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Hindi Poem on love for her
देखा था तुम्हे कभी
ऐसा लगा देखता रहूं मैं अभी
सोचा तो था अपना बनाऊंगा किसी दिन
1 साल लग गए कोशिश करते–करते प्रतिदिन
मिलने को रोज बहाने ढूंढता
कुछ कहने से मन घबराता था
उफ्फ ! ये एकतरफा प्यार
उसे देखे बिना नींद भी रात को कोसता था
आखिरकार भूचाल थमने का नाम लिया
किया कुछ नही सब होता चला गया
स्कूल की छुट्टियों ने साथ दी
फिर क्या, बातों ने मेरी उसे उलझा लिया
अलंकारों से अलंकृत है उसका मन
अधूरा सा था मेरा जीवन
तब से वो सुंदर, सुशील और प्यारी नारी है
मैं शांत हूं और उसका बकबक जारी है।
~ रंजन गुप्ता
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Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment
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