आदत तो नहीं समझ रखा है न आपने | Love poetry in hindi

By Ranjan Gupta

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आदत तो नहीं समझ रखा है न आपने | Love poetry in hindi
muktak kavya 

आदत तो नहीं समझ रखा है न आपने | Love poetry in hindi 


शायद बहुत कुछ सोच रखा था तुमने 
हर बात का जवाब ढूंढ रखा था तुमने 
मैंने भी कहाँ समझा पाया तुम्हे कि 
आसान तो अब भी नहीं है समाज को बताना 
ये इश्क है जनाब, कहीं बोलने की 
आदत तो नहीं समझ रखा है आपने

                                                           चुपी साधना अभी अभी तो छोड़ा है 
आपको दिक्कत मेरे ख्याल से होनी नहीं चाहिए 
आप किस लम्हे की बात कर रहे हैं जनाब
देखना है तो अब कुछ बोल कर देखिये

                                                            कर के फज़ीहत हमने भी आपके साथ 
खामखा डरने वाली गुंजाईश नहीं छोड़ी 
मगरूर तो हम उस दिन भी नहीं थे क्या करें वरना 
पछताने वाली जैसी कोई बात ही नहीं होती।

: रंजन गुप्ता

Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

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