When love met with politics poem in Hindi: नमस्कार, हमारे ब्लॉग के एक नए पोस्ट में आप सभी का स्वागत है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी कविता जो प्यार पर आधारित है। हम रोज ऐसी ही कविता लेकर आते रहते हैं। आप चाहें तो अपनी कविता भी हमें भेज सकते हैं। अगर आपको यह कविता अच्छी लगे तो आप हमें कमेंट कर जरूर बताएं। आइए पढ़ते हैं.
When love met with politics
चुनाव के एक दौर में,
हमने भी किसी का चुनाव किया था
ईवीएम के जगह
पेपर का इस्तेमाल किया था।
मैं प्रत्यक्ष था इसलिए,
शायद प्रमाण की आवश्यकता नहीं पड़ी
यहां जनहित में जारी उनका
दिल ही चुनाव चिन्ह था।
पार्टी की हर रैलियों में
मैं भी शरीक होता था
उनको देख पाएं
मुसलसल तैयार पहले होता था
उनसे छोटी छोटी मुलाकात
मानो परिवर्तन के लिए ही थी
भीड़ काफी होती थी पर
नज़र का ठहराव वही होता था।
लाइन छोटी थी
इसलिए मैं बहुत करीब था
इस ज़ालिम प्रकिया का
एहसास कुछ और था
उनका हमारे गांव में
मेरे हाथों स्वागत हो ,
कब से बस इसी का तो इंतजार था।
चुनाव के इस लहर का अंदेशा था हमें
राजनीति के इस भयावह
अंज़ाम का रूप भी देखा था
दिक्कत सिर्फ पनाह देने से थी
चाहे तब के गांवो में हो या अब के दिल में।
मुनासिब वोट का कीमत नही था उन्हे
चुनावी वादो का आज़िम भी साथ न था
बात अफ़साने की हो या हकीकत इरादों की
दोनों जगहों पर फ़रेब ही तो नसीब था।
रंजन गुप्ता
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Waah waah kya khoob sunav kiya hai🙌🏻😄
Interesting Gupta ji
🙏