Poem on Raja Raghuvanshi and Sonam: प्यार जब सच्चा हो, तो वह इंसान की रूह में बस जाता है। लेकिन जब वही प्यार धोखे में बदल जाए, तो दिल के हर कोने में टीस बनकर रह जाता है। यह कहानी है अर्जुन की, जो एक सीधा-सादा, दिल से मोहब्बत करने वाला लड़का था। उसने अपने दिल की हर धड़कन सोनम के नाम कर दी थी — एक खूबसूरत, समझदार और हर दिल अज़ीज़ लड़की, जिसे उसने अपना सब कुछ मान लिया था।
लेकिन वक्त ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि सोनम ने न केवल अर्जुन का दिल तोड़ा, बल्कि उसके विश्वास को भी रौंद डाला। अर्जुन के सपनों की रानी, उसकी दुनिया, अचानक एक रहस्य बन गई।
हर लड़की चाहती है,
उसे ‘राजकुमार’ मिले।
तुम्हें तो ‘राजा’ मिल गया था,
‘राजा’ की ‘रानी’ बनकर ‘बेवफा’,
घर में ‘राज’ करती, बस,
‘राज’ को राज़ रहने देती।
बेवफा सोनम | Poem on Raja Raghuvanshi and Sonam?
एक राजा, एक रानी,
एक रानी का लव्हर।
हनीमून के बहाने तुने,
सोनम ढाया कैसा कहर।
सात जन्मों का बंधन,
बारह दिनों में टूट गया।
मिटाने निशां राजा का,
तुने क्या-क्या खेल किया।
तुने जरा भी ना सोचा,
इश्के अंजाम क्या होगा।
राज के लिए राजा का,
सच्चा प्यार बदनाम होगा।
बेबसी उस मां- बाप की,
बेहया तू क्या समझेगी।
भोली बनकर अब कैसे,
खुद से आंखें मिलाएगी।
पत्नी के रुप में तू जालिम,
सौ. से शैतान बन गई।
अपने सत्यवान के प्राण,
डायन तू ही हर गई।
सात जन्मों का बंधन तू,
सात दिन निभा नहीं पाई।
मार के फेंक दिया खाई में,
तुझे थोड़ी भी दया नहीं आई।
बन के विधवा राजा की तुने,
चाहा राज के संग राज़ करना।
भरा पूरा परिवार छोड़ बेवफा,
सोच कैसे जीएगी अब तनहा।
तुने कितने रिश्तों कों,
एक साथ बदनाम किया।
बेटी- बहन- पत्नी -बहू -भाभी,
इन सब रिश्तों का खून किया।
कौन करेगा एतबार कातिल,
अब तेरी मीठीं बातों पर।
जा बेवफा जा जेल में,
अब राज संग राज़ कर।
कविराज :- डाॅ. महेश बालपांडे