Mahadevi Verma biography | महादेवी वर्मा जीवनी

By Ranjan Gupta

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Mahadevi Verma biography | महादेवी वर्मा जीवनी, रचनाएं, रोचक बातें, विचार > नमस्कार  दोस्तों ! महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) से संबंधित इस आर्टिकल में हम महादेवी वर्मा जी के जीवन परिचय पढ़ने वाले हैं। इसमें उनसे जुड़ी कई चीजें जैसे महादेवी वर्मा का बचपन (Mahadevi Verma’s childhood), महादेवी वर्मा का शैक्षणिक जीवन (Educational life of Mahadevi Verma), उनकी वैवाहिक जीवन(Mahadevi Verma married life), महत्वपूर्ण रचनाएं, कुछ चुनिंदा कविताएं, उनकी काव्य शैली, उनके बारे में रोचक बातें तथा उनके विचार के बारे में जानकारी दी गई है। 

Mahadevi Verma | महादेवी वर्मा जीवनी, रचनाएं, रोचक बातें, विचार
Mahadevi Verma ziwani 

Mahadevi
verma biography in hindi

विस्तृत नभ को कोई कोना, मेरा ना कभी अपना होना
परिचय इतना, इतिहास यही, उमड़ी कल थी, मिट आज
चली
!! – महादेवी वर्मा 

महादेवी वर्मा जीवन परिचय | mahadevi verma biography 

महादेवी वर्मा, भारतीय
साहित्य के उदात्त और विचारपूर्ण कवयित्री मानी जाती हैं। उन्हें छायावादी काव्य
आंदोलन के महान कवियों में से एक माना जाता है। हिंदी साहित्य में छायावादी युग के
चार प्रमुख स्तंभों (सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद)
में से महादेवी वर्मा एक हैं। छायावाद एक साहित्यिक आंदोलन था जो
20वीं सदी के पहले भाग में भारतीय साहित्य में हुआ था, जिसमें कविता को भारतीय समाज, धार्मिकता,
और मानवता के मुद्दों को छूने का प्रयास किया गया।

महादेवी वर्मा के छायावादी काव्य का मुख्य
उद्देश्य जीवन की अन्तरात्मा के साथ सांविदानिक और आध्यात्मिक संबंध स्थापित करना
था। उनकी कविताएं सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को छूने के साथ-साथ आत्मा की ऊँचाईयों
की ओर इंडिकेट करती थीं।
छायावाद
के सिद्धांतों में चार प्रमुख स्तंभ हैं: प्राकृतिकता
, प्रेम,
विश्वास, और अनुभव। ये स्तंभ कविता को एक नए
दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का
प्रयास करते हैं।

महादेवी वर्मा की कविताएं उस समय के सामाजिक,
धार्मिक, और सांस्कृतिक मुद्दों को छूने का
प्रयास करती हैं और उनका योगदान भारतीय साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण माना
जाता है।

हिंदी भाषा के बारे में उनका कहना था-

हिंदी भाषा के साथ हमारी अस्मिता जुड़ी हुई है।
हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय एकता और हमारे देश की संस्कृति की संवाहिका है।

महादेवी वर्मा का बचपन 

महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबाद, उत्तरप्रदेश
में हुआ था। महादेवी वर्मा का बचपन उनके पिताजी के साथ बहुत बड़ी गरीबी में बीता
,
लेकिन उनकी माता ने उन्हें पढ़ाई में समर्पित करने के लिए प्रेरित
किया।
इनके पिता जी का नाम श्री गोविन्द
प्रकाश वर्मा था जो भागलपुर गाँव के एक कॉलेज में प्रधानाध्यापक थे।
इनकी माता जी का नाम श्रीमती हेमरानी देवी था
जो एक परम विदुषी धार्मिक
, कर्मनिष्ठ, भावुक
महिला थी और साथ ही वे हिंदी विषय में ख़ास रूचि रखती थी।

महादेवी जी का कहना है कि उनकी माता जी से ही
उन्हें हिंदी के प्रति रुझान संस्कार के रूप में मिला था। ऐसा कहा जाता है कि कई
पीढ़ियों से उनके परिवार में किसी पुत्री का जन्म नहीं हुआ था। उनके दादा जी बाबू
बाँके बिहारी जी ने देवी की उपासना की। जिसके परिणाम स्वरुप महादेवी वर्मा का जन्म
हुआ और इसी कारण इनका नाम महादेवी रखा गया।

बचपन से ही महादेवी वर्मा जी को चित्रकला,
काव्यकला, संगीतकला में बेहद रूचि थी। सुमित्रानंदन
पंत और
 सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला उनके मानस बंधू थे जिनको वे राखी भी बांधती थी।

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महादेवी वर्मा की शिक्षा और करियर 

महादेवी की शिक्षा 1912 में
इंदौर के मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई साथ ही संस्कृत
, अंग्रेजी,
संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती
रही।
1916 में विवाह के कारण कुछ दिन शिक्षा स्थगित रही।
विवाहोपरान्त महादेवी जी ने
1919 में बाई का बाग स्थित क्रास्थवेट कॉलेज
इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। महादेवी जी की
प्रतिभा का निखार यहीं से प्रारम्भ होता है।
वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं और 1925 तक जब आपने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं। 

महादेवी वर्मा का वैवाहिक जीवन 

सन् 1916 में
उनके बाबा श्री बाँके बिहारी ने इनका विवाह बरेली के पास नवाब गंज कस्बे के निवासी
श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया
, उस समय दसवीं
कक्षा के विद्यार्थी थे। श्री वर्मा इंटर करके लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग
हाउस में रहने लगे। महादेवी जी उस समय क्रॉस्थवेट कॉलेज इलाहाबाद के छात्रावास में
थीं। श्रीमती महादेवी वर्मा को विवाहित जीवन से विरक्ति थी। महादेवी जी का जीवन एक
संन्यासिनी का जीवन था।
1966 में पति की मृत्यु के बाद वह स्थायी
रूप से इलाहाबाद में रहने लगीं।
 

महादेवी वर्मा की काव्य शैली 

इन्होंने अपनी कविता में खड़ी बोली का प्रयोग
किया और इतने कोमलता से किया की वे पहले ब्रज भाषा में ही किया गया लेकिन इन्होंने
खड़ी बोली को चुना। इनके काव्य में संस्कृत से पढ़ी होने के कारण संस्कृत के
शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। और इन्होंने बंगला भाषा से भी अपना जुड़ाव दिखाया
है।

Mahadevi Verma | महादेवी वर्मा जीवनी, रचनाएं, रोचक बातें, विचार
Mahadevi Verma biography – Poems wala 

काव्यगत विशेषताएं

छायावाद के चारों प्रमुख स्तंभों जैसे प्रसाद,
पंत, निराला और महादेवी वर्मा की प्रमुख
काव्य प्रवृत्ति गीतात्मक है
, फिर भी इन चारों की अपनी निजी
विशेषताएं भी हैं। महादेवी जी में बौद्ध दर्शन की करुणा व्याप्त है। महादेवी का
समूचा काव्य वेदनामय दुखों के आंसुओं से भरा हुआ है। यह उनका अपना व्यक्तिगत भी है
और समाजिक भी है और सब मिलकर विश्व वेदना बन जाता है। उनकी कविता ‘सब आंखों के
आंसू उजले सबके सपनों में सत्य पला’ का प्रत्यक्ष दर्शन कराती है।
 

प्रकृति उनके कार्य में प्रायः उद्दीपन,
अलंकार, प्रतीक और संकेत के रूप में चित्रित
हुई है। इस प्रकार प्रणय
, करुणा, वेदना,
रहस्य, जागरण जैसे भाव से समृद्धि उनकी कविता
को अभिव्यक्त करने वाली काव्य शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं- चित्रमयी भाषा
,
प्रतीकात्मकता, लाक्षणिकता, नदात्मक्ता,
नूतन अलंकारिता, संगीतात्मकता, नविन
छंदबद्धता।

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कृतियाँ — Kritiyan

महादेवी जी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं

(1) नीहार — इस काव्य – संकलन में भावमय
गीत संकलित हैं । उनमें वेदना का स्वर मुखरित हुआ है।

(2) रश्मि – इस संग्रह में आत्मा–परमात्मा के मधुर सम्बन्धों पर आधारित गीत संकलित हैं।

(3) नीरजा — इसमें प्रकृतिप्रधान गीत
संकलित हैं । इन गीतों में सुख – दुःख की अनुभूतियों को वाणी मिली है।

(4) सान्ध्यगीत – इसके गीतों में परमात्मा
से मिलन का आनन्दमय चित्रण है ।

(5) दीपशिखा — इसमें रहस्यभावनाप्रधान
गीतों को संकलित किया गया है ।

इनके अतिरिक्त ‘अतीत के चलचित्र’,  ‘स्मृति की रेखाएँ’,  ‘श्रृंखला की
कड़ियाँ’ आदि उनकी गद्य – रचनाएँ हैं> ‘यामा’ नाम से उनके विशिष्ट गीतों का
संग्रह प्रकाशित हुआ है। ‘सन्धिनी’ और ‘आधुनिक कवि’ भी उनके गीतों के संग्रह
हैं।

उनकी कुछ चुनिंदा कविताएं 

यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो

रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर,

गये आरती वेला को शत-शत लय से भर,

जब था कल कंठो का मेला,

विहंसे उपल तिमिर था खेला,

अब मन्दिर में इष्ट अकेला,

इसे अजिर का शून्य गलाने को गलने दो!

चरणों से चिन्हित अलिन्द की भूमि सुनहली,

प्रणत शिरों के अंक लिये चन्दन की दहली,

झर सुमन बिखरे अक्षत सित,

धूप-अर्घ्य नैवेद्य अपरिमित

तम में सब होंगे अन्तर्हित,

सबकी अर्चित कथा इसी लौ में पलने दो!

पल के मनके फेर पुजारी विश्व सो गया,

प्रतिध्वनि का इतिहास प्रस्तरों बीच खो गया,

सांसों की समाधि सा जीवन,

मसि-सागर का पंथ गया बन

रुका मुखर कण-कण स्पंदन,

इस ज्वाला में प्राण-रूप फिर से ढलने दो!

झंझा है दिग्भ्रान्त रात की मूर्छा गहरी

आज पुजारी बने, ज्योति का यह लघु प्रहरी,

जब तक लौटे दिन की हलचल,

तब तक यह जागेगा प्रतिपल,

रेखाओं में भर आभा-जल

दूत सांझ का इसे प्रभाती तक चलने दो!

मिटने का अधिकार

वे मुस्काते फूल, नहीं

जिनको आता है मुरझाना,

वे तारों के दीप, नहीं

जिनको भाता है बुझ जाना!

वे सूने से नयन,नहीं

जिनमें बनते आँसू मोती,

वह प्राणों की सेज,नही

जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती!

वे नीलम के मेघ, नहीं

जिनको है घुल जाने की चाह

वह अनन्त रितुराज,नहीं

जिसने देखी जाने की राह!

ऎसा तेरा लोक, वेदना

नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,

जलना जाना नहीं, नहीं

जिसने जाना मिटने का स्वाद!

क्या अमरों का लोक मिलेगा

तेरी करुणा का उपहार

रहने दो हे देव! अरे

यह मेरे मिटने का अधिकार

उर तिमिरमय घर तिमिरमय

उर तिमिरमय घर तिमिरमय

चल सजनि दीपक बार ले!

राह में रो रो गये हैं

रात और विहान तेरे

काँच से टूटे पड़े यह

स्वप्न, भूलें, मान
तेरे
;

फूलप्रिय पथ शूलमय

पलकें बिछा सुकुमार ले!

तृषित जीवन में घिर घन-

बन; उड़े जो श्वास उर से;

पलक-सीपी में हुए मुक्ता

सुकोमल और बरसे;

मिट रहे नित धूलि में

तू गूँथ इनका हार ले !

मिलन वेला में अलस तू

सो गयी कुछ जाग कर जब,

फिर गया वह, स्वप्न में

मुस्कान अपनी आँक कर तब।

आ रही प्रतिध्वनि वही फिर

नींद का उपहार ले !

चल सजनि दीपक बार ले !

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महादेवी वर्मा को मिली प्रमुख पुरस्कार और
सम्मान

  1. महादेवी वर्मा को 1943 में
    मंगलाप्रसाद पारितोषिक भारत भारती के लिए मिला।
  2. महादेवी वर्मा को 1952 में
    उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत भी किया गया।
  3. 1956 में भारत सरकार ने साहित्य की सेवा के
    लिए इन्हें पद्म भूषण भी दिया।
  4. महादेवी वर्मा को मरणोपरांत 1988 में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया।
  5. महादेवी वर्मा को 1969 में
    विक्रम विश्वविद्यालय
    , 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल, 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय तथा 1984
    में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
    ने इनको डी.लिट (डॉक्टर ऑफ लेटर्स) की उपाधि दी।
  6. महादेवी जी को 1934 में
    नीरजा के लिए सक्सेरिया पुरस्कार दिया गया।
  7. 1942 में स्मृति की रेखाएं के लिए द्विवेदी
    पदक दिया गया।
  8. यामा के लिए महादेवी वर्मा को ज्ञानपीठ
    पुरस्कार दिया गया।

महादेवी वर्मा के बारे में रोचक तथ्य

  • इनका बाल विवाह किया गया लेकिन इन्होंने अपना
    जीवन अविवाहित की तरह ही गुजारा।
  • महादेवी वर्मा की रुचि, साहित्य
    के साथ साथ संगीत में भी थी। चित्रकारिता में भी इन्होंने अपना हाथ आजमाया।
  • महादेवी वर्मा का पशु प्रेम किसी से छुपा नहीं
    है वह गाय को अत्यधिक प्रेम करती थी।
  • महादेवी वर्मा के पिताजी मांसाहारी थे और उनकी
    माताजी शुद्ध शाकाहारी थी।
  • महादेवी वर्मा कक्षा आठवीं में पूरी प्रांत में
    प्रथम स्थान पर रही।
  • महादेवी वर्मा इलाहाबाद महिला विद्यापीठ की
    कुलपति और प्रधानाचार्य भी रही।
  • यह भारतीय साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण
    करने वाली पहली महिला थी जिन्होंने
    1971 में सदस्यता
    ग्रहण की।

उनके महान विचार

महादेवी “सादा जीवन, उच्च
विचार” के कथन को सिद्ध करती हैं। उन्होंने जितना सादा जीवन व्यतीत किय
, उनके विचार उतने ही साफ और उच्च थे। उनके द्वारा कहे गए कुछ कथन,
जिनसे उनके महान विचार साफ झलकते हैं, इस
प्रकार हैं –

जीवन के सम्बन्ध में निरन्तर जिज्ञासा मेरे
स्वभाव का अंग बन गई है। ”

आज हिन्दु – स्त्री भी शव के समान निःस्पंद
है।” || 
अर्थ ही इस युग का देवता है। ”

मैं किसी कर्मकाण्ड में विश्वास नहीं करती… मैं
मुक्ति को नहीं
, इस धूल को अधिक चाहती हूँ।”

अपने विषय में कुछ कहना पड़े : बहुत कठिन हो
जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों
को।”

कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले
श्रेष्ठ गुण हैं
, जो साहस के साथ उनका सम्मान करते है ।”

कवि कहेगा ही क्या, यदि
उसकी इकाई बनकर अनेकता नहीं पा सकी और श्रोता सुनेंगे ही क्या
, यदि उन सबकी विभिन्नताएँ कवि में एक नहीं हो सकी।”

मेरे संकल्प के विरूद्ध बोलना उसे और अधिक दृढ़
कर देना है।”

पति ने उनका इहलोक बिगाड़ दिया है, पर अब उसके अतिरिक्त किसी और की कामना करके वे परलोग नहीं बिगाड़ना
चाहती।”

अंत के शब्द 

तो दोस्तों ये थी महादेवी वर्मा की जीवनी (mahadevi Verma biography) | आपको ये आर्टिकल कैसा लगा आप हमें जरुर बातइएगा| कविता, शायरी, स्टेट्स, मुक्तक आदि के लिए इस वेबसाइट पर बने रहिए। 

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FAQS: Poems wala

महादेवी वर्मा कौन हैं ?

महादेवी वर्माभारतीय साहित्य के उदात्त और विचारपूर्ण कवयित्री मानी जाती हैं। उन्हें छायावादी काव्य आंदोलन के महान कवियों में से एक माना जाता है।

हिंदी साहित्य में छायावाद के चार स्तंभ कौन कौन हैं ?

हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों (सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद) में से महादेवी वर्मा एक हैं। 

महादेवी वर्मा का जन्म कब और कहां हुआ था ?

महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबादउत्तरप्रदेश में हुआ था।

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Ranjan Gupta

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