बेरूख़ी ज़िन्दगी | Complicated love poetry

By Ranjan Gupta

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Complicated love poetry
Complicated love poetry | Poems wala 

बेरूख़ी ज़िन्दगी | Complicated love poetry 

ज़िन्दगी बेरुक्सियत सी, हाल-ए-दिल मचलती बहुत है
करना तो नहीं चाहिए परवाह, पर नज़र जाती बहुत है
करना, ना करना सब हम पर ही निर्भर करता है 
पर हम अपनी जगह से हिल जाएं, यही बहुत है।

कभी कभी गुस्से में एक आवाज सबकुछ बदल देती है
गर वो साजिश का पुलिंदा होता तो 
कोशिशें कब कि शिकस्त दे जाती
मगर ज़िद तो केवल विच्छिन्नता कि बात करती है 
तू अब साथ नहीं तो क्या हुआ, 
तू कभी मेरी थी यही ख़ूब है।

हासिल-ए-इश्क़ के बारे में, जब कभी भी सोंचता हूँ

तेरी मोहब्बत को, अपनी आदतों में पाता हूं

मुसलसल बात उनकी याद धूमिल पड़ जाते हैं जब 

लोग अक्सर आप से तुम, तुम से जान और 
जान से अनजान हो जाते हैैं।

किसी ने आगाह किया था हमसे,

देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे

अपनी दशा को नयी दिशा देते हैं, है की नहीं 

हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा चाहे वो फ़ासला ही सही।


      : रंजन गुप्ता

Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

मैं इस वेबसाइट का ऑनर हूं। कविताएं मेरे शौक का एक हिस्सा है जिसे मैनें 2019 में शुरुआत की थी। अब यह उससे काफी बढ़कर है। आपका सहयोग हमें हमेशा मजबूती देता आया है। गुजारिश है कि इसे बनाए रखे।

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