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ऑपरेशन सिंदूर पर कविता | क्या जश्न हर बार जरूरी है? Hindi Poem on operation sindoor

By Maheshkumar Balpande

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Hindi poem on operation sindoor

Hindi Poem on operation sindoor: भारतीय सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ 6-7 मई 2025 की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया एक सैन्य हवाई अभियान था। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की योजना बनाने वाले ढाँचों को ध्वस्त करना था। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने की खबर थी। हालांकि, दुर्भाग्यवश भारत ने भी अपने नागरिकों को खोया है।

क्या जश्न हर बार जरूरी है | Hindi Poem on operation sindoor

जीत गए हो तुम अच्छा है,
जज़्बा तुम्हारा सच्चा है।
पर सोचो एक बार जरा तुम,
क्या जश्न हर बार जरूरी है ?

हैदराबाद हो या बेंगलुरु हो,
या हो धरा का कोई भूखंड।
चाहने वाले देखों टी.वी पर,
घर पर ही झूमों अपनों संग।

बेगुनाहों का कत्ले आम,
भीड़ में अनजाने में होता है।
अपनी बेटी की कब्र पर रोने वाला,
पिता अंकित दिल झकझोंर रख देता है।

ऑपरेशन सिंदूर ने ही देखो,
दुनिया में भारत का डंका बजाया था।
कितना सादगी भरा था जश्न जीत का,
हमने टी.वी पर ही तो देखा था।

अक्सर भीड में अपनों को,
हम अनजाने में खो देते है।
कुछ लोग नफरत की आग लगाए,
मौत का भी जश्न मनाते है।

कविराज: महेश बालपांडे

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Maheshkumar Balpande

महेश बालपांडे एक समकालीन कवि हैं जिनकी रचनाएं मानवीय भावनाओं के विभिन्न पहलुओं, सामाजिक सरोकारों और प्रकृति के सौंदर्य को गहराई से छूती हैं। उनकी कविताओं में सरलता के साथ-साथ गहन दार्शनिकता का पुट मिलता है। महेश बालपांडे की काव्य-शैली उनकी अनूठी पहचान है। वे अक्सर अपनी कविताओं में रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़े बिंबों और प्रतीकों का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी रचनाएं आम जनमानस के लिए सुलभ और प्रेरणादायक बनती हैं।

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