पर कविता लिखी है।

शीर्षक: कटेंगे तो बटेंगे | Poems on Social Issues

कटेंगे तो बटेंगे मान्यवर,

यह तो सच है हम मानते हैं।

पर मोदी जी आप *शेरों* की रेस में,

*चूहें दौड़ा* रहे हो क्या आप जानते हैं?

 

सत्ता की लालच ने नेताजी,

महाराष्ट्र में अधिकारियों ने,

अजब- गजब खेल खेला है।

*सत्य* हजारों में भी आज अकेला है।

 

हमें वोट देते समय मान्यवर,

*सूरत* नहीं *सीरत* देखनी चाहिए।

हर चमकने वाली चीज *सोना* नहीं होती,

यह आपको भी समझना चाहिए।

 

मोदी जी आपके नाम पर,

यहां कई लोग नेता बने हैं।

सनातन के नाम पर,

हमने ही उन्हें चूने हैं।

 

पर सत्ता में आकर नेता,

मोदी नीति भूल जाते हैं।

खुद भी भर पेट खाते हैं,

रिश्तेदारों को भी खिलातें हैं।

 

आम जनता सपने में ही,

अपने अच्छे दिन देखती हैं।

महंगाई की मार बेचारी,

चुपचाप ही सहती है।

 

मांस – मदिरा का लालच,

आम जनता को ले डूबता है।

योग्य-अयोग्य जानते हुए भी,

चूहों पर दाव लगाना पड़ता हैं।

 

कविराज :- महेश बालपांडे

 

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Ranjan Gupta

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